सोलह साल के मनोज का आविष्कार देख दंग रह गए सभी कार्डियोलॉजिस्ट
छात्र मनोज ने इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की है जिससे तमाम हार्ट अटैक पीड़ितों की जान बचाई जा सकेगी। मनोज को इस आविष्कार के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया है।
बता दें कि 16 साल के इस 10वीं के छात्र ने वो कारनामा कर दिखाया है जिससे आज पूरा विश्व इस युवक पर गर्व महसूस कर रहा है। मनोज द्वारा ईजाद की गई इस डिवाइस के माध्यम से साइलेंट हार्ट अटैक को समय रहते जानने में काफी आसानी हो गई है। हालांकि, इस डिवाइस को चलन में लाना शुरू कर दिया जाए।
दादा की मौत के बाद शुरू किया प्रयोग
इस बाबत मनोज ने मीडिया को बताया कि उसके दादा की साइलेंट हार्ट अटैक के कारण मृत्यु हो गई थी। इसके बाद से ही मनोज ने एक ऐसी डिवाइस बनाने की ठान ली थी। जिससे समय रहते बीमारी का पता लगाया जा सके और बीमारी पर काबू किया जा सके। उनका कहना है कि आजकल साइलेंट हार्ट अटैक होना मामूली सी बात हो गयी है। ये एक ऐसी बीमारी है जिससे इंसान मरते दम तक अंजान रहता है और इसके लक्षणों से भी बीमारी का पता नहीं लगाया जा सकता है। अंतिम स्टेज तक भी व्यक्ति बीमार नहीं दिखता है, जिस वजह से इलाज संभव नहीं हो पाता है।
जानें हार्ट अटैक समझने की पूरी तकनीक
इस तकनीक के द्वारा बिना स्किन में कट लगाए ब्लड बायोमार्कर FABP3 का पता लगाया जा सकता है, जिसके कारण अटैक की आशंका बनी रहती है। मनोज विशेष तौर से ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा पद्धति में सुधार लाने के लिए काम करना चाहते हैं। साथ ही, बड़े होकर मनोज कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं।
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