आखिर क्यों कांग्रेस प्रत्याशियों को लेनी पड़ी पार्टी न छोड़ने की शपथ

विधानसभा चुनाव 2022 में सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है पार्टी के नेताओं का दलबदल करना। कहा भी जाता है राजनीति में प्यार और वफादारी सिर्फ कुर्सी और पावर से होती है। आपको याद होगा 2017, जब चुनावों के बाद कांग्रेस के आधे से ज्यादा विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थें। जाहिर है कि कांग्रेस इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। इसका बात का सबूत गोवा में देखने को मिलता है। जब कांग्रेस प्रत्याशीयों को पार्टी न छोड़ने की शपथ लेनी पड़ती है। आप सभी जानते हैं कि अगले महीने विधानसभा चुनाव शुरु होने वाले हैं। वहीं, गोवा में 14 फरवरी को वोटिंग होनी है।
कांग्रेस को लेकर गोवा में कहा जा रहा है कि कांग्रेस को मिलने वाले वोट अंत में बीजेपी को ही जाना है। हाल के दिनों में दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इसी तरह की टिप्पणी करते हुए कहा था कि कांग्रेस को वोट देना बीजेपी को वोट देने जैसा है।
पार्टी ना छोड़ने की शपथ
गोवा कांग्रेस ने अपने 36 उम्मीदवारों को पार्टी ना छोड़ने की शपथ दिलाई है। इन सभी उम्मीदवारों को बीते दिन 22 जनवरी को अलग-अलग धार्मिक स्थल ले जाया गया। महालक्ष्मी मंदिर, बम्बोलिम क्रॉस चर्च और बेटिन मस्जिद में शपथ दिलाई गई। प्रत्याशियों ने शपथ ली कि चुनाव जीतने के बाद वो पार्टी नहीं छोड़ेंगे। उम्मीदवारों ने 5 साल तक कांग्रेस के साथ रहने और लोगों की भलाई करने की कसम खाई।
2017 विधानसभा चुनाव में 15 विधायक बीजेपी में हुए थे शामिल
दरअसल, गोवा कांग्रेस के लिए 2017 से अब तक का टाइम अच्छा नहीं रहा है। 2017 के चुनावों में कांग्रेस के 17 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। इनमें से 15 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थें। पार्टी के सीनियर नेता और विधायक दिगंबर कामत ने कहा है कि-
“हमने कुल मिलाकर जनता के मन में जो भी शंकाएं हैं उन्हें दूर करने की कोशिश की है कि कांग्रेस इस धारणा को लेकर बहुत गंभीर है। कुछ राजनेता कह रहे हैं कि कांग्रेस के विधायकों को चुनने का कोई फायदा नहीं है, वे दूसरी पार्टियों में जाएंगे। ये वही नेता हैं जो हमारे विधायकों को लूट रहे हैं। यदि कोई बेटा माता-पिता को छोड़ देता है, तो बेटा और माता-पिता दोनों जिम्मेदार होते हैं। हमारे विधायकों को शामिल करने वाली पार्टियां भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।”
“हमें उन राजनेताओं पर और अधिक आक्रामक होना होगा जो हमारे लोगों को रुपये का लालच दे रहे हैं, उन्हें खरीद रहे हैं। गोवा बिक्री के लिए नहीं है। इसलिए हमने तय किया कि हम भगवान की उपस्थिति में शपथ लेंगे और शपथ दिलाएंगे। कम से कम गोवा के लोग भगवान से डरने वाले हैं। हमें किसी भी धर्म के बिना ईश्वर में पूर्ण विश्वास है। गोवा के लोगों में सांप्रदायिक सौहार्द है और शुरू से ही समान नागरिक संहिता का पालन करते हैं।”
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