मोदी के मिशन को इस सांसद ने सच कर दिखाया...

कहते हैं असली भारत गांवों में बसता है। स्मार्ट सिटी की तर्ज पर अगर गावों को स्मार्ट बनाया जाए तो काफी कुछ बदल सकता है। इसका उदाहरण गुजरात के नवसारी जिले में देखने को मिला है। सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) के तहत यहां के चिखली गांव की तस्वीर कुछ यूं बदली कि देखने वाले भी दंग रह जाएं।
ग्रामीण विकास के लिए शुरू की गई इस मुहिम के तहत सांसद चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल ने अक्टूबर 2014 में इस गांव को गोद लिया। योजना के तहत सांसद एक गांव को गोद लेंगे और 2016 तक मॉडल विलेज बनाएंगे, जिसके बाद वे दो या तीन और गांवों को गोद लेकर ऐसे ही विकसित करेंगे।
खुद भी सफाई के काम में हिस्सा लिया
चिखली गांव में विकास कार्य की शुरुआत सड़कों की सफाई से शुरू हुई। गांव वालों के मुताबिक, शुरुआती दिनों में सांसद ने हफ्ते में तीन दिन गांव में बिताए और गांव के लोगों के साथ खुद भी सफाई के काम में हिस्सा लिया।उन्होंने बताया, 'प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में एक ग्राम सभा बुलाई गई, जिसमें गांव में संभावित विकास कार्यों पर चर्चा हुई। चर्चा के बाद हिसाब लगाया गया कि करीब 19 करोड़ रुपये विकास कार्यों में खर्च होंगे।'पीपीपी योजना के तहत गांव में कुल 380 टॉयलेट बनाए गए। इससे गांव के लोगों की जिंदगी आसान हुई। टॉयलेट के अलावा गांव में सड़कें और अन्य निर्माण कार्य भी हुए। मानसून के समय कीचड़ से भर जाने वाले रास्ते की जगह एक अच्छा रास्ता बन गया।
स्कूल-कॉलेज और हेल्थ सेंटर में सुविधाएं भी बढ़ाई गईं
एक वालंटियर ने बताया, 'लोगों ने घरों के सामने जो जगह घेर रखी थी, उसके लिए उन्हें काफी समझाना पड़ा। थोड़ा वक्त लगा लेकिन जगह मिली, जिससे रास्ता बना। एक बार उन्हें SAGY योजना समझ आ गई, उसके बाद उन्होंने सहयोग करना शुरू कर दिया।' उन्होंने बताया कि तीन फीट वाला रास्ता चौड़ा होकर आठ फीट का हो गया और 11 किलोमीटर लंबी सड़क बन गई।इसके अलावा, नदी के पास के हिस्से और गांव में सोलर लाइट्स लगा दीं गईं। उस हिस्से पर खड़ंजा लगा दिया गया। कचरा न फैले इसके लिए कूड़ेदान लगाए गए। अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाई गईं, लाइब्रेरी खोली गई, आधुनिक आंगनवाड़ी केंद्र और एक बस स्टॉप भी बनाया गया। स्कूल-कॉलेज और हेल्थ सेंटर में सुविधाएं भी बढ़ाई गईं।अहमदाबाद-मुंबई हाइवे पर बसा चिखली एक ग्राम पंचायत और एक तहसील है, जहां 1700 जिसमें अंतर्गत 1700 से ज्यादा परिवार आते हैं। 2001 की जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 6953 थी। यहां करीब 131 परिवार ऐसे हैं जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिताते हैं, जो कि नदी के पास वाले एरिया में झुग्गियों में रहते हैं।
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