रायबरेली में दो दशक से सक्रिय हैं प्रियंका, इस चुनाव में पहली बार किया था प्रचार

कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले अमेठी व रायबरेली का चुनावी मैनेजमेंट संभालने वाली प्रियंका गांधी अब पूर्वी यूपी की कमान संभालेंगी। रायबरेली और अमेठी के लोकसभा व विधानसभा चुनावों में पिछले दो दशक से सक्रिय रहने वाली प्रियंका गांधी की जिम्मेदार का दायरा अब बढ़ गया है। पहली बार पार्टी की बढ़ी जिम्मेदारी संभालने जा रही प्रियंका गांधी का चुनावी मैनेजमेंट काफी अच्छा रहा है। वह चुनाव के दौरान अमेठी व रायबरेली के प्रत्याशियों को जीताने के लिए पूरी ताकत झोंक देती है। जनता से सीधा संवाद करते हुए उन्होंने एक-एक दिन में कई नुक्कड़ सभाएं की है। उनका तेवर और कार्यशैली यहां की कांग्रेस की ताकत रही है। रायबरेली की जनता में पिछले दो दशक से सक्रिय प्रियंका गांधी पहली रायबरेली में 1999 के लोकसभा चुनाव में दिखी थी। उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी कैप्टन सतीश शर्मा के पक्ष में प्रचार-प्रसार किया था। तब उन्हें जनता के बीच में आने का मौका मिला था तब उन्होंने रायबरेली की जनता से सीधा सवाल किया था कि 'जिसने आपके राजीव गांधी की पीठ में छूरा घोपा, उसको रायबरेली में घुसने क्यों दिया'। अब इसी से अंदाजा लगा जा सकता है कि उनके भाषणों में कैसा तेवर देखने को मिलता है।
प्रियंका के भाषणों में होता है आकर्षण
रायबरेली के लोगों में प्रियंका गांधी के भाषणों में उनकी दादी इंदिरा गांधी सी झलक देखने को मिलती है। जिस तरीके से प्रियंका गांधी अपनी बात जनता को समझाती है, ऐसे ही कुछ उनकी दादी इंदिरा गांधी समझाया करती थी। रायबरेली व अमेठी की जनता को रिझाने के लिए उनके भाषणों में हमेशा ही गांधी परिवार के त्याग को बताती हैं। विरोधियों पर कम वार करते हुए वह जनता को यह बताने से नहीं चुकतीं कि आखिरकार गांधी परिवार ने देश की जनता को क्या दिया है। यही नहीं वह जिस नेता के पक्ष में प्रचार करती है उसकी पूरी तस्वीर जनता के सामने साफ कर देती हैं। रायबरेली के वरिष्ठ पत्रकार उपमेन्द्र सिंह बताते हैं कि रायबरेली के चुनावी माहौल को कांग्रेस के पक्ष में करने में प्रियंका गांधी माहिर है। रायबरेली की जनता में आज भी उनकी दादी इंदिरा गांधी की तस्वीर देखने को मिलती है। उन्होंने बताया कि जिस तरीके से कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को बड़ी जिम्मेदारी दी हैं, उससे भविष्य में कांग्रेस को बहुत फायदा होने वाला है।
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पहली बार में छा गईं प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी रायबरेली के लोकसभा चुनाव में पहली चुनाव में 1999 में दिखी थीं। जब वह पहली बार रायबरेली की जनता के बीच में भाषण देने के लिए आईं, तो वह अपने भाषणों को लेकर छा गईं। रायबरेली की लोकसभा सीट से 1999 के चुनाव में कैप्टन सतीश शर्मा कांग्रेस प्रत्याशी बनकर आए और उनके सामने भाजपा की ओर से अरुण नेहरू थे। इस लोकसभा चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी ने पांच जनसभाओं को संबोधित किया। रायबरेली सदर की सभा में प्रियंका का सख्त लहजा और कार्यकर्ताओं के बीच उनका अपनापन दिखा था। उनके बोले गए शब्द सुर्खियां बने और नतीजा चुनाव परिणाम का जब आया तो अरुण नेहरू तीसरे नंबर पर पहुंच गए थे। इसके बाद वह 2004 के लोकसभा चुनाव में अपनी मां सोनिया गांधी का चुनावी मैनेजमेंट संभाला। इसके उनको रायबरेली जिम्मेदारी बढ़कर मिलती गईं।
रायबरेली में इस तरह सक्रिय है प्रियंका
रायबरेली और अमेठी के चुनावों में अपनी सहभागिकता निभाने वाली प्रियंका गांधी पिछले कई सालों से रायबरेली आती रही है। वह रायबरेली का चप्पा-चप्पा जानती हैं। यही नहीं कांग्रेस की मुख्य धारा से जुड़े हुए लोगों को भी वह जानती है और दिल्ली के जनपथ में बैठकर समय-समय पर राबबरेली की गतिविधियों की जानकारी लिया करती है। वह रायबरेली की संगठन प्रभारी है और यहां से विधानसभा चुनावों में टिकटों का बंटवारा करने में उन्हीं का हाथ होता है। अपनी मां सोनिया गांधी व विधानसभा चुनाव के चुनाव के दौरान वह यहां डेरा डाल देती रहीं हैं। चुनावों के दौरान वह गांवों की पगडंडियों से लेकर शहर की गलियों तक में जमकर सभाएं करती है। वोटरों से मिलना हो या फिर सभाओं में भाषण के माध्यम से जनता को रिझाना हो सब में प्रियंका गांधी माहिर है। रायबरेली में कार्यकर्ता यह नारा लगाते थे कांग्रेस का डंका बेटी प्रियंका।
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