दर्जी का बेटा बना एसडीएम, पढ़ाई के लिए मां-बाप ने की थी दिन रात मेहनत

कहते हैं कि अगर चीज को पाने की ठान ली जाए, तो रास्ते में आने वाली सारी बाधाएं दूर हो जाती है। आज की मेरी कहानी में भी कुछ वैसी ही है। आज आपको एक ऐसे सफल व्यक्ति की कहानी पढ़वाने जा रहे हैं, जिनके परिवार ने कभी ऐसा सपना देखा था, जिसे पूरा करना जल्द संभव नहीं था। लेकिन बेटे ने उसे अपनी मेहनत के बदौलत साकार कर दिखाया है। बेटे की कामयाबी कुछ ऐसी है कि अब वह दूसरों के लिए प्रेरणा बने हैं। जिसके मां-बाप सिलाई करके अपने परिवार को चलाते थे, आज उनका ही बेटा एसडीएम बन गया है। यह कामयाबी परिवार के लिए यह किसी अजूबे से कम नहीं है।
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आखिर हो भी क्यों न क्योंकि माता-पिता दोनों ने दिन-रात कपड़ों की सिलाई करके बेटे को बीटेक की पढ़ाई कराई थी। इस परिवार के साथ में एक समय ऐसा भी आया जब पड़ोसी लोग कहने लगे थे कि अपने बेटे को भी सिलाई के काम में जुटा लीजिए, पढ़ाई लिखाई में पैसा लगता है। बस कह सकते हैं कि यही से दर्जी पिता ने अपने बेटे को अफसर बनाने की ठान ली थी। आज उसी घर का बेटा एसडीएम बन गया है, लेकिन इस खुशी को बांटने वाले उसके अपने पिता ही नहीं है। जिनका बचपन से ही सपना था कि मेरा बेटा एसडीएम बनें। हालांकि, बेटे ने अपने बाबू जी का सपना पूरा करने के लिए पीसीएस 2017 में नायब तहसीलदार का पद हासिल करके अफसर का तबका हासिल कर लिया था, लेकिन पिता के सपने को पूरा नहीं कर पाया था। अब जब पिता जी का सपना पूरा हुआ है तो फिर वही नहीं है।
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यह सफलता की कहानी है यूपीपीसीएस 2020 में एसडीएम के पद पर चयनित होने वाले सहारनपुर शहर के आदेश कुमार की। जिन्होंने अपने पिता का सपना एसडीएम बनकर पूरा किया है। शहर के न्यू गोपाल नगर में रहने वाले आदेश कुमार का बचपन बहुत ही दुश्वारियों के बीच में बीता। आदेश को बेहतर से बेहतर पढ़ाई कराने के लिए उनके पिता स्व. मांगेराम और माता ब्रिजेश ने सिलाई का काम किया है। आदेश के पिता बाहर तो माता घर पर रहकर सिलाई का काम करते थीं। घर की स्थिति ऐसी नहीं थी कि दो बहनों और आदेश को साथ में बेहतर तरीके से पढ़ाया जा सकें। ऐसे में आदेश को पढ़ाने के लिए उनकी बहनों को अवसर कम मिले। झांसी के बीआईईटी से बीटेक करने वाले आदेश के परिवार में इतने पैसे नहीं थे कि वह उन्हें यहां पर भेजकर पढ़ाई करा सकें। लेकिन पिता ने आदेश का भविष्य सुनहरा बनाने के लिए घर पर लोन लिया और बीटेक कराया।
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आदेश के लिए माता-पिता ने किया संघर्ष
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की तरफ से जारी किए गए रिजल्ट में आदेश कुमार का यूपीपीसीएस की सबसे बड़ी पोस्ट पर हुआ है। एसडीएम के पद पर चयनित आदेश को इस पद काम करते हुए उनके बाबू देखना चाहते थे, लेकिन दुर्भाग्य देखिए अब आदेश कुमार एसडीएम हो गए हैं, तो वे नहीं है। बाबू जी को याद करते हुए सिर्फ आदेश ही नहीं बल्कि उनका परिवार रो पड़ता है। आदेश के पिता सिलाई का काम करते थे। घर की स्थिति ऐसी नहीं थी कि एक लोगों की कमाई से परिवार को चलाया जा सकें। ऐसे में आदेश की मां घर पर सिलाई का काम करती और