जानें 'टाइगर ऑफ मराठा' बालासाहेब ठाकरे के जीवन से जुड़ीं खास बातें

आज "टाइगर ऑफ मराठा" कहे जाने वाले बालासाहेब केशव ठाकरे का जन्मदिन है। महाराष्ट्र की राजनीति में अहम रोल निभने वाले बाल ठाकरे ने शिव सेना के नाम से एक प्रखर हिन्दू राष्ट्रवादी दल का गठन किया था। मराठवाड़ा के लोगों की खातिर अपना पूरा जीवन लगाने वाले बाल ठाकरे को लोग प्यार से बालासाहेब भी कहते थे। बाल ठाकरे ने अपना जीवन एक कार्टूनिस्ट के तौर पर शुरू किया था और देश के एक बड़े राजनेता बनें। वह ऐसे राजनेता बने जिन पर कई बार कानून तोड़ने के आरोप भी लगे। इसके बाद भी ठाकरे बोलते रहे, उन्हें किसी का डर नहीं था। बस यही वजह रही कि वह "टाइगर ऑफ मराठा" कहलाएं। जब वह बाबरी विध्वंस से लेकर उत्तर भारतीयों पर हमलों के आरोप के बावजूद ठाकरे महाराष्ट्र में सत्ता के केंद्र बिंदू बने रहे। उनके जीवन से जुड़ी हुई कुछ खास बातें...
पुणे में हुआ था जन्म
बाल ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को मराठी परिवार में हुआ था। उनका जन्म तत्कालीन बोम्बे रेजिडेंसी के पुणे में हुआ था। उनका वास्तविक नाम बाल केशव ठाकरे है। उन्हें बाला साहब ठाकरे और हिदू हृदय सम्राट के नाम से भी जाना जाता है। बाल ठाकरे 9 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनकी मृत्यु 17 नवम्बर 2012 को हुई। उनके अंतिम दर्शन को पूरा मुम्बई सड़कों पर उमड़ पड़ता था। उनके अनुयायी उन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहते थे।
बाबा साहेब का परिवार
बाल ठाकरे की पत्नी का नाम मीना ठाकरे था, साल 1995 में उनकी मृत्यु हो गई थी. उनके तीन बेटे स्वर्गीय बिंदुमाधव, जयदेव और उद्धव ठाकरे हैं। बता दें, उनके बड़े बेटे बिंदुमाधव ठाकरे की एक सड़क दुर्घटना में 20 अप्रैल 1996 को मुंबई-पुणे हाइवे पर मौत हो गई थी। इस समय उद्धव ठाकरे पूरी जिम्मेदारी शिवसेना की संभाल रहे हैं।

