लोकसभा चुनाव 2024 रुझानों में भारतीय जनता पार्टी भले ही अपने दम पर सरकार बनाने से चूकती दिख रही हो लेकिन एक बात तो साफ है कि देश में एक बार फिर एनडीए की सरकार आ रही है। पीएम नरेंद्र मोदी 3.0 लोगों को फिर देखने को मिलेगा। यह कहा जाता है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। जिस पार्टी ने यूपी की लड़ाई जीत ली, वो लोकसभा चुनाव भी आसानी से जीत लेता है। इस बार यूपी के दो लड़कों ने पीएम मोदी के विजय रथ पर ब्रेक लगा दिया। राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका दिया।
उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को अब तक के रुझानों में 35 सीटें मिलती दिख रही है। वहीं, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का इंडिया गठबंधन भी 44 सीटों पर आगे है। बीएसपी को स्टेट में एक भी सीट मिलती नहीं दिख रही. अन्य के खाते में एक सीट जाती दिख रही है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के बीच गठबंधन हुआ था। तब कांग्रेस इस अलायंस का हिस्सा नहीं थी। तब यह तीनों दल मिलकर भी बीजेपी को उत्तर प्रदेश में ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाए थे। 2019 में बीजेपी ने यूपी की 80 में से 62 सीटें अपने नाम की थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 71 सीटों पर भारी भरकम जीत दर्ज की थी।
भले ही इंडिया गठबंधन के तहत राहुल गांधी और अखिलेश यादव की पार्टियां साथ मिलकर चुनाव लड़ी हों लेकिन जब बात सीट शेयरिंग की आई तो अखिलेश यादव जरा भी समझौते के मूड में नहीं दिखे। 17 सीटों की पेशकश पर जब कांग्रेस की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया तो अखिलेश ने एक-एक कर बाकी बचे क्षेत्रों में अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करना शुरू कर दिया। नौबत बंगाल की तर्ज पर यूपी में भी गठबंधन टूटने पर आ गई थी। अंतिम वक्त पर राहुल गांधी एंड कंपनी 17 सीटों पर मैदान में उतरने को राजी हो गई। सपा ने 62 सीटों पर चुनाव लड़ा। एक सीट टीएमसी के उम्मीदवार को दी गई।