रायबरेली विधानसभा: दशकों बाद रोचक हुआ मुकाबला, अदिति सिंह और आरपी यादव में टक्कर

रायबरेली जिले की छह विधानसभा सीटों में अगर सबसे ज्यादा किसी सीट की चर्चा है तो वह सदर विधानसभा की सीट है। इस सीट पर लगभग तीन दशक तक सदर विधायक अखिलेश सिंह का कब्जा रहा है। उन्होंने अपने जिंदा रहते-रहते अपनी बेटी अदिति सिंह को भी विधायक बना दिया, लेकिन अब उनकी मृत्यु के बाद में इस सीट का समीकरण पूरी तरह से बदल गया है। सदर विधायिका अदिति सिंह की भाजपा में एंट्री के बाद में यह सीट इस बार पूरी तरह से फंसती हुई नजर आ रही है। इस सीट पर जातिगत आंकड़ें में इस बार सपा भारी नजर आ रही है तो गांव में बयार की रूख भी स्पष्ट देखने को मिल रही है। सपा के मूल वोटरों के साथ ही साथ सदर विधानसभा में स्वामी प्रसाद मौर्य का भी इफैक्ट नजर आ रहा है।
सदर विधानसभा में इनके बीच मुकाबला
सदर विधानसभा सीट पर इस बार बहुत ही रोचक मुकाबला होता नजर आ रहा है। इस सीट पर वर्तमान विधायक अदिति सिंह और सपा प्रत्याशी आरपी यादव के बीच में मुकाबला हो गया है। सदर विधानसभा सीट से विधायक अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह को वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में टक्कर देने वाले आरपी यादव एक बार फिर से चुनावी मैदान में है। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार सदर विधानसभा सीट से आरपी यादव मजबूत नजर आ रहे हैं। सदर विधायक अखिलेश सिंह जिन वोटरों के सहारे सदर विधानसभा सीट पर राजनीति करते थे, वह इस बार पूरी तरह से बदलाव का मन बना चुका है। चुनावी समीक्षकों की माने तो रायबरेली शहर को छोड़कर अमावां और राही ब्लॉक में सबसे अधिक यादव वोटर है। यादव वोटर्स इस बार पूरी तरह से सपा के साथ में नजर आ रहा है। वहीं, मुस्लिम वोटर भी इस बार भाजपा के साथ में नहीं जाएगा। ऐसे में अदिति सिंह को इन वोटरों का सीधा-सीधा नुकसान हो रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह वर्ग जिसकी तरफ रहता है, वहीं अपनी सीट बनाने में कामयाब होता है।
आरपी यादव की जिंदगी में यहां से आया बदलाव
सदर विधानसभा सीट का चुनाव रोचक होने की वजह आरपी यादव का जेल जाना है। ऐसा कहा जाता है कि वर्ष 2019 में आदित्य हत्याकांड में जिस तरह से सदर विधायिका ने एक जाति विशेष का पक्ष किया था, उसमें आरपी यादव सहित सोमू ढ़ाबा के संचालक सुरेश यादव भी जेल गए थे। अभी कुछ ही महीने पहले जेल से छूटकर आए आरपी यादव ने अपनी चुनावी सभाओं में इसको भी मुद्दा भी बनाया। उन्होंने कहा कि मुझे विधायिका अदिति सिंह के इशारे पर फंसाया गया। वह जनता के बीच में इस बात को अच्छी तरह से समझाने में कामयाब रहे हैं, उसका ही असर है कि इस बार जनता में आरपी यादव के प्रति कुछ सहानभूति नजर आ रही है। गांव-गांव में इस बार आरपी यादव का जनाधार बढ़ता हुआ नजर आ रहा है।
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सदर विधानसभा में इनका वोट होता है निर्णायक
सदर विधानसभा में वोटरों की बात की जाए, तो यहां पर जातिगत आंकड़ों के हिसाब से सपा का पक्ष ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है। इस विधानसभा में सबसे अधिक यादव वोटर है। यहां पर 65 हजार यादव मतदाता है। इसके अलावा 42 हजार मुस्लिम, 40 हजार ब्राह्मण, 45 हजार मौर्य वर्ग का वोटर है। इसके अलावा करीब 75 हजार वोटर पासी समुदाय का है। इस विधानसभा में वोटर के हिसाब से आरपी यादव की नजर अपने मूल वोटर के साथ ही साथ एससी वर्ग के मतदाताओं पर भी है। वहीं, अदिति सिंह भी पूरी तरह से अपने पुराने जनाधार को दोहराने में लगी हुई है, उन्हें विश्वास है कि इस बार फिर हमें पार्टी बेस के वोटर्स के साथ ही साथ व्यक्तिगत वोटर भी मिलेगा।
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