देवेंद्र फडणवीस के अलावा इन मुख्यमंत्रियों का भी कार्यकाल रहा सबसे छोटा

महाराष्ट्र की सियासत में अचानक मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया। राज्य में सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत न होने के बाद भी उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। शनिवार की सुबह 7.30 बजे देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के 28वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। फडणवीस का कार्यकाल सिर्फ 80 घंटे का रहा और शपथ लेने के चौथे दिन उन्हें इस्तीफ देना पड़ा।
सबसे कम समय तक रहे मुख्यमंत्री

देवेंद्र फडणवीस के नाम इसी के साथ ही एक और रिकॉर्ड आ गया। वह राजय में सबसे कम समय तक का कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री रह गए। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उन्हें चौथे ही दिन इस्तीफा देना पड़ा। रज्य में इससे पहले सबसे कम समय तक के मुख्यमंत्री के पीके सावंत रहे जो कि 8 दिनों तक ही राज्य के मुख्यमंत्री रहे। उनका कार्यकाल 25 नवंबर 1963 से 4 दिसंबर 1963 तक ही रहा। हालांकि, पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वह राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री भी बने। राज्य में पहली बार ऐसा करने की उपलब्धि कांग्रेस के वसंतराव नाइक के नाम रहा।
जगदंबिका पाल

पूरे देश में सबसे कम समय तक राज्य का मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड अगर किसी के नाम है, तो वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे जगदंबिका पाल के नाम है। जगदंबिका पाल उत्तर प्रदेश में सिर्फ 24 घंटा तक ही सीएम रहे। उत्तर प्रदेश में 1998 में राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त कर, तत्काल में जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी। उन्होंने शपथ दिला लेकिन सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद भी अगले ही दिन बाजी पलट गई। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कम्पोजिट फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था। जिसमें कल्याण सिंह को 225 मत हासिल हुए थे और जगदंबिका पाल को 196 वोट मिले थे। आखिरी में उन्हें इस्तीफा देना ही पड़ा था। वह राज्य में 21 से 23 फरवरी 1998 तक मुख्यमंत्री रहे।
अनोखा रिकॉर्ड बीएस येदियुरप्पा के नाम

बीएस येदियुरप्पा के नाम जहां कर्नाटक में चार बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है, तो दो मौके ऐसे रहे हैं, जब वह घंटों के लि मुख्यमंत्री रहे। पिछले साल 17 मई 2018 को भाजपा के बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें 48 घंटे के अंदर ही विधानसभा में बहुमत साबित करना था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकेंगे। 19 मई, 2018 को येदियुरप्पा विधानसभा पहुंचे और सबको लगा कि वह पूरी तैयारी करके आए है, लेकिन कर्नाटक विधानसभा में उन्होंने इमोशनल स्पीच दी और फिर इस्तीफे की घोषणा कर दी। राज्य में जेडीएस ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली और 21 मई 2018 को एचडी कुमारस्वामी सीएम बने। हालांकि 14 महीने बाद फिर से कुर्सी पर बीएस येदियुरप्पा काबिज हुए। उनके नाम 2007 में भी एक और रिकॉर्ड रहा। उन्होंने 12 जुलाई को शपथ ली और 17 जुलाई को इस्तीफा दे दिया।
ओमप्रकाश चौटाला

हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला महज 6 दिनों तक ही मुख्यमंत्री रहे। वह राज्य में 12 से 17 जुलाई 1990 तक मुख्यमंत्री रहे। हरियाणा में बदलते घटनाक्रम के बीच में बनारसी दास गुप्ता को सीएम बना दिया गया। बनारसी दास 22 मई 1990 से 12 जुलाई 1990 तक सीएम रहे। वे 52 दिन सीएम बने। उनके बाद रज्य में ओमप्रकाश चौटाला ने फिर से सीएम पद की कुर्सी हथिया ली। उन्होंने 12 जुलाई 1990 को सीएम पद की शपथ भी ले ली। उनके सीएम बनते ही संसद में बवाल खड़ा हो गया। राजीव गांधी ने महम कांड को उठाया तो चौटाला को महज 6 दिन के अंदर 17 जुलाई 1990 को इस्तीफा देना पड़ा। उनके बाद राज्य में 17 जुलाई 1990 को हुकुम सिंह ने सीएम पद की शपथ ली। 22 मार्च 1991 को हराकर एक बार फिर से ओम प्रकाश चौटाला राज्य के सीएम बने। इस बार भी उनका विरोध हुआ और महज 16 दिन के अंदर ही 6 अप्रैल 1991 को फिर से चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा। हरियाणा में अस्थिर सरकार की स्थिति बनने पर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।
नीतीश कुमार

सबसे कम समय तक के लिए मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड सुशासन बाबू के नाम भी रहा है। जब झारखंड और बिहार एक में था, उस समय राज्य में विधानसभा की 324 सीटें थी। फरवरी 2000 में राज्य में विधानसभा का चुनावा और नतीजे आने के बाद महाराष्ट्र जैसी ही स्थिति बनी। कोई भी पार्टी अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी। राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के पास 163 सदस्य होने चाहिए थे। समता पार्टी के नेता नीतीश कुमार केंद्र में थे और उन्होंने 151 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा ठोक दिया। वहीं दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव के पास 159 विधायकों का समर्थन था। राज्यपाल विनोद चंद्र पांडे ने लालू को न बुलाकर नीतीश कुमार को बुला लिया। 3 मार्च, 2000 को नीतीश कुमार ने बिहार के सीएम के तौर पर शपथ ले ली। नीतीश कुमार सीएम बन गए, लेकिन फ्लोर टेस्ट उनके सामने चुनौती थी। आरजेडी के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन ने जिम्मेदारी उठाई, विधायकों को जोड़े रखने की। जोड़तोड़ की सारी कोशिशें बेकार हो गई और 10 मार्च को नीतीश कुमार ने इस्तीफा देना पड़ा। राबड़ी देवी सीएम पद बनीं और राज्य में पूरे पांच साल तक अपनी सरकार चलाई।
एमसी मारक

पश्चिमी से लेकर पूर्व और उत्तर से लेकर दक्षिण भारत में सियासी उठापटक हो चुकी है। मेघालय में भी ऐसा ही घटनाक्रम 1998 में हुआ था, जब महज 12 दिन में ही सरकार गिर गई थी। 27 फरवरी 1998 को एमसी मारक ने मेघालय के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन सियासी ड्रामा की वजह से उनकी सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई। 10 मार्च 1998 यानी 12 दिन में ही एमसी मारक को अपने पद से इस्तीफा देने पड़ा था। एससी मारक मेघालय में कांग्रेस के नेता रहे हैं और उन्होंने दो बार मेघालय के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
शिबू सोरेन

झारखंड की राजनीति में शिबू सोरेन का हमेशा ही दबदबा रहा है। यही नहीं जब झारखंड अलग हुआ, तो उस समय राज्य का पहला मुख्यमंत्री शिबू सोरेन बनना चाहते थे। लेकिन उनका ये सपना पूरा नहीं हुआ। 2005 में भी उन्हें दस दिनों 2 मार्च से 12 मार्च में इस्तीफा देना पड़ा।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें

'हमें बीमारी से लड़ना है, बीमार से नहीं'

वनडे में क्लीन स्वीप के बाद न्यूजीलैंड ने टेस्ट के लिए घोषित की टीम

पढ़िए, क्यों राहुल की वजह से पीएम पद से इस्तीफा देना चाहते थे मनमोहन

पराली की समस्या का इन युवाओं ने ढूंढा हल, बना रहे यह सामान
Loading next News...
