जनता के सबसे पंसदीदा मुख्यमंत्री बने पवन चामलिंग, ज्योति बसु का तोड़ा रिकार्ड

अपने भारत के लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबी यही है कि यहां पर जनता की अदालत से चुनाव जीतकर आने के बाद ही शासन करने का मौका मिलता है। सबसे बड़े लोकतंत्र वाले देश भारत में जनता के बीच अपना विश्वास बनाए रखना बहुत बड़ी बात होती है।
ऐसे बहुत ही कम नेता होते हैं जो कि जनता के बीच में अपना विश्वास बनाए रख पाते हैं। ऐसे ही नेताओं की लिस्ट में एक और नेता का नाम जुड़ गया है जिन्होंने सबसे लंबे समय तक अपनी सीट बचाई रखी और जनता के मनपसंद नेता बने रहे। ये हैं सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग है, जिन्होंने भारत के इतिहास में किसी भी राज्य में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने वाले पहले मुख्यमंत्री बन गये हैं।
उन्होंने अभी तक सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे ज्योति बासु के नाम रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है। पवन चामलिंग अब पहले और ज्योति बसु दूसरे नंबर पर आ गए हैं। पवन कुमार चामलिंग ने 29 अप्रैल, 2018 को इतिहास रच दिया।
ज्योति बसु पहली बार बने थे 1977 मुख्यमंत्री

ज्योति बसु 21 जून 1977 से लेकर 5 नवंबर 2000 तक सीएम रहे। पांचवां कार्यकाल ज्योति बसु ने खराब सेहत की वजह से पूरा नहीं किया और सीएम की कुर्सी बुद्धदेव भट्टाचार्य को सौंप दी थी। पश्चिम बंगाल में सीपीएम की 34 साल की सरकार में ज्योति बसु 23 साल 137 दिन तक मुख्यमंत्री रहे। वहीं पवन चामलिंग 23 साल 4 महीने 37 दिनों तक मुख्यमंत्री के कुर्सी पर बने रहे। पवन चामलिंग 12 दिसंबर 1994 को पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।
पवन को हराना बहुत मुश्किल

12 दिसंबर 1994 को पहली बार पवन कुमार सिक्किम के मुख्यमंत्री चुने गए। उन्होंने अपना पांचवां कार्यकाल शनिवार को पूरा कर लिया। पवन चामलिंग ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं। अपने इस रिकॉर्ड के लिए मैं सिक्किम की जनता को धन्यवाद देना चाहता हूं। जनता के विश्वास, भरोसे और समर्थन के बिना यह संभव नहीं होता।’ उन्होंने कहा कि जनता के दुआओं के कारण ही मैं इतने दिनों तक राज्य का प्रतिनिधित्व कर पाया।
उनके विरोधी भी मानते है कि उन्हें हटाना अभी आने वाले सालों में आसान नहीं दिख रहा है। पवन कुमार ने नर बहादुर भंडारी सरकार में मंत्री थे। उन्होंने भंडारी से ही राजनीतिक दांव पेच सीखा, लेकिन बाद में उन्हें तानाशाह बताकर उनसे रास्ते अलग कर लिए गए। इसके बाद 1994 से 2009 तक नरबहादुर भंडारी अपने चेले को चुनौती देने की असफल कोशिश करते रहे। अभी देश में अगर इनके रेकॉर्ड तोड़ने के आस-पास कोई दूसरे सीएम है तो वह हैं ओडिशा के नवीन पटनायक जो 2000 से राज्य के लगातार सीएम बने हुए हैं।
पवन कुछ इस रणनीति से लड़ते हैं चुनाव
पवन चामलिंग के करीबियों के अनुसार वह राज्य में दो मोर्चे पर हमेशा एक साथ लड़ते हैं। 1994 से लेकर 2017 तक उन्होंने 14 कल्याणकारी योजनाएं लॉन्च की। सिक्किम अकेला ऐसा राज्य है जहां पूरी तरह आर्गेनिक खेती होती है। उन्होंने महिलाओं को नौकरी में 30 फीसदी आरक्षण दिया। इन योजनाओं की बदौलत राज्य के लोगों के बीच पवन कुमार पॉप्युलर बने रहे। यही वजह है कि विरोधी उनके आगे कहीं पर नहीं टिक पा रहे हैं।
1973 में राजनीति से जुड़े

22 सितंबर 1950 में जन्मे पवन कुमार चामलिंग राजनीति में 1973 में आए। 1985 में पहली बार एमएलए बने। इसके बाद नरबहादुर भंडारी की सरकार में मंत्री बने। 1993 में उन्होंने अपनी पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाई और पार्टी बनाने के एक साल के अंदर ही वे सत्ता में आ गए। तब से वह लगातार सत्ता में हैं। उनके दबदबे का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि 2014 के विधानसभा चुनाव में 32 सीट में 29 सीट जीती और एकमात्र लोकसभा सीट भी जीती। 2009 में तो सभी 32 सीट जीतकर रिकॉर्ड बनाया। वहीं 2004 में 31 सीटें जीती थी।
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