नोबेल पुरस्कार विजेता 2019 की लिस्ट , पढ़ें उनकी उपलब्धि

नोबेल पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की गयी, जिस पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं। इस बार भौतिकी, रसायन, मेडिसिन, साहित्य, अर्थशास्त्र और शांति के क्षेत्र में 15 लोगों को अलग-अलग क्षेत्रों में नोबल पुरस्कार दिया गया है। अब 10 दिसंबर को होने वाले समारोह में इन सभी लोगों को मेडल व पुरस्कार राशि से नवाजा जाएगा।
चिकित्सा क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार विजेता

चिकित्सा के क्षेत्र में बढ़ा काम करने वाले अमेरिका के विलियम केलिन, ग्रेजग सेमेंजा और ब्रिटेन के पीटर रैटक्लिफ को संयुक्त रूप से इस वर्ष नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है। इन्होंने खोज की थी कैसे करके सेल्स ऑक्सीजन को जलाते हैं, जिससे की शरीर को ऊर्जा मिलती रहे और नई कोशिकाओं को बनाने में मदद मिलती है। ऑक्सीजन की उपलब्धता समझने और उसके अनुकूल बनने की कोशिकाओं की क्षमता और तलाशी के कारण कैंसर के इलाज के नए तरीके को ढूंढने में काफी मदद मिली है।
रसायन क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार विजेता

रसायन के क्षेत्र में कुछ अलग काम करने वाले अमेरिका के जॉन बी. गुडइनफ, इंग्लैंड के एम. स्टैनली विटिंघम और जापान के अकीरा योशिनो को संयुक्त रूप से वर्ष 2019 का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। इन वैज्ञानिकों को लिथियम-आयन बैटरी का विकास करने के लिए ये पुरस्कार दिया गया है। तीनों ने मिलकर लिथियम आयन बैटरी विकसित की थी। इन बैटरियों का प्रयोग इस समय अंतरिक्ष से लेकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों व रोजमर्रा की चीजों में बड़े स्तर पर किया जा रहा है। लिथियम-आयन बैटरी हल्की होती है। रिचार्ज होने वाली और इस शक्तिशाली बैटरियों का प्रयोग अब अब मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों तक में किया जा रहा है। यही नहीं अब इस बैट्री को सौर और पवन ऊर्जा की अच्छी खासी मात्रा संग्रहीत किया जा रहा है, जिससे पेट्रोल-डीजल जैसे जीवाश्म ईंधनों से मुक्त समाज की ओर बढ़ना संभव होगा।
1970 में की गई थी इस बैट्री की परिकल्पना

इस बैट्री की परिकल्पना साल 1970 में तेल संकट के दौरान लिथियम ऑयन बैट्री की गई थी। इसी दौरान स्टेनली व्हिटिंघम ने जीवश्म ईंधन मुक्त तकनीक के विकास की दिशा में काम करना शुरू किया था। इसके बाद जॉन गुडएनफ ने मेटल सल्फाइड की बजाय मेटल ऑक्साइड का इस्तेमाल किया जाय, तो कैथोड की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। साल 1980 में उन्होंने इसके लिए कोबॉल्ट ऑक्साइड का प्रयोग किया, जिससे पावरफुल बैट्री बनाने में कामयाबी मिली। इसी आधार पर 1985 अकिरा योशिनो ने पहली कॉमर्शियल लिथियम ऑयन बैट्री बनाने में कामयाबी हासिल की। पहली बार यह बैट्री मार्केट में साल 1991 में आई और हमारे जीवन में यह एक क्रांतिकारी परिवर्तन रहा।
भौतिक क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार विजेता

भौतिक के क्षेत्र में काम कनाडियन-अमेरिकन के जेम्स पीबल्स, स्विट्जरलैंड के माइकल मेयर और डिडियर क्वेलोज को इस क्षेत्र का नोबेल दिया जाएगा। ब्रहमांड के राज खोलने में इन तीनों ही वैज्ञानिकों का हाथ रहा है। इन लोगों ने अपने काम के जरिए दुनिया को समझाया कि बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड का विकास कैसे हुआ था। बता दें जेम्स पीबल्स ने "भौतिक ब्रह्माण्ड विज्ञान में सैद्धांतिक खोजों के लिए" और मिशेल मेयर और डिडिएर क्वेलोज को "एक सौर-प्रकार के तारे की परिक्रमा करने वाले एक्सोप्लेनेट की खोज के लिए" चुना गया है। बता दें संयुक्त रूप से नोबल प्राइज जीतने वाले तीनों वैज्ञानिकों में आधी पुरस्कार राशि जेम्स पीबल्स को और उसमें से शेष आधी पुरस्कार की राशि को दो अन्य वैज्ञानिकों में बराबर-बराबर बांटी जाएगी।
1960 के दशक में शुरू किया था काम

