उत्तर प्रदेश के विधायक कोरोना से बचाव के लिए खर्च कर सकेंगे पूरी निधि
कोरोना वायरस का संकट अब देश में बढ़ता ही जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में अब तक कोरोना के कुल 1637 मामले हो गए हैं। पिछले 24 घंटे में ही कोरोना के नए 386 मामले मिले हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश में भी कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या भी 100 के पार पहुंच गई है। यूपी में लगातार बढ़ रहे मरीजों को देखते हुए इसके बचाव के लिए अब जरूरी उपाय किए जा रहे हैं। वहीं, आज उत्तर प्रदेश सरकार ने विधायक निधि से खर्च करने की पूरी छूट दे दी है। अब यूपी के विधायक अपने क्षेत्र में कोरोना वायरस से बचाव के लिए एक वर्ष की पूरी निधि खर्च कर सकेंगे। वह अपनी निधि महामारी से बचाव के लिए चिकित्सीय सुविधाएं प्रदान करने में लगा सकते हैं। यूपी सरकार ने विधायकों को अपनी निधि विधानसभा क्षेत्र से बाहर भी खर्च करने की छूट दी, लेकिन एक शर्त रख दी है कि इसका प्रयोग विधायकों को जिले की सीमा के भीतर ही करना होगा।
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मुख्यमंत्री ने दी विधायकों को शिथिलता
इस समय कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। यही नहीं, तैयारियों का जायजा लेने के लिए स्थलीय निरीक्षण भी कर रहे हैं। प्रदेश में इनकी संख्या कम से कम रहे इसीलिए अब अस्पतालों को तैयार किया जा रहा है और लोगों को जरूरी उपकरण भी बांटे जा रहे हैं। इसी क्रम में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निधि खर्च करने की स्वीकृति भी दे दी है। सीएम योगी से स्वीकृति मिलने के बाद मंगलवार को एक शासनादेश जारी कर दिया गया है। यूपी के ग्राम्य विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह ने बताया कि कोरोना संकट से निपटने के लिए अब विधायक निधि के उपयोग की बंदिशें शिथिल कर दी गई हैं। वह लोग अपने जिले के अस्पतालों में वेंटिलेटर, परीक्षण किट, मास्क, थर्मल एमेजिंग स्कैनर, दस्ताने व सैनीटाइजर जैसे जरूरी चिकित्सीय उपकरणों की पूर्ति के लिए निधि से पैसा दे सकते हैं। विधायक सरकारी अस्पतालों के अलावा जिले के राजकीय मेडिकल कालेजों में भी जरूरी संसाधन जुटाने में निधि से मदद कर सकते हैं।
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सरकार ने किया धनराशि में बदलाव
केंद्रीय सांसदों को अनुमति मिलने के बाद यूपी के कई विधायकों ने अपनी राशि कोरोना वायरस से बचाव के लिए दे दी थी, लेकिन तब तक मानक तय नहीं किए गए थे। शासन स्तर पर विधायक निधि आवंटन के नियमों में 26 मार्च, 2020 को बदलाव किया गया था। निधि आवंटन नियमावली में किए बदलाव के तहत कोरोना संकट से निपटने के लिए अब विधायक अपनी निधि से एक वर्ष में डेढ़ करोड़ रुपये दे तक चिकित्सीय सुविधाओं व उपकरण आदि खरीदने के लिए दे सकेंगे। विधायक निधि से होने वाली खरीददारी में एक शर्त रखी गई है कि विधायक किसी एक संस्था को 25 लाख रुपये से अधिक की धनराशि नहीं दे सकेंगे। अलग-अलग संस्थाओं को धनराशि देकर ही कुल डेढ़ करोड़ रुपये तक दिए जा सकते हैं। यूपी के ग्राम्य विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह ने बताया कि नगरीय क्षेत्र के विधायक भी ग्रामीण इलाकों में निधि का प्रयोग कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि यह व्यवस्था 31 मार्च 2021 तक के लिए ही होगी। मंगलवार को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों व मुख्य विकास अधिकारियों को इसके निर्देश भेज दिए गए हैं, ताकि कोरोना संक्रमण से बचाव कार्यो में तेजी लायी जा सके।
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बेहतर होगी अस्पतालों की स्थिति
विधायकों की निधि से अगर अस्पतालों में रुपया लगेगा, तो इससे सरकारी अस्पतालों की स्थिति पहले से बेहतर हो सकती है। जिले के अधिकतर सरकारी अस्पतालों में अभी वेंटिलेटर जैसी सुविधाएं नहीं है। अस्पतालों में यह सुविधा न होने के कारण लोगों को प्राइवेट अस्पतालों का ही सहारा लेना पड़ता है। अब विधायक निधि से वेंटिलेटर लगवाने की छूट दी गई है, इससे उम्मीद है कि स्थानीय प्रतिनिधि अपने क्षेत्र के अस्पतालों में वेंटिलेटर जैसे जरूरी चिकित्सीय उपकरण को लगवाएंगे।
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केंद्र सरकार ने तय किए मानक
कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) के अंतर्गत छूट दी है। कांग्रेस के राज्यसभा के सांसद विवेक तन्खा की मांग पर पीएम मोदी ने इसकी स्वीकृति दी है। केंद्र सरकार की तरफ से तय मानको के अनुसार चिकित्सीय उपकरणों की खरीददारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी या राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य ही करा सकते हैं। खरीददारी के बाद जिला स्तरीय ऑडिट भी कराया जाएगा। केंद्रीय सांसद निधि का उपयोग चिकित्सीय उपकरणों के साथ ही साथ अन्य चीजों में भी किया जाएगा। इसका प्रयोग रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षित दूरी से तापमान परीक्षण व थर्मल एमेजिंग स्कैनर, सैनिटाइजेशन व फागिंग कराने जैसी व्यवस्था भी की गई है।
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