बच्चों को अफसर बनाने के लिए संध्या उठाती हैं दूसरों का बोझ

अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए एक मां जितनी कुर्बानियां देती है, उसकी कल्पना करना भी मुश्किल काम है। जबलपुर के कटनी की निवासी संध्या मरावी भी अपने बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए कुछ ऐसा कर रही हैं, जिसे जानकर आप भी उन्हें सैल्यूट करने को मजबूर हो जाएंगे।
30 साल की संध्या कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करती हैं, हालांकि उनके लिए ये आसान नहीं है लेकिन बच्चों को अफसर बनाने की खातिर वो दूसरों का बोझ उठाती हैं।
पति की मौत के बाद कुली बनने को मजबूर हुईं संध्या
संध्या के घर में उनके तीन बच्चों के अलावा उनकी बूढ़ी सास रहती हैं। संध्या ने बताया कि बीमारी के चलते 22 अक्टूबर 2016 को उनके पति भोलाराम मरावी की मौत हो गई।
इसके बाद उन्हें घर के खर्च की चिंता सताने लगी। फिर उन्होंने अपने परिवार वालों से बात की तो पता चला कि उनके पति की जगह अनुकम्पा से उन्हें नौकरी मिल सकती है। फिर उन्होंने कुली बनने का फैसला कर लिया।

45 किमी. का सफर तय कर स्टेशन पहुंचती हैं संध्या
संध्या कुंडम की रहने वाली हैं। यहां से रोज वो 45 किलोमीटर की दूरी तय कर पहले जबलपुर फिर यहां से कटनी पहुंचती हैं। दिनभर काम निपटाने के बाद वो शाम को घर लौट जाती हैं और फिर चूल्हा-चौकी के काम में जुट जाती हैं।
बता दें कि कुली की पहचान के लिए लाइसेंस के समय एक बिल्ला नंबर दिया जाता है और संध्या के बिल्ला का नंबर 36 है। संध्या साल 2017 से कुली का काम कर रही है। कटनी स्टेशन में 45 कुलियों में से पहली महिला कुली हैं। बता दें कि संध्या के तीन बच्चों में शाहिल उम्र 8 साल, हर्षित 6 साल और बेटी पायल 4 साल की है।
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