
कर्नाटक में भाजपा नेता एन. आर. रमेश ने कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा पर बेंगलुरु के येलहंका क्षेत्र में 12.35 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप लगाया है। आरोप के मुताबिक, इस जमीन की मौजूदा कीमत 150 करोड़ रुपये से अधिक है।
भाजपा नेता रमेश के अनुसार,
- सैम पित्रोदा ने 1993 में फाउंडेशन फॉर रिवाइटलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशन (FRLHT) नामक एक संस्था पंजीकृत करवाई।
- उन्होंने कर्नाटक के वन विभाग से औषधीय पौधों के संरक्षण और अनुसंधान के नाम पर एक आरक्षित वन क्षेत्र को लीज पर देने का अनुरोध किया।
- कर्नाटक सरकार ने 1996 में बेंगलुरु के येलहंका के पास जरकबांडे कवल क्षेत्र में 12.35 एकड़ जमीन FRLHT को 5 साल के लिए लीज पर दी।
- 2001 में यह लीज खत्म हो गई, लेकिन वन विभाग ने इसे अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया।
- 2 दिसंबर 2011 को यह लीज समाप्त हो गई और इसे आगे नहीं बढ़ाया गया।
- रमेश का दावा है कि लीज समाप्त होने के बाद भी यह जमीन सरकारी रिकॉर्ड में वापस नहीं आई।
- वन विभाग ने अब तक जमीन वापस लेने का कोई प्रयास नहीं किया।
शिकायत और कानूनी कार्रवाई की मांग
एन. आर. रमेश ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने मांग की है कि:
- जमीन कब्जे के मामले में शामिल अधिकारियों और संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।
- ED इस मामले में वित्तीय गड़बड़ी और जमीन से जुड़े ट्रांजैक्शनों की जांच करे।
- सरकार वन विभाग से इस जमीन को वापस लेने की कार्रवाई करे।
इन आरोपों पर सैम पित्रोदा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जवाब देते हुए कहा,
“भारतीय मीडिया में आई रिपोर्ट्स के संदर्भ में मैं कहना चाहता हूं कि मेरे पास भारत में कोई जमीन-घर या शेयर नहीं है। 1980 के दशक में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ और 2004 से 2014 तक डॉ. मनमोहन सिंह के साथ काम करने के दौरान मैंने कभी कोई वेतन नहीं लिया। मैंने अपने 83 साल के जीवन में कभी भी भारत या किसी अन्य देश में रिश्वत नहीं दी है या स्वीकार नहीं की है। आरोप गलत है।”