जानें, स्वामी प्रसाद मौर्य का इतिहास, रायबरेली की इस विधानसभा से पहली बार बने विधायक

उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफा देते ही एक बार फिर से हलचल शुरू हो गई है। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफा देते ही तत्काल में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से उनकी मुलाकात की एक तस्वीर साझा की गई। उनके तस्वीर साझा करने से ही यह साफा हो गया है कि वह सपा में शामिल होने जा रहे हैं। भाजपा विधायक रोशन लाल, भगवती सागर और बृजेश प्रजापति ने भी इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा अन्य कई विधायक भी सपा में शामिल होने जा रहे हैं। बता दें, टिकट के बंटवारे को लेकर उनका भाजपा से विवाद चल रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्या ने पहले अपना इस्तीफा ई-मेल के जरिए किया, फिर इसके बाद में उनका लेटर लेकर राजभवन विधायक रोशन लाल पहुंचें। रोशनलाल इस समय शाहजहांपुर से विधायक हैं।
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जानें स्वामी प्रसाद मौर्य का इतिहास
पिछड़ों के बड़े नेता माने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने आज भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफा देते ही उनके जानें की हलचले शुरू हो गई है। बीजेपी को छोड़कर वह सपा में शामिल होने जा रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य की कर्मस्थली रायबरेली रही है। स्वामी प्रसाद मौर्य की जन्मस्थली भले ही प्रतापगढ़ रही है, लेकिन रायबरेली से ही उन्होंने अपनी चुनावी राजनीति शुरू कर दी है। यहां पर पहले डलमऊ (ऊंचाहार) विधानसभा से दो बार विधायक रहे। सबसे पहली बार स्वामी प्रसाद मौर्य अक्टूबर 1996 में डलमऊ विधानसभा से विधायक बने थे। उन्होंने उस समय विधायक रहे गजाधर सिंह को हराकर पहली बार विधानसभा का रास्ता तय किया था। पहली ही बार में वह 1997 में मायावती सरकार में मंत्री बनाए गए। खादी ग्रामोद्योग मंत्री वह कल्याण सिंह की सरकार में भी रहे। वर्ष 2001 में वह बसपा की तरफ से नेता विधानमंडल बनाए गए।
इसके बाद में दूसरी बार साल 2002 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने डलमऊ विधानसभा से जीत हासिल की और उन्होंने कांग्रेस से प्रत्याशी रहे अजय पाल सिंह को हराया। मायावती की एक बार फिर से सरकार बनी और इस सरकार में वह एक बार फिर से मंत्री बने। साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में राजा अजय पाल सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य को मात दी थी। डलमऊ विधानसभा से चुनाव हारने के बाद भी बसपा सरकार में वह राजस्व एवं सहकारिता मंत्री बने। बसपा के टिकट पर ही वर्ष 2009 में उन्होंने कुशीनगर की पड़रौना सीट से चुनाव लड़ा था। यहां पर उन्होंने कुंवर रतनसिंह प्रताप नारायण सिंह को हराया था। बसपा सरकार में वह पंचायती राज विभाग के मंत्री भी बनाए गए। इसके बाद वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने पड़रौना की सीट से चुनाव लड़ा और एक बार फिर से कुंवर रतनसिंह प्रताप नारायण सिंह को हराया। बसपा की सुप्रीमो ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया। नेता प्रतिपक्ष रहते ही उन्होंने विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अपने पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनाई। पार्टी बनाकर अपनी शक्ति दिखाने के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें अपनी पार्टी में शामिल किया था। वह अपने समर्थकों के साथ में बीजेपी में शामिल हुए और बीजेपी को उनके मत का फायदा भी हुआ। पड़रौना विधानसभा चुनाव से चुनाव जीतने के बाद में उन्हें एक बार फिर भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
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