इंडी गठबंधन के भविष्य पर मंडराते संकट के बादल: बचेगा या बिखरेगा?

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इंडिया गठबंधन की दीवार अब दरकने लगी है। कभी हरियाणा तो कभी महाराष्ट्र…चुनावी हार ने इंडिया गठबंधन की नींव को हिला कर रख दिया है। इसके कई घटकों के बीच मतभेद सामने आ रहे हैं और कांग्रेस द्वारा गंभीर आत्मनिरीक्षण की मांग उठ रही है। इसे देखते हुए गठबंधन के भविष्य पर भी सवाल उठने लगा है।

कांग्रेस संसद में तो संभल मुद्दा उठा नहीं रही, लेकिन राहुल संभल जा रहे हैं। कांग्रेस औपचारिकता कर रही है।

सपा नेता रामगोपाल यादव के इस बयान के बाद सपा से एक और बयान आया। सपा नेता अबू आसिम आजमी ने कहा-

समाजवादी पार्टी को महाराष्ट्र में अकेले चलना गवारा है लेकिन महाविकास अघाड़ी में रहते हुए शिवसेना UBT की सांप्रदायिक विचारधारा का हिस्सा बनना हरगिज गवारा नहीं।

इन बयानों के मायने निकाले जा रहे थे कि रविवार को सपा प्रवक्ता उदयवीर सिंह का बयान सामने आ गया। उदयवीर सिंह ने पश्चिम बंगाल की सीएम टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को गठबंधन नेतृत्व के लिए सक्षम नेता बताया।

ऐसे में इंडी गठबंधन और यूपी में कांग्रेस-सपा गठजोड़ को लेकर सवाल उठने लगे हैं। पूरे मामले को इस सप्ताह संसद में हुए सिटिंग प्लान घटनाक्रम से जोड़कर भी देखा जाने लगा। जब अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा, धन्यवाद कांग्रेस! अब कयास लगाए जाने लगे हैं कि 2027 में सपा और कांग्रेस या इंडी गठबंधन शायद ही एकजुट होकर चुनाव लड़ सकें।

संसद में सिटिंग अरेंजमेंट से शुरुआत

बयानबाजी की शुरुआत लोकसभा के अंदर सिटिंग अरेंजमेंट के दौरान सपा को नजरअंदाज करने से हुई। सपा सुप्रीमो और सदन में देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को आठवें ब्लॉक से छठे ब्लॉक में शिफ्ट कर दिया गया। इसे लेकर सपा ने खुले तौर पर नाराजगी का इजहार कर दिया। यहां तक कि अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा कि धन्यवाद कांग्रेस!

सीटिंग अरेंजमेंट की नई व्यवस्था से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, पार्टी सांसद डिंपल यादव और अवधेश प्रसाद आठवें ब्लॉक में वरिष्ठ कांग्रेस नताओं के साथ आगे की सीटों पर बैठते थे। लेकिन नई व्यवस्था में अखिलेश यादव को कांग्रेस नेताओं से दूर छठवें ब्लॉक की पहली पंक्ति में जगह दी गई। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो नई व्यवस्था को लेकर सपा के नेताओं ने कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि, अखिलेश यादव ने इस पर कहा-

मैं कांग्रेस पार्टी से नाराज नहीं हूं। हालांकि, संसद में सीटों की व्यवस्था करने वाले लोगों को विचार करना चाहिए। भाजपा, इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों के बीच फूट डालने की कोशिश कर रही है। भाजपा नहीं चाहती है कि इंडिया गठबंधन एकजुट रहे। सीटिंग अरेंजमेंट कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। जब भी जरूरत होगी हम इसे सुलझा लेंगे।

इंडिया गठबंधन के नेतृत्व से नाराज ममता

इंडी गठबंधन का नेता कौन हो, इसे लेकर भी तकरार शुरू हुई है। बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने गठबंधन के नेतृत्व पर नाराजगी जताते हुए इसकी अगुवाई करने की इच्छा जता दी है। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि कमान मिलने पर वह इसे बंगाल से भी चला सकती हैं। ममता का निशाना कांग्रेस पर बताया जा रहा है, जिससे उनकी पार्टी फिलहाल दूरी बनाकर चल रही है। एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में मुख्यमंत्री ने दावा किया-

आइएनडीआइए को मैंने तैयार किया है। अब इसे चलाना उन पर निर्भर है, जो इसका नेतृत्व कर रहे हैं। अगर वे ठीक से नहीं चला पा रहे तो मैं क्या कर सकती हू? वे लोग मुझे भी नहीं पसंद करते, लेकिन मैं सभी राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों के संपर्क में हूं और उन सबसे अच्छे संबंध बनाकर चलती हूं।

यह पूछे जाने पर कि वह आइएनडीआइए का नेतृत्व संभआलने से क्यों हिचकिचा रही हैं, ममता ने बेबाकी से कहा-

गठबंधन का दायित्व मिलने पर मैं बंगाल की बागडोर संभालते हुए इसे बंगाल से भी चला सकती हूं। मैं बंगाल की मिट्टी छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहती। मेरा जन्म यहां हुआ है और यहीं अंतिम सांस लूंगी।

