झारखंड: 20 साल बाद जगन्नाथपुर विधानसभा में बिना कोड़ा दंपति के होगा चुनाव
कोल्हान की जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र में 20 साल के बाद ऐसा होने जा रहा है, जब कोड़ा दंपत्ति का अपना प्रतिनिधित्व नहीं रहेगा। कोड़ा दंपत्ति इस बार यहां से चुनाव मैदान में नहीं दिखेंगे। पूर्व सीएम मधु कोडा और सांसद गीता कोड़ा के कारण जगन्नाथपुर हमेशा ही सुर्खियों में रहा है। हमेशा ही मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले जगन्नाथपुर में सबकी नजर हमेशा ही इसी विधानसभा पर रहती थी। इस विधानसभा से पिछले बीस साल से मधु कोडा और गीता कोड़ा का यहां से प्रतिनिधित्व रहा है। लेकिन इस बार न तो मधु कोड़ा और न ही गीता कोड़ा यहां से चुनावी मैदान में नजर आएगे। दोनों के यहां से चुनाव न लड़ने की वजह से इस बार जगन्नाथपुर में चुनावी फिजाएं काफी फीकी दिख रही हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने इस बार जगन्नाथपुर सीट पर नया और अंजाना चेहरा उतार रहे हैं।
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पूर्व सीएम मधु कोड़ा और गीता कोड़ा जब भी यहां से चुनावी मैदान में होते थे, जब सबकी नजर में जगन्नाथपुर रहती थी। जगन्नाथपुर पूरे कोल्हान में इसका सियासी असर दिखता था। यहां के कार्यकर्ताओं में जोश और चुनावी रोमांच अपने चरम पर रहता था, लेकिन इस बार कोड़ा दंपत्ति के न होने की वजह से यह सब फीका है। पूर्व सीएम मधु कोड़ा पहली बार 2000 में भाजपा के टिकट पर जगन्नाथपुर से विधायक बने थे। बिहार से झारखंड अलग होते ही बाबूलाल मरांडी सीएम बने और पहली ही सरकार में वो मंत्री बने। लेकिन 2005 में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया, तो जगन्नाथपुर पूरे राज्य में चर्चा में आ गया। इसकी वजह यह रही कि उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर भी जीत हासिल की और जीतकर यहां से मुख्यमंत्री बनें।
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2009 में मधु कोड़ा सिंहभूम लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने, तो उनकी जगह पर उनकी पत्नी गीता कोड़ा को जगन्नाथपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ाया गया। उन्होंने भारी मतों से चुनाव जीतीं। इसके बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में गीता कोड़ा फिर से जीतकर विधानसभा पहुंचीं। इस बार लोकसभा चुनाव गीता कोड़ा ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और सीटिंग सांसद लक्ष्मण गिलुवा को सिंहभूम सीट पर 72 हजार वोटों से हराकर कोल्हान में अपनी पकड़ और लोकप्रियता का एहसास करा दिया।
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अब पत्नी की जगह पर मधु कोड़ा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी। उन्हें अभी भी चुनाव लड़ने की अयोग्यता को बरकार रखा गया है। इसकी वजह यह है कि चुनाव आयोग ने उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा रखी है। 2017 में उन्होंने गलत तरीके का खर्च दाखिल किया था। इस तरह 20 साल बाद कोड़ा दंपति के बिना जगन्नाथपुर में विधानसभा चुनाव हो रहा है। कांग्रेस ने यहां से कोड़ा दंपति के पसंद के नेता सोनाराम सिंकू को प्रत्याशी बनाया है।
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