अपने पैसों से टीचरों ने इस सरकारी स्कूल को बनाया हर तरह से हाईटेक

हम जब भी सरकारी स्कूल के बार में बात करते हैं तो हमारे जेहन में गंदी दीवारें, टूटे बेंच और बदहाल व्यवस्था वाली तस्वीर ही आती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसा सरकारी स्कूल की तस्वीरे को दिखा रहा हूं जो आज के दौर के प्राइवेट स्कूलों को भी मात दे रहा है।
अन्य सरकारी स्कूल के टीचरों से अलग
यह स्कूल उत्तर प्रदेश के संभल जिला स्थित इटायला माफी में है। आप इस स्कूल में जाएंगे तो आपको हर ओर हरियाली मिलेगी। साफ सुथरा स्कूल, किचन, कमरों के जगमग करती सोलर लाइट। इस स्कूल में जा कर आपको कहीं से भी सरकारी स्कूल वाली फीलिंग नहीं आएगी। इस स्कूल में एक खूबी ये भी है कि यहां के प्रधानाचार्य कपिल मलिक भी आपको अन्य सरकारी स्कूल के टीचरों से अलग हैं। वो कहते हैं कि 'छात्रों का जीवन हमारी जिम्मेदारी है। उसे सुधारने के लिए इच्छा शक्ति होनी चाहिए। यहां कुछ भी असंभव नहीं है।'
ये स्कूल साफ सुधरे के साथ आज के दौर के साथ भी चल रहा है। स्कूल पूरी तरह से हाईटेक है। कपिल बताते हैं कि इस स्कूल में बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगती है। स्कूल में छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय हैं साथ ही यहां प्रोजेक्टर की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। कपिल आगे बताते हैं कि स्कूल में हरियाली के लिए करीब 300 गमले लगाए गए हैं साथ ही 1000 पौधे लगे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पोस्टिंग यहां 2010 में हुई थी। तब यहां 30-32 बच्चे पढ़ने के लिए आते थे।
इस स्कूल में करीब 300 छात्र पढ़ते हैं
2013 में जब वो इंचार्ज बने तो बच्चों की संख्या बढ़कर 57 थी। फिलहाल इस स्कूल में करीब 300 छात्र पढ़ते हैं। स्कूल में कपिल को मिलाकर 5 शिक्षक हैं। कपिल ने बताया कि इस स्कूल को बनाने में उन्होंने वो पैसे भी स्कूल में लगा दिए जो उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सम्मानित किए जाने पर मिले थे। आप इस स्कूल में आएंगे तो यह लगेगा ही नहीं कि यह कोई सरकारी स्कूल है। हर बच्चे की ड्रेस साफ सुथरी, गले में आईडी कार्ड सब कुछ बिल्कुल वैसा जैसा किसी प्राइवेट स्कूल में होता है।
इतना ही नहीं बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी सेहत का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। साथ ही साथ स्कूल में खेल कूद के सामान भी उपलब्ध हैं। इस स्कूल में बाकी प्राथमिक स्कूलों की तरह एक रसोई घर भी है लेकिन वो बाकी सरकारी स्कूलों की तरह बदहाल नहीं है। स्कूल के रसोई में साफ सुथरे बर्तन, खाद्य पदार्थों के बंद डिब्बे और दीवारों पर लगी टाइल्स यह एहसास ही नहीं होने देता कि हम यूपी के किसी प्राथमिक स्कूल में हैं।
कपिल बताते हैं कि सरकार की ओर से उन्हें विद्यालय के मेंटनेंस के लिए 5,000 रुपए और पुताई के लिए 6,500 रुपए मिलते हैं। स्कूल में हर माह चिकित्सक आकर बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी लेते हैं और यहां मासिक परीक्षा भी कराई जाती है।
'संतुष्टि के लिए करता हूं ये काम'
इस स्कूल को अब तक यहां कई पुरस्कार मिल चुके हैं। इसे असमोली ब्लॉक का सर्वेश्रेष्ठ स्कूल भी चुना गया है। यहां बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है ताकि वे जमाने के साथ कदम से कदम मिला कर चल सकें। कपिल बताते हैं कि स्कूल में इतनी सारी सुविधाओं की व्यवस्था उन्होंने सिर्फ अकेले की है। यह पूछे जाने पर कि आपको इससे क्या लाभ होगा, कपिल ने कहा कि ये सब काम वो अपनी संतुष्टि के लिए करते हैं।
अपना पैसा भी स्कूल में लगा दिया
कपिल इस स्कूल को हाईटेक बनाने के लिए करीब 4 लाख रुपए अपनी जेब से खर्च कर चुके हैं। कपिल बताते हैं कि इस स्कूल को हाईटेक बनाने में उन्हें किसी से कोई मदद नहीं मिली। बताया गया कि इस स्कूल में बच्चों को मिड डे मील के तहत उच्च क्वालिटी का खाना मीनू के हिसाब से मिलता है।
बनाया जाता है सकारात्मक महौल
हर माह मासिक परीक्षा और उपस्थिति के आधार पर स्टार ऑफ द मंथ घोषित किया जाता है। इस से स्कूल में एक सकारात्म माहौल भी बनता है। जिससे बच्चे हमेशा अच्छा करने की सोचे। अगर हमारे प्राइमरी स्कूल ऐसे हो जाएं तो शायद गांव और इलाके का कोई शख्स अपने बच्चों को महंगे कॉन्वेंट स्कूलों में भेजना चाहेगा।
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