इस पर सपा के प्रवक्ता उदयवीर का कहना था-

इस पद के लिए ममता बनर्जी पुरानी नेता हैं, बड़ी नेता हैं। उनके पास लंबा अनुभव है। संघर्ष के जरिए उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। हमारे दल का और हम लोगों का व्यक्तिगत रिश्ता भी है। हम लोग 100 प्रतिशत उनके समर्थन में, उनके पक्ष में और उनकी लीडरशिप में हम लोगों का भरोसा है। बाकी इंडी गठबंधन के सारे लोगों को मिलकर तय करना है कि क्या होना है।

कांग्रेस ने की कड़ी आलोचना

ममता के बयान पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई। बंगाल कांग्रेस के प्रवक्ता सौम्य राय आइच ने कहा कि कांग्रेस और उनकी सहयोगी पार्टियां पूरे भारत में भाजपा के खिलाफ लड़ रही हैं, जबकि ममता का भाजपा विरोध सीजनल पालिटिक्स की तरह है। वह कभी आइएनडीआइए में हैं, तो कभी नहीं। उनकी पार्टी संसद में अदाणी के खिलाफ कुछ नहीं बोल रही। ममता भाजपा के खिलाफ चुप रहेंगी और आइएनडीआए का नेतृत्व भी करना चाहेंगी, ये दोनों चीजें एक साथ नहीं हो सकतीं।

भाजपा ने ली चुटकी

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि 80 से ज्यादा बार रीलांच होने के बावजूद राहुल व प्रियंका को अगर उनके गठबंधन के नेता ही गंभीरता से नहीं लेते, तो देश की जनता कैसे? लेगी जो लोग एक-दूसरे की राजनीतिक जमीन कमजोर करने में लगे हैं, वे जनता की सेवा नहीं कर सकते। पीएम मोदी हमेशा यही कहते हैं कि यह गठबंधन अहंकारी है, जिसमें लोग एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। चुनाव के बाद गठबंधन टूट जाता है और इसके सदस्य आपस में ही लड़ने लगते हैं।

महाराष्ट्र में सपा ने मविआ से किया किनारा

इंडिया गठबंध की दरार उस वक्त और बड़ी हो गई, जब अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने महाविकास अघाड़ी से अपना रिश्ता तोड़ लिया। वजह बनी मुगल शासक बाबर के आदेश पर बनाई गई मस्जिद। यानी बाबरी मस्जिद। जी हां, उद्धव ठाकरे की शिवसेना के एक नेता ने बाबरी मस्जिद पर ऐसा पोस्ट किया, जिससे विपक्षी एकता की दीवार ही ढह गई। विपक्षी एकता में लेटेस्ट डेंट तो बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर लगा। जब उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना नेता मिलिंद नार्वेकर ने 6 दिसंबर को एक पोस्ट किया। उद्धव के करीबी मिलिंद नार्वेकर ने बाबरी विध्वंस की एक तस्वीर अपने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट की। पोस्ट के कैप्शन में उन्होंने शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे का कथन लिखा था, “मुझे उन लोगों पर गर्व है जिन्होंने ऐसा किया।”

नार्वेकर के इस पोस्टर वाले पोस्ट में उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और उनकी खुद की तस्वीरें भी थीं। इस पोस्ट ने महाराष्ट्र की सियासत को और गर्म कर दिया। महाराष्ट्र सपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी ने आनन-फानन में महाविकास अघाड़ी से सपा के अलग होने का ऐलान कर दिया। अबू आजमी ने मविआ से सपा को अलग करने का ठीकरा उद्धव ठाकरे पर फोड़ा। उन्होंने कहा-

उद्धव ठाकरे ने शिवसैनिकों को हिंदुत्व के मुद्दे पर वापस लौटने का आदेश दिया है। वह विवादित ढांचा ध्वंस करने पर गर्व जताते हैं, जबकि हम विवादित ढ़ाचा ढहाए जाने के दिन 6 दिसंबर को शर्म दिवस के रूप में मनाते हैं। इसलिए उनके साथ रह पाना संभव नहीं है।

महाराष्ट्र चुनाव की हार की जख्म अभी भरा भी नहीं था कि सपा के अलग होने से एक और जख्म मिल गया। सपा का यह कदम शरद पवार, राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका है।

कुछ इस तरह खिसकती जा रही इंडी गठबंधन की जमीन

इंडिया गठबंधन के लिए देश के अन्य राज्यों में भी हाल कुछ कमोबेश ऐसा ही है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भले ही इंडिया गठबंधन के साथ है, मगर उनकी सियासत से ऐसा कभी दिखता नहीं है। हरियाणा में भी आम आदमी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा। अब जब अगले साल दिल्ली में चुनाव होने हैं तो विधानसभा चुनाव में भी अरविंद केजरीवाल ने अकेले लड़ने का ऐलान किया है। केजरीवाल दिल्ली में कांग्रेस का हाथ थाम कर अपना अंजाम देख चुके हैं। यही वजह है कि केजरीवाल भी अब इंडिया गठबंधन में कांग्रेस से कन्नी काट रहे हैं। ममता बनर्जी भी इंडिया गठबंधन से दूर ही नजर आ रही हैं। बंगाल में भी उनकी पार्टी ने अलग चुनाव लड़ा था। अब तो वह इंडिया गठबंधन के नेतृत्व पर ही सवाल उठा रही हैं। इंडिया गठबंधन की कमान अपने हाथ में लेने या फिर नए मोर्चे की कवायद में भी जुट गई हैं। इसमें उनका साथ देने के लिए अखिलेश, अरविंद और तेजस्वी भी हैं। ऐसे में कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन भविष्य में टुकड़ों में बिखरता ही नजर आ रहा है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                    

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