जानिए कैसे बिहार में स्वच्छता अभियान की मिसाल बनीं ये दो बहनें
स्वच्छ भारत की मुहिम का असर पूरे देश पर है, ज्यादातर गांवों में अब टॉयलेट बन चुके हैं और लोग उनका इस्तेमाल भी कर रहे हैं। सरकार के लगातार प्रयासों की वजह से ही लोगों में अब इतनी जागरुकता आई है कि लोग घरों में टॉयलेट बनवाने को प्राथमिकता देते हैं।
बिहार के मधुबनी में इबराना और फरजाना दो बहनें हैं जो 10वीं और आठवीं में पढ़ती हैं। इनके घरों में अभी तक शौचालय नहीं बने थे। दोनों बहनों ने ठानी कि वो अपनी स्कॉलरशिप से टॉयलेट बनवाएंगी। मधुबनी के कलुआही प्रखंड की पिरसौलिया पंचायत निवासी वहीदा खातून के पति की अचानक मौत के बाद घर का खर्च चलाना मुश्किल था। ऐसे में उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो घर में शौचालय बनवा पातीं क्योंकि सरकारी अनुदान भी निर्माण शुरू होने के बाद ही मिलता है।
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लेकिन अब ये दोनों बहनें बिहार में स्वच्छता अभियान की मिसाल बन गई हैं। दोनों बहनों को जिला स्तर पर स्वच्छता अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाने के लिए बिहार के पीएचईडी मंत्री ने पहल की है। दोनों ने अपनी स्कॉलरशिप जोड़कर घर में शौचालय बनवाना शुरू किया। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि दोनों बहनों के प्रयास ने साबित कर दिया है कि शौचालय कितना जरूरी है। उन्हें हर तरफ से सराहना मिल रही है।
स्कॉलरशिप के पैसे का सही इस्तेमाल किया
इबराना और फरजाना बताती हैं कि शौच के लिए खुले में जाना बहुत ही शर्म वाली बात थी। इसके साथ ही आए दिन ऐसी खबरें पढ़ना कि शौच गई लड़कियों के साथ कोई घटना हुई से डर भी लगता था। हम दोनों ने सोचा क्यों न हम अपने स्कॉलरशिप के पैसे का सही इस्तेमाल यहीं करें। शौचालय पर तीस हजार खर्च होने थे और उन्हे छात्रवृत्ति मात्र चार-चार हजार रुपए मिलते हैं। उनकी कोशिश से बारह हजार रुपए अनुदान में मिल गए। बाकी पैसे हमने कर्ज पर ले लिया।
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आस-पास के लोगों ने भी ली सीख
दोनों बहनों की इस पहल से आस-पास के लोग भी सीख ले चुके हैं। उनके इलाके में शौचालय निर्माण के प्रति अब सब जागरुक हैं। पूरे इलाके में लगभग दो हजार लोग शौचालय बनवा चुके हैं। प्रखंड विकास पदाधिकारी किशोर कुमार के मुताबिक पिरसौलिया पंचायत के लगभग हर घर में शौचालय बन चुके हैं। अब इसे ओडीएफ घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है।
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