बीजेपी से गठबंधन पर एनसीपी में फूट, शरद पवार ने कही ये बात
महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को परिणाम आने के बाद सत्ता को जारी सियासी घमासान का आखिरकार अंत हो गया है। शनिवार की सुबह भाजपा की तरफ से देवेंद्र फडणवीस ने एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री की शपथ ले ली हैं। उनके साथ ही एनसीपी के नेता अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री की भी शपथ ली हैं। बता दें राज्य में पिछले एक महीने से राज्य में सरकार को लेकर अटकलों का दौर जारी था, कि इसी बीच भारतीय जनता पार्टी और एनसीपी ने मिलकर महाराष्ट्र में सरकार का गठन कर लिया है।
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सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने एनसीपी से गठबंधन करके पार्टी में फूट डाल दी है। एनसीपी दो धड़ों में एक शरद पवार और दूसरा अजित पवार के खेमे में बंट गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि अजित पवार ने राज्पाल को 25 से 30 विधायकों की सूची सौंपी है। अब बीजेपी और एनसीपी को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना होगा। हैरानी इस बात की है कि राज्य में सरकार के गठन की भनक न तो शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को रही होगी, न ही कांग्रेस को। अब यहां तक कि अंदाजा लगाया जा रहा है कि बीजेपी के भी कई नेताओं को नहीं पता रहा होगा कि रात में महाराष्ट्र में इस तरह का तख्ता पलट हो जाएगा। देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के शपथ लेते ही राष्ट्रपति शासन हटाने की भी अधिसूचना जारी कर दी गई। कैबिनेट की मंजूरी मिल भी गई और शिवसेना को भनक तक नहीं लग पाई।
एनसीपी का नहीं बल्कि अजित का निजी फैसला
न्यूज एजेंसी से एनसीपी के नेता शरद पवार ने कहा है कि बीजेपी को समर्थन करना अजित पवार का निजी फैसला है। एनसीपी उनके साथ इस फैसले में शामिल नहीं है। शरद पवार ने कहा, 'मैं उनके इस फैसले का किसी तरह से समर्थन नहीं करता हूं।' बता दें राज्य में 21 अक्टूबर को विधानसभा वोट डाले गए थे और 24 अक्टूबर को चुनाव के परिणाम समाने आए थे। राज्य में बीजेपी को 105 सीटें मिली थीं जबकि शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं। इसके अलावा कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं जबकि एनसीपी को 54 सीटें मिली थीं।
अजित पवार ने आखिर क्यों दिया समर्थन
आज उपमुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद अजित पवार ने कहा कि हम लोगों की समस्या के लिए साथ आए हैं। हम किसानों की समस्या को खत्म करना चाहते हैं। उनकी भलाई के लिए ही हम राज्य में सरकार का गठन करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों ने जिसे सरकार बनाने के लिए चुना था उन्हीं को सरकार बनानी भी चाहिए। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि अजित पवार के पुराने घोटाले के मामले है, जिनको लेकर ईडी ने नोटिस जारी किया है। अपने पुराने घोटालों को दबाने के लिए वह बीजेपी के साथ में आए हैं।
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