मोदी सरकार नदियों को जोड़ कर बाढ़ और सूखे का करेगी स्थाई सामाधान

हाल के दिनों में भारत और उसके पड़ोसी देश बांग्लादेश और नेपाल में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। इससे पहले के दो साल में इन इलाकों ने सूखे का दंश झेला। मोदी सरकार ने इस विशाल परियोजना के पहले चरण पर तेजी से अमल के लिए कदम बढ़ा दिये हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके लिए निजी तौर पर दिलचस्पी दिखायी है।
22 किलो मीटर बनेगी लंबी बांध
परियोजना के तहत उत्तर मध्य भारत के इलाके में केन नदी को 22 किलोमीटर लंबी बांध बना कर छिछले बेतवा नदी से जोड़ा जाना है। दोनों नदियां उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों और मध्य प्रदेश से हो कर बहती हैं। इन दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है और प्रधानमंत्री को उम्मीद है कि केन बेतवा प्रोजेक्ट दूसरे राज्यों के लिए भी नजीर बनेगा।
5,55,593 करोड़ होगा खर्च
पांच लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की इस परियोजना के तहत भारत की बड़ी नदियों को आपस में जोड़ा जाना है। इस के लिए बड़ी संख्या में नहर, पुल और बांध बनाये जायेंगे। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि भरपूर पानी वाली नदियों जैसे गंगा, गोदावरी और महानदी से बांध और नहरों का जाल बना कर जलमार्ग तैयार किये जायेंगे और यह बाढ़ और सूखे से लड़ने का एकमात्र तरीका है।
अटल की सरकार ने की थी पहल
नदियों को जोड़ने का पहली बार प्रस्ताव 2002 में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के शासन में ही आया था. इस पर काम रुक गया क्योंकि राज्य सरकारों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर मतभेद थे और सरकार को अलग अलग विभागों से मंजूरी लेने में भी काफी वक्त लगा। इस बार बीजेपी के सरकार वाली राज्यों से शुरुआत कर के अधिकारियों ने उम्मीद लगायी है कि समझौते तेजी से होंगे और काम जल्दी शुरू होगा।
बांध और सूखे का मिलेगा स्थाई समाधान
मोदी सरकार नदियों को जोड़ने की परियोजना को बाढ़ और सूखे का समाधान बता रही है। इस साल भी पूर्वी और उत्तर पूर्वी इलाके में जहां बाढ़ ने तबाही मचाई वहीं भारी बरसात के कारण मुंबई भी ठहर गयी। इससे उलट दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में ऐसा सूखा पड़ा कि सरकार को पीने के पानी का कोटा तय करना पड़ा।
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
