तीन तलाक पर सुधार को आगे आएं मुस्लिम धर्मगुरु : मोदी

तीन तलाक पर देशभर में चल रही बहस के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने एक अहम बयान दिया है। उन्होंने के मुस्लिम नेताओं से कहा कि वे तीन तलाक मुद्दे को राजनीतिकरण से बचाकर उसमें सुधार की शुरुआत करें।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी में जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद के तत्वावधान में मुस्लिम समुदाय के 25 नेताओं से मुलाकात की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत सद्भाव तथा मेलजोल है और लोगों के बीच भेदभाव करने का सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है।
विविधता में एकता को भारत की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि देश की नई पीढ़ी को विश्व में बढ़ते चरमपंथ का शिकार बनने की मंजूरी नहीं देनी चाहिए।
तीन तलाक के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने दोहराया कि मुस्लिम समुदाय को इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होने देना चाहिए और उन्होंने मौजूद सभी नेताओं से इस संबंध में सुधार शुरू करने की जिम्मेदारी लेने के लिए कहा। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के रुख की भी प्रशंसा की।
मुस्लिम नेताओं ने घाटी के हालातों पर जताई चिंता
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कश्मीर घाटी के हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि 'केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे का समाधान कर सकते हैं।'
इस बात का उल्लेख करते हुए कि नया भारत बनाने में मुस्लिम समुदाय बराबर की साझेदारी का इच्छुक है, प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों ने कहा कि आतंकवाद एक बड़ी चुनौती है और उन्होंने इससे पूरी ताकत के साथ निपटने का संकल्प जताया। प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि यह मुस्लिम समुदाय की जिम्मेदारी है कि किसी भी हालात में किसी को भी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करने देना चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल में जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मनसूरपुरी, संस्था के महासचिव मौलाना महमूद ए. मदनी, मुंबई के अंजुमन-ए-इस्लाम के अध्यक्ष जहीर आई. काजी, शिक्षाविद् अख्तरुल वासे तथा मौलाना बदरुद्दीन अजमल भी शामिल थे।
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