पिता जी बाहर। आदेश को जब बीटेक की पढ़ाई करने के लिए झांसी भेजना था, तो उनके पिता के पास पैसा नहीं था, ऐसे में उन्होंने अपने मकान पर लोन लेकर उन्हें बेहतर पढ़ाई करने के लिए भेजा। आदेश को पढ़ाने के लिए उनके पिता 20 प्रतिशत दाम पर फैक्ट्री से लाकर ड्रेस की सिलाई करते थे। उन्हों महज चार घंटे तक नींद ली ताकि आदेश कुछ बेहतर से बेहतर कर सकें। कुछ समय बाद आदेश का चयन TCS जैसी बड़ी कम्पनी में चयन हुआ, तो कुछ बेहतर स्थिति हुई।
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कभी पड़ोसी कहे थे कि बेटे को भी दर्जी बना दो
आदेश के पिता ने अफसर बनाने का निश्चिय पड़ोसी की एक बात से लिया था, जब उनके एक पड़ोसी ने आदेश को भी अपने साथ काम पर लगाने के लिए कह दिया था। आदेश कुमार बताते हैं कि दसवीं की अर्द्धवाषिक परीक्षा के दौरान मैं अपने पिता जी के साथ में पढ़ रहा था, तभी बैंक में जॉब करने वाले एक अंकल आए और उन्होंने मेरे बारे में पिता जी से पूछा। पिता जी ने कहा कि बेटे के दसवीं के एग्जाम है, इसलिए पढ़ाई कर रहा है। तभी अंकल ने कहा कि मांगेराम अपने बेटे की पढ़ाई कराकर क्यों पैसा और समय बर्बाद कर रहा है, मेरी बात मान तो इसे भी सिलाई की मशीन लगाकर दे दें। अंकल की यह बाद मुझे भी बहुत बुरी लगी और मेरे पिता जी ने पढ़ाई कराने के लिए मेरा पूरा सहयोग दिया। पिता और माता जी ने मुझे पढ़ाने के लिए दिन-रात एक कर दिया। आज मैंने अपने पिता जी का सपना एसडीएम बनकर पूरा किया है।
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आदेश का प्रतियोगी परीक्षाओं में ऐसा रहा सफर
आदेश कुमार की पढ़ाई सहारनपुर से ही हुई है। आदेश ने बीटेक करने के बाद आगे की पढ़ाई जारी रखी और उन्होंने पहली सिविल सेवा परीक्षा के बार में साल 2010 में सोचा। पहली ही बार में आदेश प्री क्वालीफाई कर गए। पहली बार में बढ़ी कामयाबी मिलने पर उन्होंने इतिहास और लोक प्रशासन को मेंस में रखकर परीक्षा दी, लेकिन उनका महज 24 अंकों से इंटरव्यू रह गया। इसके बाद उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा साल 2014 और 2015 का भी दिया, लेकिन उनका नहीं हुआ। साल 2016 में यूपीएससी की परीक्षा दी और समाज शास्त्र लेकर मेंस लिखा, लेकिन उनका अंतिम रूप से चयन नहीं हो पाया। चयन होने की वजह से उन्होंने यही से यूपीएससी देना बंद कर दिया।
यूपीपीसीएस की बात की जाए तो आदेश कुमार साल 2015 से लगातार वे मेंस लिखते चले आ रहे हैं। साल 2015 में पीसीएस मेंस लिखा। अंग्रेजी माध्यम से यूपीपीसीएस 2016 लिखा, लेकिन उनका नहीं हुआ। यूपीपीसीएस 2017 में उन्हें इंटरव्यू देने का मौका मिला और उनका चयन नायब तहसीलदार के पद हुआ। इसके बाद यूपीपीसीएस 2019 का भी उन्होंने इंटरव्यू दिया। यूपीपीसीएस 2020 का मेंस उन्होंने अंग्रेजी में लिखा और अब अंतिम रूप से उनका चयन एसडीएम के पद पर हो गया है।
आदेश की बहनों में कविता इस समय इलाहाबाद हाईकोर्ट में समीक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत है। एक बहन सरिता अभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। आदेश की पत्नी स्वेतना सिंह भेल में सहायक प्रबंधक के पद पर कार्यरत है।
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जॉब में रहते हुए हासिल किया मुकाम
