इस नाई के पास है गजब का हुनर, केवल खास मकसद के लिए करते हैं ऐसा

आपने एक कहावत सुनी होगी, 'नाई देखते ही हजामत बढ़ना'। इसका मतलब जो भी होता हो, लेकिन इस नाई के साथ तो यही हो रहा है। हर आदमी इस नाई से अपने बाल कटवाना चाहता है। आखिर इस नाई की क्या खासियत है, ये हम आपको आज बताने वाले हैं।
मुंह से काटते हैं बाल
वाराणसी में एक नाई हैं अंसार अहमद, जिनको प्यार से लोग ‘मिस्टर भाई’ भी कहते हैं। ‘मिस्टर भाई’ वाराणसी के जगतगंज स्थित एक सैलून में मुंह से बाल काटने के अपने जुनून को नए कीर्तिमान तक पहुचाने में लगे हुए हैं। मूल रूप से आजमगढ़ के रहने वाले अंसार अहमद पिछले 10 सालों से वाराणसी में नाई का काम कर रहे हैं। अंसार जब तक हाथों से बाल काटते थे, तो उन्हें कोई नहीं जानता था, लेकिन जब से वह मुंह में कैंची फंसाकर लोगों के बाल काटने लगे हैं, तब से उनकी न सिर्फ शोहरत बढ़ गई है, बल्कि उनकी रोजी रोटी में भी बरकत होने लगी है।
मुंह से बाल काटने के पीछे की कहानी
उन्होंने अपने इस अनोखे हुनर के पीछे की वजह भी काफी रोचक बताई है। उन्होंने बताया कि एक बार दुर्घटना में उनके हाथ में चोट लग गई, जिसके चलते 2-3 हफ्तों तक वो काम नहीं कर पाए, लेकिन इसी दौरान उन्होंने हार नहीं मानी और कैची को मुंह में धागे के सहारे फंसाकर प्रैक्टिस शुरू कर दिया। धीरे-धीरे इस हुनर में पारंगत होने में अंसार को एक से डेढ़ साल का वक्त लग गया।
शोहरत पाने की है इच्छा
अंसार पेशे से नाई जरूर हैं, लेकिन उनकी इच्छा हमेशा से शोहरत की बुलंदियों को छूने की रही हैं। इसलिए उन्होंने अपने पेशे से ही दुनिया में नाम कमाने की ठानी। अंसार बचपन से बाल काटने का काम कर रहे हैं। इसलिए बाल काटने के क्षेत्र में उन्हें काफी महारत हासिल हो चुकी है। इसी काबिलयत को शोहरत प्राप्त करने का माध्यम बना रहे हैं। अंसार को एक आदमी का मुंह में कैंची फंसाकर बाल काटने में लगभग 25-30 मिनट लगते हैं।
अब चैरिटी के लिए काटते हैं मुंह से बाल
अंसार के मुताबिक वे चैरिटी के लिए आजमगढ़ की सड़क पर बैठकर एक कैंसर पीड़ित बच्चे के लिए लगातार 24 घंटे मुंह में कैंची फंसाकर बाल काट चुके हैं, लेकिन बदकिस्मती से वो बच्चा बचा नहीं। इसके बाद अंसार ने इस काम को चैरिटी के लिए ही करने की सोची है। उनकी इच्छा है कि वे दिव्यांगों को अपना ये अनोखा हुनर सिखाएं, क्योंकि कुछ वक्त के लिए ही सही, लेकिन अंसार को सड़क दुर्घटना के बाद अपनी शारीरिक लाचारी का एहसास हुआ था।
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