मध्य प्रदेश की सियासत: आंकड़ा छूने की जुगत में कांग्रेस, मैदान में दिग्गजों की टीम
मध्य प्रदेश में पिछले एक सप्ताह से जारी सियासी ड्रामा अभी आगे भी जारी रहेगा। एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर बीजेपी की निगाहें टिकी हुई, तो वहीं दूसरी तरफ बेंगलुरु में भी कांग्रेस के दिग्गज नेता पहुंच गए है। विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा पाने के लिए कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है। बुधवार की सुबह बेंगलुरु पहुंचकर दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि उनके संपर्क में 5 विधायक है। वहीं, कांग्रेस के विधायकों ने आज राज्यपाल से मुलाकात की। भाजपा पहले ही विधायकों की परेड करा चुकी है। राज्यपाल को 106 विधायकों ने हलफनामा सौंप दिया है। मध्य प्रदेश में विधायकों की संख्या 227 है। कांग्रेस के छह विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो चुके हैं। पार्टी के 16 बागी विधायक इस्तीफे पर अड़े हुए हैं। वहीं, अभी तक इनके इस्तीफे पर फैसला नहीं लिया गया है। विधानसभा में विधायकों की प्रभावी संख्या 206 रह जाएगी। विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या नए समीकरणों में 92 बचेगी। वहीं, कांग्रेस ने अपने विधायकों को जयपुर में शिफ्ट कर रखा है। यहां पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत की देखरेख में रखा गया है। आइए जानतें राज्य का घटनाक्रम...
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बीजेपी ने की लोकतंत्र की हत्या: दिग्विजय
बेंगलुरु पहुंचकर उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि बीजेपी मध्य प्रदेश में जो कर रही है, वह लोकतंत्र की हत्या है उन्होंने कहा कि हम मध्य प्रदेश में बहुत शानदार तरीके से सरकार चला रहे थे, लेकिन हमें ज्योतिरादित्य सिंधिया ने धोखा दे दिया। दिग्विजय का आरोप है कि बागी विधायकों को होटल में रुकने का पैसा बीजेपी दे रही है और इनपर दबाव बना रही है। उन्होंने कहा कि, हम बार-बार बागी विधायकों से मिलने की इजाजत मांग रहे हैं, लेकिन हमें मिलने नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा इसके लिए हम कर्नाटक हाईकोर्ट से इजाजत नहीं दी जा रही है।
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बागी विधायक किसी का झुका सकते हैं पलड़ा: सुप्रीम कोर्ट
बागी विधायकों के मामले की सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा, मध्यप्रदेश में बागी विधायकों की स्थिति पर बिगाड़ने के लिए काफी है। न्यायालय ने कहा कि फिलहाल उसे पता है कि 16 बागी विधायक मध्य प्रदेश में पलड़ा किसी भी ओर झुका सकते हैं। पीठ ने कहा, 16 बागी विधायक या तो सीधा सदन के पटल पर जा सकते हैं या नहीं, लेकिन निश्चित रूप से उन्हें किसी भी स्थिति में बंधक नहीं बनाया जा सकता है। बता दें, कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के इस्तीफा देने से राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ है। राज्य में संकट उत्पन्न होने के बाद भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
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विस. अध्यक्ष ने कहा, अध्यक्ष ही सर्वेसर्वा
कांग्रेस की मांग है कि बागी विधायकों के इस्तीफा की जांच हो। मध्य प्रदेश कांग्रेस में मची हलचल को देखते हुए राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने जांच कराए जाने की मांग की है। अध्यक्ष ने कहा, भाजपा नेताओं द्वारा उसके बागी विधायकों के इस्तीफों के मामले की जांच कराने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को सदन में शक्ति परीक्षण कराने के लिये रात में मुख्यमंत्री या अध्यक्ष को संदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने ने कहा, ‘अध्यक्ष सर्वेसर्वा है और मध्यप्रदेश के राज्यपाल उन्हें दरकिनार कर रहे हैं।’ कांग्रेस का आरोप है कि विधायकों से बलपूर्वक और धमका कर इस्तीफे लिए गए है। विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफा नहीं दिया है। इस मामले पर कांग्रेस के वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा, उसके बागी विधायकों को चार्टर्ड उड़ान से ले जाया गया है और इस समय वे भाजपा द्वारा की गयी व्यवस्था के तहत एक रिजार्ट में हैं तथा उनसे संपर्क नहीं हो सकता है। भाजपा की भूमिका पर कहा, होली के दिन भाजपा नेता विधानसभा अध्यक्ष के आवास पर पहुंचे और उन्हें 19 विधायकों के पत्र सौंपे। इस मामले पर मप्र कांग्रेस विधायक दल ने मंगलवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि उसके बागी विधायकों से संपर्क स्थापित कराने का केंद्र और कर्नाटक की भाजपा सरकार को निर्देश दिया जाए। कांग्रेस का कहना है कि उसके विधायकों को बेंगलुरू की एक रिजार्ट में रखा गया है।
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क्या कहता है सीटों का गणित
मध्य प्रदेश में इस्तीफे से पहले विधायकों की संख्या 227 थी। यहां पर 227 विधायक (2 का निधन और एक BSP विधायक सस्पेंड) की संख्या है। सत्ता में रही कांग्रेस 114+6 सहयोगी मिलाकर 120 थीं, वहीं, बीजेपी के पास विधायकों की संख्या 107 है। वहीं, अब 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कुल (इनमें से सिर्फ 6 के इस्तीफे अभी स्वीकार हुए हैं) विधायक 206 रह गई है। अब राज्य में बहुमत का नया आंकड़ा 104 ही रह गया है। बीजेपी के पास वर्तमान में 107 विधायक है। वहीं, कांग्रेस+सहयोगी मिलाकर 99 यानी बहुमत से 5 कम है। मतलब ऐसी स्थिति में लड़ाई बहुत ही नजदीकी हो जाएगी। अब कांग्रेस यहां पर सरकार बचाने का हर संभव प्रयास कर रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि बीजेपी के चार-पांच विधायक कांग्रेस के संपर्क में है।
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