UPPCS 2019: संघर्षों से भरी रही है रिचा की सफलता, दूसरे प्रयास में बनीं डिप्टी जेलर

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
ऐसा ही कुछ साबित कर दिखाया है एक किसान की बेटी ने जो कि कुछ साल पहले अपने माता-पिता के सपनों को साकार करने के लिए प्रयागराज शहर आई थी। यहां पर तैयारी के दौरान शुरुआती दौर में मिली नकामयाबी से थोड़ा हौसला टूटा, लेकिन इसके बाद भी बेटी ने हार नहीं मानी। एक बार साक्षात्कार तक पहुंचीं और उसे बहुत उम्मीद थी कि किसी बड़े पद पर उसका चयन हो भी जाएगा, लेकिन जो रिजल्ट आया वह आशा के अनुरूप था। इस नकामयाबी के बाद भी उस बेटी ने हार नहीं मानी और अपने हौसलों को पंख देने के लिए एक छोटे से कमरे में पढ़ाई करके अपने सपनों को आकार देती। कभी मेंस तो कभी साक्षात्कार तक पहुंचीं, लेकिन कामयाबी नहीं मिली, एक के बाद एक परीक्षाओं में असफलताओं का दौर जारी रहा।
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आखिरकार उस बेटी को मेहनत का फल मिला और यूपीपीसीएस-2019 का आया परीक्षा परिणाम काफी सुखद रहा है। आखिरकार उसे पहली बार किसी बड़ी परीक्षा में कामयाबी मिली और बेटी का चयन डिप्टी जेलर के पद पर हुआ है। बेटी को मिली सफलता और भविष्य में मिलने वाली वर्दी से जहां परिवार खुश है, तो वहीं इस परीक्षा में सफलता मिलने के बाद उस बेटी का भी हौसला बढ़ा है। अभी उस बेटी के सपने बड़े हैं और उनको पाने की हसरत में दिन-रात मेहनत भी कर रही है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं प्रतापगढ़ जिले के भगीरथपुर गांव की रहने वाली रिचा ओझा की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की तरफ से घोषित किए गए पीसीएस-2019 के परिणाम में सफलता अर्जित की है। शुरुआती दौर में गांव से पढ़ाई करने वाली रिचा ओझा का चयन डिप्टी जेलर के पद हुआ है। शुरुआत पढ़ाई के दौरान से ही रिचा ओझा का सपना अफसर बनना था। इसके लिए प्रयागराज में आकर तैयारी शुरू की और आखिरकार अब उन्हें सफलता भी मिली।
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गांव के स्कूल से शुरू हुई पढ़ाई
डिप्टी जेलर के पद पर चयनित हुई रिचा ओझा प्रतापगढ़ जिले के भगीरथपुर गांव की रहने वाली है। रिचा ओझा ने शुरुआती पढ़ाई सगरा सुंदरपुर स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर से की। इसके बाद बीएससी की पढ़ाई सुल्तानपुर के केएनआई कॉलेज से की। स्नातक करने के बाद ही अपने सपनों को पंख देने के लिए प्रयागराज आ गई। रिचा के पिता ललित कुमार ओझा गांव में रहकर खेती है, उन्होंने अपनी बेटी के सपनों को उड़ान देने के लिए कभी भी पढ़ाई से समझौता नहीं किया। बिटिया को बेहतर से बेहतर पढ़ाई कराने के लिए उन्होंने अच्छी शिक्षा पर जोर दिया। रिचा की माता नीलम ओझा आंगनबाड़ी में कार्यरत है। रिचा मानती है मेरी इस कामयाबी के पीछे माता-पिता के अलावा मेरे मेरे पूरे संयुक्त परिवार का स्पोर्ट रहा है। मेरे चाचा संतोष कुमार ओझा ने स्नातक तक की पढ़ाई में बहुत ही सहयोग किया है। इसके बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी प्रेरित किया।
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
बीएससी करने के बाद प्रयागराज में आकर पिछले कई सालों से तैयारी कर रही रिचा ओझा को दूसरे ही प्रयास में सफलता अर्जित हो गई है। इससे पहले उन्होंने पीसीएस 2017 में साक्षात्कार दिया था, लेकिन अंतिम समय में उनका चयन नहीं हुआ था। इसके बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और अब आखिरकार रिचा ओझा को कामयाबी मिल ही गई है और एक अफसर के रूप में चयनित हो गई है।

बदले पैटर्न पर कैसे की तैयारी
