ये हैं यूपी में भाजपा के ´केशव´, है इनका भी 'चाय कनेक्शन'

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर लंबे समय से चल रही खींचतान आखिरकार शुक्रवार शाम खत्म हो गई। इलाहाबाद की फूलपुर सीट से लोकसभा सांसद केशव प्रसाद मौर्या को संगठन की बागडोर सौंप कर पार्टी आलाकमान ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चल रही तैयारियों की ओर एक बड़ा कदम बढ़ा दिया है।
हालांकि, इस ताजपोशी से पार्टी के कई दिग्गजों के सपने चकनाचूर जरूर हुए, लेकिन इससे लगातार असमंजस की हालत में चल रहा पार्टी कार्यकर्ता अब उससे बाहर आ गया है।
मौर्या की नियुक्ति से पार्टी की रणनीति भी लगभग साफ होती जा रही है। दरअसल, मौर्या को कमान के ऐलान से पहले कई कयास लगाए जा रहे थे कि संगठन की कमान किसी अगड़ी जाति के नेता की दी जाएगी और मुख्यमंत्री पद के लिए अगर किसी नाम घोषित करना पड़ता है तो वो पिछड़ी जाति से होगा। वहीं, यह समीकरण उलटा होने के भी अंदेशे लगाए जा रहे थे। नाम की इस दौड़ में मोदी सरकार के कई मंत्री भी शामिल थे। अब राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि पार्टी अगर सत्ता में आती है तो सूबे की कमान किसी अगड़ी जाति के नेता को सौंपी जाएगी।
VHP और RSS से है पुराना नाता
इधर, बात करें केशव प्रसाद मौर्या की तो पार्टी ने बहुत मंथन और लंबी रणनीति के साथ इन्हें कमान सौंपी है। 46 वर्षीय मौर्या भाजपा में आने से पहले विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल से लंबे समय तक जुड़े हैं। पूर्व विहिप प्रमुख स्व. अशोक सिंहल के सबसे नजदीकी लोगों में मौर्या भी शामिल थे। खबरची तो यह भी कहते हैं कि इनको टिकट दिलाने में उस समय सिंहल ने बड़ी भूमिका निभाई थी। मौर्या की छवि ने उन्हें यहां तक पहुंचाने में काफी बड़ी भूमिका निभाई है।
सूत्रों के मुताबिक, यही कारण रहा कि पूर्व में जिन दिग्गजों के नाम अध्यक्ष पद के लिए चल रहे थे उनसे ऊपर मौर्या को तरजीह दी गई। वहीं, केशव पिछड़े वर्ग से आते हैं और यूपी में पिछड़े वर्ग का एक बड़ा वोट बैंक है, साथ ही यह विहिप से जुड़े रहने का भी बड़ा कारण है। फूलपुर से सांसद बनने से पहले वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भी केशव ने जीत दर्ज की थी।
कभी बेचा करते थे चाय और अखबार
केशव कौशांबी के सिराथू कस्बे के रहने वाले हैं। पिता श्यामलाल की सिराथू स्टेशन के पास एक चाय की दुकान थी। केशव भी बचपन में अपने पिता के साथ चाय की दुकान में मदद किया करते थे। परिवार की माली स्थिति सही नहीं थी, तो केशव ने अखबार भी बेचे। स्नातक की डिग्री केशव ने हिंदी साहित्य सम्मेलन से हासिल की। आज की तारीख में केशव और उनकी पत्नी राजकुमारी करोड़ों के मालिक हैं। अब इसे महज इत्तेफाक कहा जाए या फिर भाजपा संगठन की सोची-समझी रणनीति कि यूपी में संगठन की कमान भी कभी चाय बेचने वाले पीएम नरेंद्र मोदी के नक्शे कदम पर चलने वाले पिछड़े वर्ग के केशव के हाथ में दी गई है।
पार्टी प्रवक्ता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ने बताया, ´शीर्ष नेतृत्व का फैसला आम जन की भावनाओं और 2017 के आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीतियों को देखते हुए लिया गया है। मुझे कोई संदेह नहीं है कि केशवजी पार्टी की विजय पताका फहराने में कामयाब होंगे।´
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