एमएलसी चुनाव में बड़े दलों का खेल बिगाड़ सकता है ‘अटेवा’

विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने वाली बीजेपी की नजर अब विधान परिषद चुनाव में अपनी ताकत बढ़ाने पर है। मार्च-अप्रैल में होने वाले एमएलसी चुनाव के लिए सभी दलों ने अपना ब्रम्हास्त्र चलाना भी शुरू कर दिया है। 

आपको बात दें कि उत्तर प्रदेश में स्नातक एवं शिक्षक क्षेत्र के 11 विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल मई 2020 में पूरा हो रहा है। मार्च – अप्रैल में 11 सीटों पर चुनाव होने वाले है। एमएलसी चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश के सभी दलों ने अपनी ताकत झोंकनी भी शुरू कर दी है। लेकिन इस बार इस चुनाव में एक नया ट्विस्ट आ गया है। जिसके बाद अब ये कहा जा रहा है कि सभी राजनैतिक दलों के लिए अब ये चुनाव बहुत आसान नहीं रह गया है। 

पुरानी पेंशन बहाली की मांग करने वाले ‘अटेवा’ (आल टीचर्स इम्पॉईज वेलफेयर एसोसिएशन) ने भी इस बार चुनाव में अपने प्रत्याशियों को उतारना शुरू कर दिया है। अटेवा के बारे में अभी हाल ही में एक बड़ी उपलब्धि राजनीतिक लोगों ने गिननी शुरू कर दी है। जिसमें झारखण्ड चुनाव में अटेवा के हस्तक्षेप को अब नकारा नहीं जा सकता है। इसलिए अब उत्तर प्रदेश के एमएलसी चुनाव में अटेवा की धमक को कई राजनैतिक दल गंभीरता से लेने लगे है।  

अटेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार ‘बन्धु’ ने इंडिया वेव से ख़ास बातचीत में कहा, “हम किसी भी राजनैतिक दल के साथ नहीं है। एमएलसी का चुनाव हम अपने दम पर अकेले लड़ेंगे। इस चुनाव में सेवा-निवृत्तियों को बाहर करना है सेवारत लोगों को चुनाव में समर्थन देना है। न पार्टीवाद न सेवानिवृत्ति, पेंशनवाद चलाएँगे जिसमें सिर्फ मुद्दे की बात होगी। मुद्दा आधारित ही अब राजनीति होगी। आगामी एमएलसी चुनाव के लिए हमने अपने 11 प्रत्याशी में से 7 को फाइनल कर दिया है। जल्दी ही हम बाकी बची सीटों पर प्रत्याशी घोषित करेंगे। न ही हम बीजेपी के साथ है न हम सपा के साथ है। हम युवाओं के साथ है और स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे”। 

‘अटेवा’ का एमएलसी चुनाव के लिए ऐलान –

हम सेवारत अध्यापक है हमें सेवारत एमएलसी ही चाहिए। एमएलसी का चुनाव शिक्षकों का चुनाव है स्नातकों का चुनाव है। किसी राजनैतिक दल का चुनाव नहीं है। पार्टीवाद लोकसभा, विधानसभा चुनाव में चलाएँगे लेकिन एमएलसी चुनाव में पार्टीवाद नहीं चलाएँगे। हमारा एजेंडा बिलकुल साफ़ है। एक लाइन में अटेवा ये ऐलान करती है कि हम किसी भी राजनैतिक दल के साथ नहीं है। अटेवा को अकेले पूरे भारत में 60 लाख लोगों का जनसमर्थन है। अकेले उत्तर प्रदेश में हमारे साथ 13 लाख लोग है। हमारा एक ही आखिरी एजेंडा है वो है ‘पुरानी पेंशन की बहाली’ और इसके लिए हम कटिबद्ध है। 

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