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अब पीसीएस की परीक्षा के लिए अपना पूरा पैटर्न बदल दिया है। इंडियन सिविल सर्विसेज की तरह ही पैटर्न को बनाने से अब यूपीपीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में अभ्यर्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बदले पैटर्न के हिसाब से आखिरकार कैसे करके कामयाबी पाई जाती है इसके बारे में कुछ रणनीति रिचा ने बताई।
उन्होंने बताया कि नए पैटर्न में सबसे बड़ा बदलाव मुख्य परीक्षा में आ गया है। आयोग की मुख्य परीक्षा में अब सबकुछ बदल गया है। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी अगर बेहतर रणनीति के साथ में तैयारी की जाए तो परीक्षा में सफलता अर्जित की जा सकती है।
मुख्य परीक्षा के लिए सबसे पहले तो पाठ्यक्रम को अपने पास रखे और उसी के हिसाब से तैयारी करें।
A. बेसिक नॉलेज के लिए चाहे तो NCERT पढ़ सकते हैं या फिर किसी अन्य रिसोर्स से सुविधानुसार फॉलो करते हुए पढ़ाई कर सकते हैं।
B. रेगुलर करेंट अफेयर्स को पढ़ते रहे और उस पर अच्छे से फोकस करें। वर्तमान परीक्षा के पैटर्न में इसका बहुत महत्व बढ़ गया है।
C. इसके अतिरिक्त सामान्य अध्ययन के लिए कुछ रिपोर्ट्स, योजनाएं, SDG गोल तैयार करे ताकि उत्तर लिखने में समय की बचत के साथ ही उत्तर-लेखन में वैज्ञानिकता दिखनी चाहिए।
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लेखन-शैली में वैज्ञानिकता का क्या मतलब?
वर्तमान समय में जिस पैटर्न के हिसाब से लोक सेवा आयोग परीक्षा करा रहा है, उसमें लेखन-शैली का बहुत अधिक प्रभाव पड़ रहा है। अब उत्तर लिखने वाले लोगों में कहीं न कहीं एक वैज्ञानिकता दिखनी चाहिए, जिसके बाद ही बेहतर परिणाम आ सकता है। रिचा ओझा ने बताया कि कम से कम दो घंटे प्रतिदिन तैयारी करने वाले परीक्षा के प्रश्नों को हल करने में देना चाहिए। रिचा अपनी रणनीति के बारे में बताते हुए कहती है कि मैं प्रतिदिन दिन में दो घंटे सिर्फ प्रश्नों को ही लिखकर बेहतर लेखन शैली का प्रयास कर रहती थी ताकि कुछ अच्छा हो सकें। उन्होंने बताया कि पिछले परिणामों में मिली असफलता में कहीं न कहीं उत्तर लिखने की कला ने मेरे ऊपर बहुत असर डाला था।
इन विषयों की किताबों को पढ़कर रिचा हुई कामयाब
रिचा ओझा ने बताया कि अब बदले पैटर्न में मेंस की तैयारी करना बहुत ही कठिन हो गया है। अब सिलेबस बहुत बड़ा होने की वजह से तैयारी करने वालों को प्री के साथ में ही मेंस की भी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। रिचा ने किताबों के जरिए सफलता अर्जित की है।
1. इतिहास- आधुनिक इतिहास के लिए स्पेक्ट्रम, एसके पाण्डे सर की किताबें पढ़ी।
विश्व इतिहास के लिए मणिकांत सर के नोट्स
कला और संस्कृति के लिए नितिन सिंघानिया और 11वीं क्लॉस की NCERT की बुक
भारतीय समाज के लिए करेंट अफेयर्स और गूगल का सहारा लेकर इसके नोट्स खुद तैयार किए
2. भूगोल के लिए 11 और 12वीं क्लास की NCERT की बुक
3. राजव्यवस्था के लिए लक्ष्मीकांत सर की बुक
4. गर्वेंनस के लिए विजन आईएएस के नोट्स और करेंट अफेयर्स
5. अर्थव्यवस्था के लिए रामेश्वर सर के नोट्स और करेंट अफेयर्स
6. साइंस और टेक्नालॉजी के लिए घटना चक्र और करेंट अफेयर्स
7. नीति शास्त्र (Ethics) अभय सर अैर अमित सिंह सर के नोट्स
8. आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के लिए ध्येय आईएएस के नोट्स से पढ़ाई
9 अंतराष्ट्रीय संबंध: करेंट अफेयर्स के जरिए बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकता है।
रिचा ने अपनी तैयारी को मजबूती देने के लिए कई कोचिंगों की टेस्ट सीरिज को भी ज्वाइन किया था, जिससे उन्हें बहुत ही मजबूती अपनी तैयारी को लेकर मिली।

कोचिंग क्या वर्तमान में बहुत ही जरूरी?
