बालकृष्ण दोशी को मिला आर्किटेक्चर का नोबल प्राइज, बनाई हैं देश की कई खूबसूरत बिल्डिंग्स


आईआईएम बेंगलुरू
दोशी यह पुरस्कार पाने वाले 45वें प्रित्जकर विजेता और भारत के पहले व्यक्ति हैं। पुरस्कार लेने के लिए दोशी मई में टोरंटो जाएंगे और वहां एक लेक्चर भी देंगे।

संगत (मेंटल हेल्थ इन्नोवेशन नेटवर्क)
मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई करने वाले दोशी ने वरिष्ठ आर्किटेक्ट ली कार्बूजियर के साथ पेरिस में साल 1950 में काम किया था। उसके बाद वह भारत के प्रोजेक्ट्स का संचालन करने के लिए वापस देश लौट आए।

अमदावद नी गुफा अहमदाबाद, भारत में एक भूमिगत आर्ट गैलरी है।
उन्होंने साल 1955 में अपने स्टूडियो वास्तु-शिल्प की स्थापना की और लुईस काह्न और अनंत राजे के साथ मिलकर अहमदाबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के कैंपस को डिजायन किया। दोशी ने आईआईएम बंगलुरु और लखनऊ, द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, अहमदाबाद का द इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी के अलावा भारत भर में कई कैंपस सहित इमारतों को डिजाइन किया है, जिसमें कुछ कम लागत वाली परियोजनाएं भी शामिल हैं।

अमदावद नी गुफा

अरण्य लो कॉस्ट हाउसिंग, अरण्य लो कॉस्ट हाउसिंग कम पैसों में बनाए गए घर हैं जिनमें 80,000 से ज्यादा लोग रहते हैं।

जन प्रवाह सेंटर फॉर कल्चरल एक्टिविटीज, वाराणसी

टैगोर हॉल अहमदाबाद
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