राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट ने मानी विपक्षी याचिकाकर्ताओं की दलील
राफेल डील का मामला एक बार फिर से चर्चा में आ चुका है। इस बार विपक्ष को इस मामले में सफलता मिली है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील सौदे पर केन्द्र सरकार को झटका देते हुए पुनर्विचार याचिकाओं को स्वीकार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को क्लीन चिट दिए जाने की पुनर्विचार याचिकाओं को स्वीकार करते हुए केन्द्र की आपत्तियों को खारिज कर दिया है। मामले में तीन जजों की बेंच ने एकमत होकर कहा कि अब नए दस्तावेजों के आधार पर फैसला सुनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इसके लिए सुनवाई की तारीखों की भी घोषणा करेगा। इस मामले में सरकार के खिलाफ पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और अरुण शौरी ने याचिका दाखिल की थी।
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केन्द्र सरकार की दलीलों को ठुकराया
याचिकाकर्ताओं ने विभिन्न अखबारों और वेब पोर्टल्स पर इस प्रकरण में प्रकाशित खबरों का हवाला दिया था। जिसके देखते हुए प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि इस मामले में नए दस्तावेजों पर ध्यान देना जरूरी है। आपको बता दें कि पहले केन्द्र सरकार ने इन दस्तावेजों को अति गोपनीय बताते हुए कोर्ट में पेश करने पर एतराज जताया था। एक अंग्रेजी अखबार ने इन दस्तावेजों की प्रतिलिपि को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद केन्द्र सरकार ने कहा कि ऐसा देश की सुरक्षा के लिए संवेदनशील है, यह दस्तावेज अवैध तरीके से फोटोकॉपी किए गए थे।
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दलाली का आरोप लगाता रहा है विपक्ष
विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस इस मामले में केन्द्र सरकार पर हमला करती रही है। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल डील पर हमलावर रहे हैं। वह राफेल सौदे में घोटाले का आरोप लगाते रहे हैं। कांग्रेस का आरोप रहा है कि रक्षा खरीद में संशोधन कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र ने कुछ करीबी उद्योगपतियों को बड़ा फायदा पहुंचाया है। कई गुना महंगे राफेल विमान खरीदे गए हैं, जिससे देश पर बड़ा आर्थिक बोक्ष पड़ा है।
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