महिला सरपंच की वजह से सुधरा हरियाणा के इस गांव का बिगड़ा लिंगानुपात

हरियाणा में महिलाओं की बुरी स्थिति और बड़े लिंगानुपात के चर्चे अक्सर होते रहते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से इस स्थिति में लगातार सुधार आ रहा है। हरियाणा की बेटियों के खेल से लेकर पढ़ाई तक के क्षेत्र में बढ़ते कदम की वजह से अब यहां पर धीरे-धीरे बदलाव की बयार बहने लगी है। इसके अलावा सामाजिक व जागरूकता अभियान से भी पूरे राज्य में बदलाव हो रहा है। सामाजिक प्रयासों में अहम रोल सेल्फी विद डॉटर फांउडेशन की शुरुआत करने वाले सरपंच सुनील जागलान का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
आज हम एक ऐसी ही महिला सरपंच की बात करने जा रहे हैं, जिनके प्रयासों की वजह से उनके गांव में महिला लिंगानुपात आज पुरूषों से भी ज्यादा बढ़ गया है। एक समय पूरी तरह से गांव के बिगड़े लिंगानुपात को सुधारने का बीड़ा जब महिला सरपंच ने उठाया तो गांव की तस्वीर बदल गई। आज यहां की महिला सरपंच पूरे जनपद के लिए रोड मॉडल बन गई हैं।
यह महिला सरपंच है फतेहाबाद जनपद के म्योंद खुर्द पंचायत की। 31 वर्षीय महिला युवा सरपंच रुपिंद्र कौर लिंगानुपात को सुधारने के लिए सक्रिय हैं। उनके अनुसार उनके अपने गांव म्योंद खुर्द में लिंगानुपात में दोगुना का सुधार आया है। 3 वर्ष पहले 2015 में फतेहाबाद के गांव म्योंद खुर्द का लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 445 लड़कियां था लेकिन 2 वर्ष पहले रुपिंद्र कौर ने सरपंच बनने के बाद इसमें सुधार करने का बीड़ा उठाया।
गांव की महिलाओं ने दिया सरपंच रुपिंद्र का साथ
उनके हाथ में जैसे ही गांव की सरकार आई तो उन्होंने गांव का लिंगानुपात बढ़ाने के लिए हर वह प्रयास किया, जिससे की गांव के बिगड़े लिंगानुपात को सुधारा जा सके। महिलाओं को समझाने से लेकर अधिकारियों तक की मीटिंगें आयोजित कराई गई। जिससे की महिलाओं की मानसिक स्थिति में बदलाव लाया जा सके। रूपिंद्र कौर कहती हैं कि सरपंच बनते समय उन्होंने संकल्प लिया था कि इस अंतर को बराबर पर लाएंगी। 2 वर्ष तक हमने अनथक प्रयास किए और इसी का परिणाम यह है कि आज 1000 लड़कों पर 1121 लड़कियां हैं।
रुपिंद्र इसका श्रेय गांव की उन महिलाओं को देती हैं। जिन्होंने उनकी बात को माना और बेटा-बेटी के फर्क को दरकिनार करते हुए बेटियों को जन्म लेने दिया। इस काम में उनका साथ गांव की आशा वर्कर, आंगनबाड़ी वर्कर व उनकी साथी बनी युवतियों ने दिया। इन लोगों ने महिलाओं की मानसिकता बदलने का प्रयास किया इसके अलावा गांव की बेटियों ने अपने घर में इसी बहस छेड़ी। जिसका नतीजा रहा है कि आज गांव में बदलाव की बयार आ गई और जिला प्रशासन ने इस गांव को लिंगानुपात सुधारने के लिए रोल मॉडल चुना।
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