रोज 50 किलोमीटर साइकिल चलाकर क्या संदेश देना चाहते हैं कृष्णानंद राय!

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सड़कों पर हर दिन गाड़ियों का शोर और संख्या दोनों बढ़ती जा रही है। हर कोई गाड़ी की तेज रफ्तार के साथ आगे बढ़ जाना चाहता है। पर इस बीच हवा में घुलता जहर और बागों के शहर से कंकरीट के बदलते शहर की लोगों में फिक्र कम हो गई है। पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो एक उम्मीद जागते हैं कि शायद अभी भी बहुत कुछ किया जा सकता है जिससे पर्यावरण को और बेहतर और हवा में घुले जहर को कम किया जा सकता है। ऐसे ही उम्मीद लोगों के अंदर जागने का का कर रहे हैं कृष्णानंद राय।
कृष्णानंद राय की उम्र 56 साल है और वो उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में बतौर एकाउंटेंट के पद पर कार्यरत है। चाहें तो वो भी रोज अपने वाहन से अपने आॅफिस जा सकते हैं। पर ऐसा नहीं है। कृष्णानंद राय रोज 50 किलोमीटर से भी ज्यादा साइकिल चलाकर पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम करते रहते हैं।
वो साइकिल से रोज लखनऊ के कल्याणपुर स्थित अपने घर से 12 किलोमीटर दूर अपने गोमतीनगर स्थित आॅफिस जाते हैं और वापस भी आते हैं। पर घर आने से पहले वो रोज साइकिल के जरिए पर्यावरण के प्रति लोगों को सजग करने के लिए पहुंचते रहते हैं।
कृष्णानंद सिर्फ इतना ही नहीं करते हैं बल्कि वो लोगों को गाड़ी सही से चलाने के प्रति भी लोगों को जागरूक करने का काम करते हैं। कृष्णानंद राय बताते हैं कि लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक होना ही होगा। हमें अपने पर्यावरण को सुधारने के लिए और ज्यादा मेहनत करनी होगी। वो कहते हैं कि लोगों ने पढ़ाई का मतलब यह समझ लिया है कि आराम। लोग पढ़-लिखकर अब आराम की नौकरी करना चाहते हैं। और पर्यावरण को यूंही छोड़ देना चाहते हैं।
पर आराम करके पर्यावरण को सुधारा नहीं जा सकता है। पर्यावरण को सुधारने के लिए मेहनत भी करनी होगी। लोगों को जब तक कष्ट नहीं होगा तब तक पर्यावरण नहीं सुधरेगा। रोज मैं साइकिल चलाकर और अपने गले में यह पोस्टर लगाकर लोगों को इसीलिए ही प्रेरित करना चाहता हूं कि लोग अपने शहर और पर्यावरण के प्रति जागरूक हो सकें।
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