जेम्स पीबल्स द्वारा 1960 के दशक में बिग बैंग, डार्क मैटर और डार्क एनर्जी पर जो काम शुरू किया था, उसे आधुनिक ब्रह्मांड विज्ञान का आधार माना जाता है। बिग बैंग मॉडल बताता है कि बिग बैंग के चार लाख साल बाद ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया। वर्ष 1995 में मिशेल व डिडिएर ने 51 पेगासी बी ग्रह ने खोज की थी, गैस से बना यह ग्रह सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति जितना विशाल है। उनकी इस खोज के बाद से ही खगोल विज्ञान में एक क्रांति की शुरुआत हुई थी। इस खोज के बाद से अब तक सौरमंडल में बाहर से चार हजार से अधिक ग्रह खोजे जा चुके हैं।
साहित्य क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार विजेता

पिछले साल साहित्य के क्षेत्र में नोबेल का पुरस्कार नहीं दिया गया था, लेकिन इस वर्ष 2019 और 2018 के साहित्य नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा एक साथ की गई है। 2019 का पुरस्कार आस्ट्रियाई मूल के लेखक पीटर हैंडके को दिया जाएगा। पीटर को यह पुरस्कार भाषा में नवीनतम प्रयोगों के लिए मिलेगा। यही नहीं 2018 का नोबल पुरस्कार लेखिका के साथ ही साथ सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका निभाने वाले ओल्गा टोकारजुक को दिया जाएगा।
पीटर हैंडका करते रहे हैं विरोध

स्वीडिश एकेडमी के अनुसार, 76 वर्षीय ऑस्ट्रियाई उपन्यासकार और नाटककार पीटर हैंडका को साहित्य के क्षेत्र में प्रभावशाली कार्य के लिए दिया गया है। पीटर ने सरल भाषा में मानवीय अनुभवों पर आधारित लेखन किया है। बता दें एक समय ऐसा भी आया था जब हैंडका ने साहित्य के नोबेल पुरस्कार को बंद किये जाने की वकालत की थी। पीटर हैंडका ने साल 1960 में साहित्यिक गतिविधियों पर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने ‘सॉरो बियॉन्ड ड्रीम्स’ पुस्तक लिखी है, जिसमें 1971 में उन्होंने अपनी मां द्वारा आत्महत्या करने का जिक्र किया है। यही नहीं हैंडका ने फिल्म डायरेक्टर विम वेंडर्स के साथ भी काम किया है। इसके अलावा पिछले साल मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली ओल्गा टोकारजुक दिया गया है। पोलिश लेखक ओल्गा टोकारजुक की कथात्मक परिकल्पना बेजोड़ है।
शांति क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार विजेता

इस वर्ष नोबेल शांति पुरस्कार इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद को दिया जाएगा। यह पुरस्कार उनके देश के चिर शत्रु इरिट्रिया के साथ सीमा संघर्ष सुलझाने और शांति स्थापित करने के लिए दिया जा रहा है। उन्होंने दो दशक से इरीट्रिया के साथ जारी संघर्ष को खत्म करके शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने पिछले वर्ष इरीट्रिया और जिबूती के बीच राजनीतिक शत्रुता को खत्म कर कूटनीतिक रिश्तों को सामान्य बनाने में मदद की थी। बता दें केन्या और सोमालिया में समुद्री इलाके में चल रहे संघर्ष को खत्म करने में भी अबी ने ही मध्यस्थता की थी।
100वें व्यक्ति बने इथोपिया के पीएम

अबी नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त करने वाले 100वें व्यक्ति हैं। उन्होंने ऐसे काम किए है कि उन्हें इथोपिया का ‘नेल्सन मंडेला’ भी कहा जाता है। नोबेल समिति के अनुसार, अबी के इन प्रयासों से इथोपिया और इरीट्रिया की पूरी आबादी के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आयेगा। बता दें वर्ष 1995 में अबी अहमद ने रवांडा में यूएन के शांति दूत के रूप में भी काम किया है। साल 2010 में उनका राजनीतिक करियर शुरुआत की थी। वह ओरोमो पीपुल्स डेमोक्रेटिक ऑर्गनाइजेशन के सदस्य भी रहे हैं और बाद में संसद सदस्य बने। उन्होंने यहां पर जारी संघर्ष को रोकने के लिए धार्मिक मंच भी तैयार किया था। इसका मकसद मुस्लिमों और ईसाइयों के बीच जारी संघर्ष को रोकना था।
अर्थशास्त्र क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार विजेता

अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो और माइकल क्रेमर को 'वैश्विक गरीबी खत्म करने के प्रयोग' के उनके शोध के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया है। दुनिया के प्रतिष्ठित अवॉर्ड को जीतने के बाद उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति डांवाडोल है। उन्होंने कहा कि वर्तमान मे जो भी डेटा मौजूद है उससे यह आश्वासन नहीं मिलता कि अर्थव्यवस्था की सेहत में सुधार जल्द हो जाएगा। हालांकि अब भारत सरकार को भी लगने लगा है कि सचमुच अर्थव्यवस्था की हालत खराब है।
जेएनयू से पढ़ें है अभिजीत बनर्जी

नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अभिजीत बनर्जी फिलहाल मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। उन्होंने 1981 में कोलकाता यूनिवर्सिटी से बीएससी, 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमए किया और इसके बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। वह और उनकी पत्नी डफ्लो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के सह-संस्थापक भी हैं। वह पिछले 12 साल से इस पर रिसर्च कर रहे थे और गरीबी खत्म करने को लेकर समाधान खोजने की कोशिश भी कर रहे हैं।
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