चंडीगढ़ की 'पैडवुमैन' हैं ये दो सहेलियां, बनाना सिखा रहीं 2 रुपये का सेनिटरी नैपकिन

माहवारी के दौरान महिलाओं को होने वाली समस्या को अक्षय कुमार ने अपनी फिल्म पैडमैन में दिखाया है। उनकी इस फिल्म का यह असर रहा है कि लोग महिलाओं को सेनिटरी नैपकिन के बारे में बताने लगे और बनाना भी सिखाने लगे हैं।
ऐसे ही चंडीगढ़ में दो सहेलियां गरीब बस्तियों में जाकर अपने कैंपेन 'स्टॉप द स्पॉट' के तहत महिलाओं को कम खर्च से घर पर ही हाइजीनिक सेनिटरी नैपकिन बनाना सिखा रही हैं। उनके इस कैंपेन का असर यह है कि अब महिलाएं भी सेनिटरी नैपकिन का प्रयोग करने लगी है। यह दोनों ही सहेलियां के चंडीगढ़ के सेक्टर 27 में रहने वाली दो फ्रेंड्स जानवी सिंह (15 वर्ष) और लावाण्या जैन (17 वर्ष) है।
ऐसे की थी शुरुआत
पैडमैन फिल्म आने के बाद जगह-जगह पर इस पर काम करने वाले लोगों की चर्चा होने लगी। इसके बाद इन दोनों सहेलियों ने भी महिलाओं के ऊपर काम करने की सोची। उन्होंने बताया कि स्लम में रहने वाले गरीब लोगों को उन्होंने सेनिटरी नैपकिन्स बांटने की सोची। उन लोगों ने अपनी महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रितु नंदा से बात करके इसकी पूरी जानकारी हासिल की। इसके बाद दोनों ही सहेलियों ने अपनी मां से 5000-5000 रुपये लेकर इस कैंपेन की शुरूआत कर दी। दोनों ही सहेलियां स्लम इलाकों में जाकर जागरूकता फैलाने लगी। दोनों ही सहेलियों ने चंडीगढ़ व जालंधर के गांवो में जाकर सेनिटरी नैपकिन्स बांटे। उन्होंने महिलाओं मासिक के दौरान होने उनकी ओर से किए जाने वाले उपाय के बारे में पूछा। महिलाओं ने जब दोनों ही सहेलियों को उपाय बताया तो दोनों ही आवक रह गई।
मासिक के दौरान यह उपाय करती है महिलाएं

दोनों ही सहेलियों को घरों में काम करने वाली महिलाओं ने बताया कि मासिक के दौरान वह कुछ ऐसे उपाय करती है। मासिक के दौरान महिलाओं ने बताया कि गंदे कपड़े और कपड़े में राख भरकर प्रयोग करती हैं। महिलाओं की ऐसे बात सुनकर दोनों ही सहेलियों ने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का निर्णय लिया। इन लोगों ने फैसला लिया कि वे ऐसे सेनिटरी नैपकिन्स बनाएंगी, जो कम लागत की हों। उनके एक पैड की लागत दो रुपये आती है। सेनिटरी नैपकिन्स के एक पैकेट में 10 पैड्स होते हैं। दोनाों ही सहेलियों का कहना है कि अब वह इस कैंपेन को जारी रखेगी। अब दोनों ही सहेलियां महिलाओं को पैड्स बांटने के साथ ही उन्हें बनाना भी सिखा रही हैं ताकि वे घर पर ही पैड्स बनाकर इनका इस्तेमाल कर सकें।
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