हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक के उडुपी में एक कॉलेज से शुरू हुए हिजाब विवाद पर आज हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कॉलेज में हिजाब पहनने से रोके जाने पर छह छात्राओं ने ये कहते हुए कि ‘हिजाब पहनना उनका संवैधानिक अधिकार है’ कोर्ट में याचिका दायर की थी। मंगलवार को इस मामले में फैसला देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, ‘हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और इस प्रकार, संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित नहीं है।‘
इस मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की पीठ ने आगे कहा कि राज्य द्वारा स्कूल ड्रेस का निर्धारण अनुच्छेद 25 के तहत छात्रों के अधिकारों पर एक उचित प्रतिबंध है। इस प्रकार, कर्नाटक सरकार द्वारा 5 फरवरी को जारी सरकारी आदेश उनके अधिकारों का उल्लंघन नहीं है।
वहीं, इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अदालत के फ़ैसले से पहले राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस महानिदेशक ने राज्य पुलिस को चौकस रहने का आदेश दिया है। उडुपी में पहले से ही धारा 144 लागू है। इसे अब बेंगलुरू, मैसूर और बेलगावी में आज से एक सप्ताह के लिए लागू कर दी गई है। इसी के साथ उडुपी, दक्षिण कन्नड़ा, शिवमोगा और कलबुर्गी में आज स्कूल बंद कर दिए गए हैं।
क्या था विवाद
इस विवाद की शुरुआत कर्नाटक से हुई थी जब उडुपी के गवर्नमेंट पीयू कॉलेज फॉर विमेन में छह छात्राओं को हिजाब पहन कर आने से रोक दिया गया। ये मामला तब और बढ़ गया जब उडुपी ज़िले के कॉलेज में लड़कियों के हिजाब के जवाब में कुछ छात्र भगवा शॉल पहन कर आने लगे। इसके बाद लड़कियों ने भी भगवा शॉल पहन कर जुलुस की शक्ल में एक प्राइवेट कॉलेज में घुसने की कोशिश की। मामला तूल पकड़ता गया और राजनीतिक पार्टियां भी इस विवाद में कूद पड़ीं। वहीं, राज्य सरकार का कहना था कि स्कूल और कॉलेज में पहले से तय किया गया यूनिफॉर्म ही पहना जा सकता है। कॉलेज ने लड़कियों को ये विकल्प भी दिया कि वो स्कूल आते और जाते समय वो हिजाब पहन सकती हैं लेकिन क्लास लेते हुए हिजाब उतारना होगा। लेकिन, छात्राओं का कहना था कि वो हिजाब पहनकर ही क्लास लेना चाहती हैं।
बता दें, राज्य सरकार ने यूनिफॉर्म को लेकर आदेश भी जारी किया था जिसके मुताबिक सरकारी शिक्षा संस्थानों की कॉलेज डेवलपमेंट कमेटियां यह फैसला ले सकती हैं कि यूनिफॉर्म कैसी होगी। निजी संस्थान यह फैसला कर सकते हैं कि कॉलेजों में यूनिफॉर्म जरूरी है या नहीं।
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