महाराष्ट्र: गडकरी से मिले अहमद पटेल, सत्ता को लेकर बड़ी सुगबुगाहट
महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर जारी घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। 9 नवंबर तक राज्य में सरकार के गठन न होने पर राष्ट्रपति शासन लग जाएगा, तो वहीं राज्य में सबसे अधिक सीटें जीतने वाली भाजपा अभी तक राज्यपाल के दर पर नहीं पहुंची है। राज्यपाल से न मिलने की वजह उनकी सहयोगी पार्टी शिवसेना का इस बार साथ न खड़ा होना है। 50-50 फॉर्मूले को लेकर अभी तक शिवसेना और बीजेपी के बीच में बात नहीं बन पाई है। इसी बीच में खबर आ रही है मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस दूसरी बार शपथ ले सकते हैं। लेकिन अगर शिवसेना ने बीजेपी को समर्थन नहीं दिया, तो वह विधानसभा में बहुमत स्पष्ट नहीं कर सकेंगे।
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उधर, राज्य में सरकार के गठन को लेकर कांग्रेस नेता अहमद पटेल व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलने पहुंचें। कांग्रेस नेता अहमद पटेल की इस मुलाकात के बारे में स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर उनकी किस मुद्दे को लेकर मुलाकात थी। वैसे, मौजूदा हालात को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि नई सरकार के गठन को लेकर ही यह मुलाकात हुई है। गडकरी से मुलाकात करके निकले अहमद पटेल से जब पत्रकारों ने सवाल किया, तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, किसानों की समस्या को लेकर गडकरी से मिलने उनके घर गए थे। बता दें महाराष्ट्र की 288 सीटों वाले विधानसभा में इस बार बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54, कांग्रेस को 44 और अन्य को 29 सीटें मिली हैं। यहां पर किसी को भी सरकार बनाने के लिए 146 का बहुमत चाहिए। सीएम के पद को लेकर यहां पर 50-50 फॉर्मूले पर बात नहीं बन पा रही है। बहुमत का आंकड़ा न छूने की वजह से अभी तक नई सरकार का गठन नहीं हो पाया है।
आज की राजनीति हलचल
कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के प्रभारी रहे मल्लिकार्जुन खड़गे आज दोपहर मुंबई पहुंच सकते हैं। वहीं, दोपहर 2:30 के करीब एनसीपी प्रमुख शरद पवार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं।
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि चुनाव से पहले जो प्रस्ताव दिया गया था, हम उसी प्रस्ताव पर राजी होंगे। पार्टी को कोई नया प्रस्ताव मंजूर नहीं है। शरद पवार महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिशों के बीच संजय राउत एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलने के लिए रवाना हुए है, लेकिन उनसे बात नहीं बन पाई है।
संजय राउत ने कहा, 'महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी-शिवसेना के बीच 50-50 फॉर्मूले पर सहमति बनी थी। यहां पर कोई प्रदूषण नहीं है। इस प्रस्ताव के बाद ही दोनों पार्टियां का गठबंधन हुआ था। अब चुनाव बाद बीजेपी अपने वादों से पीछे हट रही है। ऐसे में यहां पर समझौता कैसे हो सकता है।'
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