इस बहादुर लड़की ने पिता-पुत्री के रिश्ते को दी नई ऊंचाई

भारतीय समाज को पुरूष प्रधान समाज माना गया है, जहां लड़कियां अक्सर भेदभाव का शिकार होती हैं। इसी समाज में लड़कियों को लड़कों के मुकाबले कम मौके भी मिलते हैं। जिनके पैदा होने पर खुशियां मनाने में भी भेदभाव होता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पिछले दो दशकों में भारत में लगभग 10 लाख बेटियों को गर्भ में मौत के घाट उतारा गया है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस देश में बेटियों के प्रति हमारे समाज की सोच को झलकाता है।
ऐसा भी कई घरों में होता है, जहां माताओं को बेटी होने पर धमकाया जाता है। जिससे बेटियों को अत्यधिक अपमान और दबाव के दौर से गुजरना पड़ता है। इसकी सबसे बड़ी वजह दहेज प्रथा है, क्योंकि लोग बेटियों को परिवार पर वित्तीय बोझ मानने लगते हैं। इस पुरानी धारणा का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयास कर रही है। जिसके लिए पूरे देश में बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान चला रही है। जिसका असर समाज पर असर कर रहा है। लेकिन आज भी इस मानसिकता से छुटकारा पाने के लिए समाज को आगे आना होगा। क्योंकि बेटियां बेटों से कम नहीं होती हैं।
ये कोई जुमला नहीं है क्योंकि इस हकीकत दास्तान की नायक भारत की बेटी है। जिसने अपने कर्मों से इस पुरूष प्रधान देश को आईना दिखाया है। पूजा बिजनिया ने अपने पिता के जीवन को बचाया है। जिससे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम को बल मिला है। इस बात की जानकारी फेसबुक पोस्ट में डॉ रचित भूषण श्रीवास्तव ने दी। मुबंई की बहादुर बेटी पूजा बिजनिया ने अपने पिता को बचाने के लिए अपने लिवर का प्रत्यारोपण कराया है। उनका मानना है कि पूजा एक वास्तविक जीवन की असली नायक हैं। पूजा की कहानी उन सभी लोगों के लिए एक तेज प्रतिकृति है, जो बेटियों को पुत्रों से कम करके आंकते हैं।
डॉ रचित ने पूजा की एक तस्वीर पोस्ट किया है, जिसमें पूजा अपने पिता के साथ सर्जरी के निशान को दिखा रही हैं। इस पोस्ट को इंटरनेट पर लोगों ने खूब साझा किया गया है, जिसमें यूजर ने पूजा की बहादुरी को सलाम किया है व बेटियों के प्रति आदर भी व्यक्त किया।
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