सीएम योगी के खिलाफ सपा, बसपा और कांग्रेस ने किसे उतारा चुनावी मैदान में, जानें सब कुछ

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के शहरी विधानसभा सीट से नामांकन भर चुके हैं। सबसे पहले इस सीट पर बीजेपी ने ही अपना प्रत्याशी घोषित किया था। सीएम योगी के साथ मुकाबले में शुरू में केवल आजाद पार्टी के चंद्रशेखर आजाद और निर्दलीय पार्टी से खड़े विजय सिंह थे। लेकिन हाल ही में सपा, बसपा और कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।
गोरखपुर शहरी सीट से समाजवादी पार्टी ने सुभावती शुक्ला, बसपा ने ख्वाजा शमसुद्दीन तो कांग्रेस ने चेतना पांडेय को चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। इस जातीय समीकरण ने इस सीट पर मुकाबले को और अधिक दिलचस्प बना दिया है।
आइए जानते हैं कौन है ये गोरखपुर शहरी सीट के नए दावेदार
सुभावती शुक्ला- सपा ने बीजेपी के पूर्व नेता उपेंद्र शुक्ला की पत्नी सुभावती को टिकट दिया है। हाल ही में सुभावती अपने बेटे के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हुई हैं। गोरखपुर में लंबे समय तक बीजेपी के नेता रहे उपेंद्र शुक्ला कभी योगी आदित्यनाथ के करीबी थे। 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद जब योगी ने गोरखपुर सीट खाली की तो पार्टी ने उपेंद्र शुक्ला पर ही भरोसा जताया। तब समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रहे प्रवीण निषाद (निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के पुत्र और वर्तमान में संतकबीरनगर से भाजपा के सांसद) ने उन्हें हरा दिया था। 2019 में भाजपा ने उपेन्द्र शुक्ला की जगह भोजपुरी फिल्म स्टार रविकिशन शुक्ल को मैदान में उतारा था। उनके परिवार का आरोप है कि लंबे समय तक उपेंद्र ने जिस पार्टी की सेवा की उसके नेता अब उनकी सुध नहीं ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि सपा सुभावती शुक्ला को योगी के खिलाफ उतार कर ब्राह्मण कार्ड खेलने की कोशिश कर रही है। और उपेंद्र शुक्ला की मौत पर सहानुभूति पाकर जीतने की कोशिश कर रही है।
ख्वाजा शमसुद्दीन- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने गोरखपुर शहर सीट पर ख्वाजा शमसुद्दीन को पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतारा है। गोरखपुर शहरी सीट पर बसपा के उम्मीदवार बने शमसुद्दीन ठेकेदार हैं। वह बसपा से बीते 20 सालों से जुड़े हैं। अभी तक वह पार्टी के कई पदों पर अपनी सेवा दे चुके हैं। साल 2000 में पार्टी के सिंबल से पार्षद का भी चुनाव गोरखपुर से लड़ चुके हैं। वर्तमान समय में पार्टी का मुख्य सेक्टर प्रभारी गोरखपुर मंडल के तौर पर काम कर रहे हैं। बसपा इस तरह से मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती है। ब्राह्मण समुदाय को लुभाने के लिए वह 'प्रबुद्ध सम्मेलन' करती आई है। बसपा को लगता है कि इस सीट पर मुस्लिम, दलित और ब्राह्मण वोटों के जरिए वह चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है।
चेतना पांडेय- योगी के खिलाफ कांग्रेस ने गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. चेतना पांडेय को प्रत्याशी बनाया है। डॉ. चेतना पांडेय 2005 में गोरखपुर विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष रही हैं। उसके बाद काफी समय तक वे योगी आदि्त्यनाथ के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(ABVP) के साथ भी जुड़ी रहीं। 2019 में चेतना पांडेय कांग्रेस में शामिल हुई थी। राजनीति के साथ ही डॉ चेतना पांडेय कवियत्री, तबला वादक और पत्रकार भी रही हैं। काफी समय से गोरखपुर जोन के 11 जिलों में महिलाओं के लिए काम कर रही है। इसके साथ ही गोरखपुर विश्विवद्यालय में छात्र राजनीति में महिलाओं की हिस्सादारी बढ़ाने में चेतना पांडेय का काफी योगदान रहा है।
सीट पर करीब करीब 4.50 लाख वोटर
गोरखपुर शहरी सीट पर करीब 4.50 लाख वोटर हैं। जिनमे सबसे अधिक कायस्थ वोटर की संख्या है। यहां कायस्थ 95 हजार, ब्राहम्ण 55 हजार, मुस्लिम 50 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, वैश्य 45 हजार, निषाद 25 हजार, यादव 25 हजार, दलित 20 हजार इसके अलावा पंजाबी, सिंधी, बंगाली और सैनी कुल मिलाकर करीब 30 हजार वोटर हैं।
आपको बता दें कि इस सीट पर बीते तीन दशकों से ज्यादा समय से भाजपा उम्मीदवार भारी मतों से विजयी होते रहें हैं। भाजपा की इस जीत के पीछे सबसे बड़ी वजह मंदिर का आशीर्वाद एवं समर्थन रहा है।
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