कोचिंग के बारे में रिचा ओझा कहती है कि कोचिंग आपकी तैयारी में एक सारथी के रूप में भूमिका निभा सकती है। आप कोचिंग के जरिए कम समय में बेहतर तैयारी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह नहीं है कि कोचिंग पढ़ने वालों को ही इस समय सफलता मिल रही है। वर्तमान परिदृश्य में कम समय में अगर आपको तैयारी करनी है तो फिर कोचिंग का सहारा लेना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कम समय में कोचिंग के जरिए सब कुछ तैयार कर लिया जाता है।
उन्होंने कहा कि कोचिंग की जरूरत सभी का एक व्यक्तिगत मुद्दा है, इसके बारे में किसी को ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब ऑनलाइन सामग्रियां बहुत सारी गूगल पर उपलब्ध है। ऐसे में आप कोचिंग या फिर न करें ये आपका मुद्दा हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस समय यू-ट्यूब पर ऐसे अनेक चैनल हैं जिनके जरिए बेहतर तरीके तैयारी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि अगर मैं स्वयं की बात करूं तो फिर मेरे लिए कोचिंग बहुत ही कारगर साबित हुई थी। कोचिंग से मुझे ऐसी कई जानकारियां मिली जो मुझे स्वयं करने में काफी समय लगता।
रिचा ने कहा कि कोचिंग कारगर तो हैं ऐसे में छात्रों को जगह-जगह न भटकर अपनी ही कोचिंग के मैटेरियल पर अधिक फोकस करना चाहिए और अगर अधिक आवश्यकता लगे तो तुरंत गूगल करके किसी भी प्रश्न का निदान भी आसानी से पाया जा सकता है।
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नए प्रतियोगी छात्रों को क्या देना चाहेगी सलाह?
नए प्रतियोगी छात्रों के बारे में रिचा कहती है कि अगर आप बिल्कुल नए है तो तैयारी के दौरान ही आप प्री के साथ ही मेंस की भी तैयारी शुरू कर दें। उन्होंने कहा सिलबेसके हिसाब से पढ़ें ज्यादा इधर-उधर न भटके। करेंट अफेयर्स पर अधिक से अधिक फोकस करें और हमेशा अपडेट रहें। उन्होंने कहा कि बेसिक नॉलेज होने के बाद भी प्रीवियस इयर्स के प्रश्नपत्र जरूर हल करें। यहां पर अपनी कमियों को जानें और उसी के हिसाब से आगे की तैयारी करें उन्होंने कहा कि समाचार पत्र जरूर पढ़ें और एडिटोरियल को अधिक से पढ़ें और स्वयं उस पर कुछ लिखने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि इस रणनीति के तहत तैयारी करने वाले छात्रों को सफलता जरूर मिलेगी।
मीडियम का आप कितना फर्क समझती है?
मेरी समझ से यूपीपीएससी की परीक्षा में मीडियम का कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। यूपीपीएससी आपकी गुणवत्ता देखता है न कि आपका चयन मीडियम के आधार पर करता है। हिंदी मीडियम के प्रतियोगी छात्रों के लिए उन्होंने कहा कि उन्हें अब अपनी तैयारी की रणनीति में कुछ सुधार करने की जरूरत है।
A. व्याकरणिक अशुद्धियों को दूर करें।
B. शब्द सीमा के हिसाब से लिखें
C. उत्तर लेखन में वैज्ञानिकता
D. प्रश्न की मांग के हिसाब से उत्तर लिखें।
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