विराली ने दिव्यांग अधिकारों की उठाई आवाज, मिल रहा भारी जनसमर्थन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने विकलांगों को समुचित सम्मान दिलाने के लिए भले ही उन्हें आधिकारिक रूप से 'दिव्यांग' नाम दे दिया हो, लेकिन उससे दिव्यांकों की समस्याएं जमीनी स्तर पर दूर नहीं हुई हैं।
ऐसा कहना है अभिनेत्री व दिव्यांग अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली विराली मोदी का। 2014 की मिस व्हीलचेयर रनर-अप रही विराली रेलवे में दिव्यांकों को होने वाली परेशानियों को दूर करने के एक अभियान चलाया है। विराली ने हाल ही में प्रधानमंत्री और रेलमंत्री तक अपनी बात पहुंचाने के लिए change.org के जरिए पिटीशन अभियान शुरू किया है, ताकि देश के मुखिया इस मामले का संज्ञान ले सकें।
याचिका में उन्होंने लिखा है कि अक्सर रेलवे के कर्मचारी दिव्यांगों के साथ सामान के टुकड़े की तरह व्यवहार करते हैं। विराली की ये याचिका वायरल हो गयी और अब तक इस पिटीशन को देशभर से लगभग 80 हज़ार से ज्यादा लोगों का समर्थन मिल चुका है।
कुली के सामान की तरह उठाने से आहत हुईं विराली
“सबसे पहले, रेलवे को बेहतर रेम्प बनाने की जरूरत है। रेलवे, दिव्यांग कंपार्टमेंट के लिए डिब्बे नीचे या प्लेटफॉर्म ऊँचे बनाए, जिससे दिव्यांगों को चढ़ने उतरने में परेशानी न हो। उनके पास स्वचालित लिफ्ट होनी चाहिए जो यात्री को कंपार्टमेंट में रोल करते हुए पहुंचा दे, इसके साथ साथ दिव्यांग कंपार्टमेंट के गेट इतने चौडे हों कि व्हीलचेयर आसानी से भीतर तक जा सके।
मैंने गौर किया है कि भारतीय रेलों में टॉयलेट भी सुविधाजनक नहीं हैं, दिव्यांग कंपार्टमेंट में सिंक और कमोड इस प्रकार हों कि कोई दिव्यांग व्हीलचेयर से टॉयलेट सीट तक खुद को बिना तकलीफ के शिफ्ट कर सके।”
दिव्यांग ही समझ सकता है दिव्यांक की समस्याएं
दिव्यांग की समस्यायों को एक सामान्य व्यक्ति नहीं समझ पाएगा और इसीलिए असल मुद्दों को सरकार के सामने नहीं रख पायेगा। भारत में रहने वाले दिव्यांग हर दिन तमाम समस्याओं का सामना करते हैं। सिर्फ रेलवे की बात नहीं है, बसों और सड़कों सहित पब्लिक ट्रांसपोर्ट की भी बहुत सी समस्याएं हैं। देश में लाखों की संख्या में दिव्यांग हैं, जिन्हें एक सुविधाजनक व्यवस्था प्रदान की जानी चाहिए जो हर व्यक्ति को मदद करे।
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