झांसी से बीटेक करने के बाद आदेश कुमार को पहली जॉब TCS कंपनी में ही लग गई। आदेश को एक बड़ी कंपनी में जॉब मिलने के बाद उसके परिवार वाले भी बहुत खुशी थे क्योंकि आदेश के परिवार में ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी सदस्य को बड़ी कंपनी में जॉब मिली थी। इस कंपनी में आदेश कुमार ने साल 2010 में ज्वाइन कर लिया और कंपनी ने साल 2012 में कनाडा जाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन माता-पिता की हालत बिगड़ने की वजह से उन्होंने बाहर जाने का फैसला नहीं लिया। साल 2013 में आदेश कुमार का मौसम विभाग में सहायक वैज्ञानिक के रूप में चयन हो गया। साल 2014 में आदेश का चयन HPCL में प्रौद्योगिकरी मैनेजर के रूप नौकरी शुरू की। उनकी ज्वाइन हैदराबाद हुई थी, लेकिन परिवार में माता-पिता की हालत बिगड़ने पर उन्होंने दिल्ली में अपना तबादला करा लिया। जुलाई 2020 में उन्होंने HPCL की नौकरी छोड़कर उत्तर प्रदेश सरकार में नायब तहसीलदार के पद पर ज्वाइन किया है। इस समय आदेश कुमार बागपत में कार्यरत है। आदेश कुमार ने नौकरी में रहते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी, जिसकी वजह से उनका चयन एक के बाद एक बड़ी कम्पनी में होता चला गया।
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आदेश ने बताई तैयारी की रणनीति
आदेश कुमार ने यूपीपीसीएस और यूपीएससी की तैयारी के बारे में बताया कि साल 2015 के बाद पूरा फोकस सिविल सेवा पर ही रहा। उन्होंने बताया कि साल 2015 में मैंने सारे विषयों की बेसिक को मजबूत करने के लिए एनसीआरईटी सहित विषय विशेष की किताबों को पढ़ाई। उन्होंने बताया कि इतिहास में आधुनिक इतिहास के लिए एनसीईआरटी के साथ ही वाणी प्रकाश की आधुनिक और प्राचीन और मध्यकालीन भारत के लिए एनसीईआरटी (सतीश चंद्र) की किताबों का सहारा लिया।
भारतीय राजव्यवस्था के लिए लक्ष्मीकांत की बुक
भूगोल- पुरानी एनसीईआरटी (11वी और 12वी), महेश वर्णवाल।
अर्थव्यवस्था- स्वयं के नोट्स इंटरनेट पर उपलब्ध कटेंट के हिसाब से तैयार किया।
सोशल ईश्यू के लिए सभी सरकारी योजनाओं के बारे में पढ़ाई की।
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बदले पैटर्न पर ऐसे की तैयारी
लोक सेवा आयोग ने पीसीएस 2018 से विषयों का पैटर्न ही पूरी तरह से बदल दिया है। इस समय पैटर्न पूरी तरह से परीक्षाओं की तैयारी करनी चाहिए। आदेश ने बताया कि बदले पैटर्न पर अब सामान्य अध्ययन के पेपर पर अधिक जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि परीक्षा में किसी भी प्रकार की दिक्कत न होने पाए इसके लिए खासा ध्यान दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि सामान्य अध्ययन के पेपर की बेहतर तौर पर तैयारी की। उन्होंने बताया कि इतिहास के लिए मैंने नोट्स बनाए (पुरानी किताबों से बनाए गए)। भूगोल के लिए महेश वर्णवाल, सामाजिक मुद्दों के लिए यूट्यूब और राम अहिया का सहारा लिया। अर्थव्यवस्था के लिए स्वयं के नोट्स इंटरनेट पर उपलब्ध कटेंट के हिसाब से तैयार किया। नैतिक शास्त्र के लिए मुदित जैन की किताब। राजव्यवस्था के लिए लक्ष्मीकांत और गूगल का सहारा लिया। करेंट अफेयर्स के लिए विजन आईएएस करंट अफेयर्स की सीरीज, घटना सार और न्यूज पेपर ही सहारा रहा।
प्री की कैसे करें तैयारी?
