वृद्धाश्रम खोलना चाहती हैं 100 साल की अरुणा, अभी चलाती हैं 4 संस्थाएं

करीब 80 साल पहले बांग्लादेश से असम आई अरुणा मुखर्जी पिछले दिनों चर्चा में रहीं जब उन्होंने गुवाहाटी नागरिक प्रशासन से एक वृद्धाश्रम खोलने की अनुमति मांगी है। उनकी मांग है कि वो इस वृद्धाश्रम का संचालन वो खुद ही करना चाहती हैं। सबसे रोचक बात 31 अगस्त 2016 को उनकी उम्र 100 साल पूरी हो चुकी है।
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक जब स्थानीय मेयर ने उनसे पूछा कि इस वृद्धाश्रम को चलाएगा कौन तो अरुणा का जवाब था कि वो खुद इसे चलाना चाहती हैं। यही नहीं अरुणा चाहती हैं कि वो ये काम अक्टूबर 2016 से शुरू भी कर दें।
शहर के मेयर मृगेन सरनिया और उनके सहकर्मी अरुणा के इस कदम से इतने प्रभावित है कि वे इस वृद्धाश्रम को खोलने की सारी कार्यवाही जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश में जुट गए है ताकि अरुणा इसे अक्टूबर महीने से ही शुरू कर सके।मेयर के मुताबिक 100 साल की उम्र में जो उत्साह अरुणा ने दिखाया है वो लोग अपनी युवावस्था में नहीं कर पाते हैं। अरुणा जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता है। वो खुद चार वोकेशनल संस्थाएं चलाती हैं जहां मुफ्त में पेंटिंग बनाने, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, ज़रदोज़ी और सॉफ़्ट टॉयज बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
अरुणा का परिचय
अरुणा मुखर्जी का जन्म ढाका में हुआ था। करीब 80 साल पहले असम के जादुलाल मुख़र्जी से विवाह होने पर वो उन्हीं के साथ यहां आकर बस गयीं, उनके पति गुवाहटी कॉटन कॉलेज में कार्यरत थे।अरुणा के बारे में सबसे दिलचस्प बात ये है कि वो पिछले 70 सालों से सिर्फ चाय और बिस्कुट खा कर ही जीवित हैं। उन्हें संतरे भी बहुत पसंद हैं और वो संतरों के मौसम में संतरे भी खाती हैं। उन्होंने 1947 में बांग्लादेश ( पूर्वी पाकिस्तान ) के शरणार्थियों को देख कर ये खानपान अपनाया।
अरुणा ने द न्यू ई इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि उन्होंने जब बांग्लादेश से भागे सैकड़ों भूखे शरणार्थियों को गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर शरण लिए हुए देखा तब मैंने छोटे-छोटे बच्चों को भूख से बिलखते देखा, तो उनके लिए खाना बना कर उन्हें खाने के लिये दिया। धन जुटाने के लिए मैंने कागज़ की थैलियां बना कर बेचे ताकि मैं उन पैसों से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को खाना खिला सकूं, कुछ समय बाद वो लोग कहीं और चले गये पर मैं ये कभी नहीं भूल पायी कि भूखे रहने का एहसास कैसा होता है। इसलिए मैं आज तक बिस्कुट और चाय के अलावा कुछ नहीं लेती।
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