ऐसे शुरू हुआ उनका करियर
बाल ठाकरे अच्छे कार्टूनिस्ट थे, जिन्होंने महाराष्ट्र में अपनी पहचान खुद बनाई। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मुंबई के एक अंग्रेजी दैनिक 'द फ्री प्रेस जर्नल' के साथ बातौर कार्टूनिस्ट 1974 में काम करना शुरू किया था। साल 1960 में बाल ठाकरे ने कार्टूनिस्ट पद की नौकरी छोड़ दी। जिसके बाद अपना राजनीतिक साप्ताहिक अखबार मार्मिक निकाला। इसके बाद उन्होंने शिवसेना के मुखपत्र मराठी अखबार 'सामना' और हिन्दी अखबार 'दोपहर का सामना' भी निकाला। आपको बता दें, बाल ठाकरे के कार्टून 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में हर रविवार को छपा करते थे। बाल ठाकरे और मशहूर कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण ने एक साथ काम किया है। राजनीति में आने के बाद भी दोनों मिलते रहे।
पिता से हुए प्रेरित
कार्टूनिस्ट के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले बाल ठाकरे राजनीति में आने का सबसे बड़ा प्रेरक अपने पिता को मानते हैं। बाल ठाकरे के पिता केशव सीताराम ठाकरे 'संयुक्त महाराष्ट्र मूवमेंट' के जाने-पहचाने चेहरा थे। उनके पिता केशव सीताराम ठाकरे ने भाषायी आधार पर महाराष्ट्र राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनके पिता जी ने सन् 1950 में संयुक्त महाराष्ट्र अभियान चलाया था और बंबई (मुंबई) को भारत की राजधानी बनाने का प्रयास करते रहे। मुंबई देश की राजधानी भले ही न बन सकी, लेकिन आर्थिक राजधानी जरूर बन गई। जब वह अखबार निकालते थे तब शिवसेना के मुखपत्र मराठी अखबार 'सामना' और हिन्दी अखबार 'दोपहर का सामना' में इसकी झलक देखने को मिलती थी।
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1966 में शिवसेना का किया गठन
महाराष्ट्र के स्थानीय लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने का दावा करते हुए 19 जून 1966 को शिवसेना की स्थापना हुई। इसकी स्थापना करने के पीछे का मकसद सिर्फ यहां के लोगें को अधिकार दिलाना था। बाल ठाकरे ने दावा किया था कि शिवसेना मुंबई में रहने वाले हर मराठी माणूस की मदद करेगी। जिस समय महाराष्ट्र में बेरोजगारी चरम पर थी, बाला साहेब ने महाराष्ट्र का विकास करने की ठानी और वहां के लोगों को कई तरह से रोजगार उपलब्ध करवाएं। शुरुआती दिनों से ही शिवसेना की राजनीति विवाद का केंद्र रही। सत्ताधारी पार्टियां तक उनसे डरती थीं। शिवसेना का शाब्दिक अर्थ 'शिव की सेना' है।
माइकल जैक्सन का किया समर्थन
वैसे, तो बाबा साहेब विरोध में आगे रहते थे, लेकिन साल 1996 में उन्होंने पॉप स्टार माइकल जैक्सन का समर्थन किया। उस वर्ष जब पॉप स्टार माइकल जैक्सन भारत आए, तो कई जगह उनका भारी विरोध हुआ। उस दौरान कलाप्रेमी बाल ठाकरे खुलकर माइकल जैक्सन के समर्थन में आए।

चुनाव आयोग ने लगाया बैन
बाबा साहेब की विरोधी गतिविधियों को देखकर 28 जुलाई, 1999 को निर्वाचन आयोग ने उनके वोटिंग पर बैन लगाया था। 11 दिसंबर, 2005 के आदेश में उन्हें 6 साल तक किसी भी चुनाव में शामिल होने से मना किया गया था। उन पर आरोप था कि वह धर्म के नाम पर वोट मांगते है और उन्हें ऐसा करते हुए पाया गया था। बैन खत्म होने के बाद उन्होंने पहली बार बीएमसी चुनाव में मतदान किया था।
शिवाजी पार्क से हैं गहरा नाता
17 नवंबर, 2012 को उनके निधन के बाद उनकी अंत्येष्टि 18 नवंबर को शिवाजी पार्क में की गई। वह ऐसे पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनके निधन पर लोगों ने बिना किसी नोटिस के अपनी मर्जी से पूरे मुंबई को बंद रखा था। बीजेपी ने उनका स्मारक बनाने के लिए 100 करोड़ रुपये का बजट दिया है। बता दें बाला साहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक न्यास को पिछले साल तकरीबन 11500 वर्गमीटर जमीन आवंटित की गई थी। शिवाजी पार्क का पार्टी के इतिहास में काफी महत्व है क्योंकि पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे ने अपनी पहली रैली इसी मैदान में की थी। इसके बाद उन्होंने उसके बाद पार्टी की वार्षिक दशहरा रैली को भी इसी मैदान में साल दर साल संबोधित किया।

बाल ठाकरे पर बनी फिल्म
'टाइगर ऑफ मराठा' कहे जाने वाले बाल ठाकरे पर बनी बायोपिक ठाकरे रिपब्लिक डे के मौके पर रिलीज हो रही है। इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी बालासाहेब ठाकरे का रोल निभा रहे हैं। इस फिल्म का ट्रेलर सोशल मीडिया पर काफी पसंद किया जा रहा है। ठाकरे के ट्रेलर के दौरान बिग बी अमिताभ बच्चन ने बाल ठाकरे से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया था। बिग बी ने बताया था कि आज वह बाल ठाकरे के कारण जिंदा हैं। उन्होंने बताया कि फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान हुए हादसे के बाद ही उन्होंने मेरी हर संभव मदद की थी।
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