महाराष्ट्र: सियासी ड्रामा का समझिए गणित, आखिर क्यों लगा राष्ट्रपति शासन

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी अभी सियासी ड्रामा जारी है। भाजपा के मना करने के बाद शिवसेना ने सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के सामने पेश किया, लेकिन अचानक बाजी उनके हाथों से निकल गई। कांग्रेस और एनसीपी ने शुरु में पत्ते नहीं खोले, जिसके चलते शिवसेना राज्य में सरकार बनाने में नाकाम रही। हालांकि अभी भी राज्य में शिवसेना सरकार बनने के लिए प्रयास कर रही है। इस घटनाक्रम पर अभी भी सबकी निगाहें अब कांग्रेस और एनसीपी पर है, आखिरकार उनके अगले कदम क्या होंगे। आइए, जानें यहां के सियासी घटनाक्रम पर दस बातें:
महाराष्ट्र में राज्यपाल ने की राष्ट्रपति शासन की सिफारिश, जानिए क्या हैं सियासी समीकरण
महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर पढ़ें, खास दस प्वाइंट
1- राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग मंगलवार को की और कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया। वहीं, मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, महासचिव और प्रदेश प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल मुम्बई में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की।
2- शाम को एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं ने प्रेस कांफ्रेस की। एनपीसी प्रमुख शरद पवार ने कहा- हम महाराष्ट्र में दोबारा चुनाव नहीं चाहते। कांग्रेस से चर्चा पूरी होने के बाद शिवसेना से बात होगी। हमें किसी तरह की जल्दबाजी नहीं है। वहीं, एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं ने मौजूदा हालात पर चर्चा की। शिवसेना ने पहली बार कांग्रेस और एनसीपी के साथ आधिकारिक रूप से संपर्क किया था।
3- सोमवार को शिवसेना के मंत्री अरविंद सावंत के केंद्र सरकार से इस्तीफा दिए जाने के बाद से मुंबई के लेकर दिल्ली में गतिविधियां तेज हो गईं है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से टेलीफोन पर बातचीत के बाद ऐसा लगा कि बस अब औपचारिक ऐलान बाकी है। लेकिन यहां पर पिछले रिकॉर्ड और भविष्य की नीति को देखते हुए अभी तक कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में एकराय नहीं बन पाई।
4- ऐसा कहा जा रहा है कि सोमवार को कार्यसमिति की बैठक के दौरान सोनिया गांधी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से फोन पर महाराष्ट्र के घटनाक्रम को लेकर बात की। इस दौरान शरद पवार ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने अभी खुद ही जवाब नहीं दिया है। जब तक ठाकरे की तरफ से कोई जवाब नहीं मिल जाएगा तब तक हम आगे कैसे बढ़ा सकते हैं। शरद पावर से बातचीत के बाद सोनिया गांधी ने समर्थन देने का फैसला मंगलवार के लिए टाल दिया।
5- महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की घोषणा के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी प्रेस कांफ्रेंस की। उद्धव ठाकरे ने कहा, भाजपा को 48 घंटे का समय दिया गया। लेकिन शिवसेना को 24 घंटे का वक्त दिया। हमें पूरा वक्त नहीं दिया गया। हमने राज्यपाल से सरकार बनाने की इच्छा जताई थी। उन्होंने कहा कि हम इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।
आखिर टूट गया शिवसेना-बीजेपी का 30 साल पुराना गठबंधन!
6- कांग्रेस पार्टी को कर्नाटक की तरह यहां पर भी डर सता रहा है कि कर्नाटक की तरह भाजपा यहां पर भी उनके विधायक तोड़ सकती है। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में यह मुद्दा काफी तेजी से उठा। कई सदस्यों का कहना था कि कांग्रेस सरकार में शामिल होती है तो कुछ विधायक ही मंत्री बनेंगे। बाहर से समर्थन करने पर भी विधायकों के टूटने का डर है। इन सब बातों को देखते हुए अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उधर, शिवसेना को समर्थन करने पर कांग्रेस के कई बड़े नेता भी असहमत हैं।
7- राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता दिया है। इसके बाद एनसीपी नेताओं ने कहा, कांग्रेस उनकी गठबंधन सहयोगी है। कांग्रेस से चर्चा के बाद ही भविष्य पर कोई फैसला लिया जा सकता है। हालांकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया है।
8- एनसीपी पार्टी प्रवक्ता नवाब मलिक ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि हम कांग्रेस के साथ बातचीत करेंगे और एक स्थायी सरकार बनाने पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के 18 दिन बाद भी अभी तक सरकार का गठन नहीं हो पाया है।
9- महाराष्ट्र में सरकार गठन पर खींचतान के बीच, एनसीपी और कांग्रेस की बात पर शिवसेना सांसद और केंद्र में भारी उद्योग मंत्री अरविंद सावंत ने सोमवार को एनडीए सरकार से इस्तीफा दे दिया था। अरविंद सावंत ने इस्तीफा देने के बाद भाजपा पर सत्ता में हिस्सेदारी के तय फार्मूले से मुकरने का आरोप भी लगाया था।
10- महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर देर रात तक नाटकीय घटनाक्रम जारी रहा। इसी बीच में भाजपा की दो-दो बार कोर कमेटी की बैठक हुई। इसके बाद पार्टी ने कहा कि पूरे सियासी हालात पर वह नजर बनाए हुए है और आने वाले में वक्त में चर्चा कर कोई फैसला लेने की बात कही गई।
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