आदेश ने प्री के बारे में बताया कि प्री की तैयारी कैसे की जाए, इसके बारे में मैंने अभ्यर्थियों को बता दिया है। अभ्यर्थियों को उन्हीं किताबों की सहायता से तैयारी करनी चाहिए। इसके अलावा परीक्षा से प्री परीक्षा से थोड़ा पहले अभ्यर्थियों को घटनासार, दृष्टि सहित उत्तर प्रदेश विशेष की किताब को पढ़ना चाहिए। इन प्रकाशन की मैगजीन का सहारा लेकर बेहतर तरीके से प्री की तैयारी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि अब प्री में सीधे सवाल न पूछकर प्रश्नों को गहराई से पूछा जा रहा है। ऐसे में अब आवश्यक है कि बहुत ही गहराई और समझ के साथ में पढ़ाई करनी चाहिए। टॉपिक को केवल ऊपर से न पढ़कर उसका सार निकालकर शार्ट नोट्स के रूप में भी लिखना बहुत ही आवश्यक है।
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आखिर इंटरव्यू के लिए क्या अपनाए रणनीति
किसी भी परीक्षा का इंटरव्यू बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। अभ्यर्थी को इंटरव्यू के लिए करीब एक महीना देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने भी एक महीने पहले ही इंटव्यू की तैयारी शुरू कर दी थी। समसामायिक मुद्दों की गहनता से समझ, उन पर अपना व्यक्तिगत दृष्टिकोण (अभ्यर्थी को कभी भी सरकार के विपरित नहीं जाना चाहिए।) बनाना आवश्यक है। अभ्यर्थी को शीशा के सामने खड़े होकर अपने ही आप से क्रॉश प्रश्न करने चाहिए। इसके अलावा ऑप्शन और ग्रेजुएशन के विषयों का भी गहराई के साथ में समझना चाहिए। इसके अलावा दोस्तों और पूर्व में चयनित हुए अभ्यर्थियों से भी बोर्ड की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल होनी चाहिए। इसके अभ्यर्थी को अपने ड्रेस कोड पर खास ध्यान देना चाहिए। ड्रेस ही पहला लुक बोर्ड के सामने पेश करती है।
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कोचिंग न कर पाने वाले अभ्यर्थी ऐसे पढ़ें
आदेश कुमार 2010 से ही जॉब करते चले आ रहे हैं। ऐसे में उनके सामने इतना समय नहीं रहता था कि वे कोचिंग और जॉब एक साथ कर सकें। उन्होंने बताया कि मैंने कभी भी कोचिंग नहीं की, लेकिन पुराने अभ्यर्थियों से उनकी तैयारी की रणनीति को जरूर पूछता था। समय-समय पर होने वाले बदलावों को भी मैं बेहतर तरीके से समझता था। उन्होंने कहा कि मैंने प्रतिदिन लगभग 3 से 4 घंटे पढ़ाई की है। मैंने अपनी पढ़ाई को लगातार जारी रखा। मैंने किसी भी दिन मिस नहीं किया। उन्होंने कहा कि मेरी व्यक्तिगत यही राय है कि कोचिंग एक माध्यम हो सकती है सही दिशा और मार्गदर्शन का, लेकिन अध्ययन आपको स्वयं ही करके परीक्षा को पास करना होगा।
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माध्यम पर न जाए, नए अभ्यर्थी ऐसे करें तैयारी।
आदेश कुमार ने कहा कि माध्यम पर नहीं जाना चाहिए। हिन्दी और अंग्रेजी माध्यम दोनों में ही बेहतर कटेंट लिखने वालों को कामयाबी मिलती है। वह कहते हैं कि हिन्दी वालों की रफ्तार अंग्रेजी वालों की तुलना में कम होती है। इसके अलावा स्टडी मैटेरियल भी पूरा नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि नए अभ्यर्थियों को हमेशा ही पुराने पेपर्स और परीक्षा के बारे में जानकारी लेकर ही पढ़ाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सफल अभ्यर्थी से प्रेरणा लें। सिर्फ कोचिंग के पीछे अंधे होकर न भागे या किसी को फोलो न करें। अपने आप पर भरोसा रखते हुए तैयारी करें। आप के पास जितना मैटेरियल है उसको भी जितना अधिक से अधिक हो सकें, उतनी ही पढ़ाई करें। किसी ने कोई किताब ली है तो उसकी देखा-देखी आप बिल्कुल ही फॉलो न करें। आपस में टॉपिक्स के ऊपर गुणवत्तापूर्ण डिबेट करें।
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सपने देखें और कहें मैं पूरा कर सकता हूं
"सपने जरूर देखने चाहिए और शीशे में देखकर खुद से नजरे मिला के बोलना चाहिए की मैं कर सकता हूं अपने आप से अपने प्रति वफादार रहने का वादा करना चाहिए तो सारे सपने पूरे होते हैं।" यह आदेश कुमार कहते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे अफसर बनाने का सपना मेरे माता-पिता ने देखा, जिसे मैंने पूरा किया। मेरे इस सफर में मेर साथ मेरी दोनों रही जो कि मुझे समय-समय पर प्रोत्साहन देती रही। इसके अलावा मेरी पत्नी भी मेरे इस लम्बे संघर्ष में साथ रही। मेरे ऊपर किसी ने कभी भी गृहस्थ जीवन का आभास नहीं होने दिया। सभी लोग अपने आप स्वयं मैनेज करते रहे, यही वजह रही कि मैं अपनी पढ़ाई को अधिक से अधिक समय दे सका।
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