'मन की बात' में PM मोदी की छात्रों को सलाह- परीक्षा को उत्सव की तरह समझें

वार्षिक परीक्षाओं में शामिल होने जा रहे छात्रों के ऊपर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को उनसे परीक्षाओं को उत्सव की तरह समझने और नकल से बचने के लिए कहा। मोदी ने अपने मासिक रेडियो संबोधन 'मन की बात' में कहा कि स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए आराम सर्वाधिक कारगर दवा है। उन्होंने युवाओं से वीरता पुरस्कार पाने वाले सैनिकों की बहादुरी के बारे में सोशल मीडिया पर लिखने का भी आग्रह किया।
परीक्षाएं खुशी का एक अवसर होना चाहिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि परीक्षाएं छात्रों, माता-पिता और अध्यापकों के लिए तनाव का कारण होने की बजाय खुशी का अवसर होनी चाहिए। मोदी ने कहा, ' परीक्षाएं खुशी का एक अवसर होना चाहिए। कुछ छात्रों के लिए परीक्षा खुशी की बात होती है, लेकिन ज्यादातर के लिए यह दबाव है। यह आप पर है कि आप खुशी और दबाव में से किसका चयन करते हैं।' मोदी के मुताबिक, ' जो इसे खुशी की तरह समझेंगे वे ज्यादा अंक हासिल कर पाएंगे। जो इसे दबाव के रूप में लेंगे, वे पछताएंगे।'
प्रसन्नचित मन अच्छे अंक लाने का राज
मोदी के अनुसार, ' आराम आपकी याददाश्त बढ़ाता है, बातें याद आती है। जब आप तनाव में होते हैं तो सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं। यह आपके लिए बोझ बन जाता है। स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए आराम सर्वाधिक कारगर दवा है।' उन्होंने कहा, ' प्रसन्नचित मन अच्छे अंक लाने का राज है, इसलिए ज्यादा मुस्कराएं, ज्यादा अंक लाएं।' मोदी ने छात्रों से कहा कि उन्हें दूसरों से प्रतिस्पर्धा करने के बजाय खुद से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षाएं सफलता का मानदंड नहीं होतीं। उन्होंने इस संबंध में क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर का उदाहरण भी दिया।
नकल करना बुरी बात
मोदी ने कहा, ' ए.पी.जे.अब्दुल कलाम वायुसेना के लिए चयनित नहीं हो पाए थे। अगर उन्होंने हार मान ली होती और अपनी लड़ाई जारी नहीं रखी होती तो देश को एक महान वैज्ञानिक और राष्ट्रपति नहीं मिल पाता।' प्रधानमंत्री ने परीक्षाओं के दौरान व्यायाम, समुचित आराम और पर्याप्त नींद लेने पर जोर दिया। मोदी ने कहा कि नकल करना बुरी बात है, इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंक और अंकतालिका की सीमित उपयोग होता है। इनके पीछे भागने के बजाए कौशल और ज्ञान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मोदी ने नागरिकों के अधिकार और कर्तव्यों पर चर्चा के अभाव पर दुख जताया।
उन्होंने कहा, ' नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर उतना चर्चाएं नहीं हो रही हैं, जितनी होनी चाहिए। मुझे उम्मीद है कि अधिकार के साथ ही कर्तव्यों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।' उन्होंने भारतीय तटरक्षक बल की तटीय सुरक्षा और तटीय सफाई व रखरखाव के लिए तारीफ की। एक फरवरी को भारतीय तटरक्षक बल की स्थापना के 40 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
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