गांव वालों ने किया सामाजिक बहिष्कार, विधायक ने दिया शव को कांधा

सामाजिक बहिष्कार की वजह से शवों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को लेकर आए दिन सुर्खियों में रहने वाले उड़ीसा राज्य में एक ऐसा ही वाकया फिर सामने आया है। लेकिन इस बार बौद्ध जिला जैसी घटना का नहीं बल्कि विधायक के मिसाल पेश करने की वजह से है। उन्होंने एक ऐसी वृद्ध महिला के शव को कंधा दिया, जिसको उसके गांव का कोई भी व्यक्ति कंधा देने के लिए तैयार नहीं हुआ था। ग्रामीणों के न राजी होने पर विधायक ने खुद ही मृतक महिला के परिजनों के साथ उसके शव को कंधा देकर मानवता की मिसाल पेश की। उन्होंने महिला को कंधा देकर जाति व धर्म का भेदभाव मिटाने का प्रयास किया है।
अभी कुछ दिनों पहले ही बौद्ध जिला में सामाजिक बहिष्कार के कारण एक व्यक्ति को अपनी साली का शव साइकिल पर लादकर श्मशान घाट तक ले जाना पड़ा था। इस घटना को लेकर राज्य फिर से सुर्खियों में आया था। शव को साइकिल में गठरी बनाकर ले जाते हुए शव की फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। अभी इस घटना की चर्चा समाप्त ही नहीं हुई थी एक बार फिर से ठीक इसी तरह की घटना झारसुगुड़ा जिले के चुड़ामल ग्राम पंचायत के तहत आने वाले अमानपाली गांव में हुई। जहां पर जाति का पता न होने के कारण भी ग्रामीण शव को कंधा देने के लिए तैयार नहीं हुआ। जब यह घटना रेंगानी विधानसभा से बीजेडी विधायक रमेश पटुवा को पता चली तो वह मौके पर पहुंच गए और उन्होंने महिला के दो परिवारीजनों की समस्या को देखकर खुद ही कंधा देने के लिए तैयार हुए।
दरअसल, अमानपाली गांव में पिछले कई सालों से एक वृद्धा अपने बीमार देवर के साथ रहती थी और भीख मांगकर गुजारा करती थी। द हिन्दू के मुताबिक अचानक उसकी मौत हो गई। वृद्ध के देवर ने महिला के शव को गांव के ही एक व्यक्ति के बरामदे में छोड़ दिया। और घंटों तक शव रखा रहा लेकिन गांव का कोई भी व्यक्ति सहायता देने के लिए आगे नहीं आया। इस घटना के बारे में जब गांव से महज दो किलोमीटर की दूरी पर रहने वाले रेंगानी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रमेश पटुवा को पता चला तो वह अपने भतीजे के साथ गए और उन्होंने अर्थी का इंतजाम कराकर शव को श्मशान घाट तक ले गए और विधि पूर्वक अंतिम संस्कार किया।
इस कारण ग्रामीणों ने नहीं दिया कंधा
भीख मांगकर गुजारा करने वाली वृद्ध महिला की जाति का किसी भी ग्रामीण को पता नहीं था। जिसकी वजह से ही कोई भी ग्रामीण महिला के शव को उठाने के लिए सामने नहीं आया। विधायक रमेश पटुवा ने बताया कि जिस व्यक्ति की जाति का पता नहीं होता है, उसके शव को अगर कोई भी छू लेता है, तो फिर उसको समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है। बस इसी डर की वजह से कोई भी व्यक्ति वृद्धा के शव को छूने के लिए आगे नहीं आया। उन्होंने बताया कि मुझे स्थिति को समझने में ज्यादा समय नहीं लगा और मैंने स्थानीय थाने को सूचना देकर महिला के अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू कर दी। बता दें कि संबलपुर जिले में स्थित विधायक का लोइडा गांव अमानपाली से दो किलोमीटर दूर है। मृतक महिला का गांव झारसुगुडा जिले में आता है और यह क्षेत्र उनकी विधानसभा में भी नहीं आता है। इसके बाद भी उन्होंने मानवता को पेश करते हुए महिला के अंतिम संस्कार को आगे आए।
खुद किराए के घर में रहते हैं विधायक
वैसे, अपने यहां पर विधायक बनने से पहले और बनने के बाद किस तरह की सम्पत्ति हो जाती है, इससे सभी वाकिफ है लेकिन रमेश पटुआ आज भी ग्रामीणों के बीच में रहते हैं। पटुआ ओडिशा के सबसे गरीब विधायकों में से एक हैं। द हिन्दू के अनुसार उनके पास पर्याप्त जमीन भी नहीं है और वह किराये के घर में रहते हैं। ग्रामीणों की सेवा करने की वजह से ही उन्हें जनता का प्यार मिल रहा है।
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