बड़े होकर ही पता चलेगा क्या बनना है, अभी तो 50 रुपये के लिए लगाते हैं जंप

जिंदगी को तेज रफ्तार से आगे बढ़ाने के लिए छलांग बहुत जरूरी है। लेकिन क्या आप जानते हैं यहां जिंदगी को ही दांव पर लगाकर लोग छलांग लगाते हैं, वो भी खुशी-खुशी। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश में जबलपुर के पास भेड़ाघाट की।
बच्चे 50 रुपये के लिए लगाते हैं खतरनाक छलांग
पिछले दिनों Scroll वेबसाइट पर एक उनके रिपोर्टर ने एक वीडियो पोस्ट किया। इस वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे वहां के स्थानीय बच्चे सिर्फ 50 रुपये के लिए इस जलप्रपात (Waterfall) में खतरनाक तरीके से छलांग लगाते हैं। ये बच्चे इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं, यह उनकी रोजी का हिस्सा बन चुका है। 10 से 15 साल के ये बच्चे बेहद ही शानदार तरीके से सैलानियों के लिए पहाड़ों पर से नदी में छलांग लगाते हैं। एक छलांग के लिए इन बच्चों को 50 रुपये तक मिल जाता है।
सुसाइड करने वालों को बचाते भी हैं
इन बच्चों को इस बात को लेकर गुस्सा भी है कि कुछ लोग यहां पर आकर सुसाइड कर इस जगह को बदनाम कर रहे हैं। इस बच्चों के ग्रुप ने कई लोगों को डूबने से बचाया भी है। बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं, इस सवाल के जवाब में बच्चे बोलते हैं कि वो इस जगह को छोड़कर नहीं जाएंगे, यहीं रहेंगे होटल डाल लेंगे नाव चला लेंगे।
क्या है भेड़ाघाट की कहानी
मध्य प्रदेश में जबलपुर के पास एक जल प्रपात है , नाम है धुआंधार फाल्स, और नाम ऐसा इसलिए क्यूंकि जब बरसाती मौसम में नर्मदा पूरे उफान पर होती है यहां पानी की बूंदें इतनी ऊंची उठती हैं की लगता है जैसे धुआं सा फ़ैल गया हो। नर्मदा के एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के लिए रोप- वे बनाया गया है। छोटे छोटे ‘लोकल’ बच्चे बहुत ही खतरनाक तरीके से नर्मदा के पानी में उछल कूद मचाते हैं। और कई तो लोगों को कलाबाज़ी दिखा के पैसे कमाते हैं। जहां सिर्फ देखने भर से डर लगता हो, वहां ये बच्चे ये बड़ी बड़ी डुबकी मारते हैं नर्मदा में।
भेड़ाघाट में जहां ऊंची-ऊंची संगमरमर की चट्टानों के बीच से नर्मदा गुजरती है तो दूसरी तरफ वहां ‘चौसठ योगिनी‘ का एक मंदिर भी है। चौसठ योगिनी मतलब चौसठ महिला आकृतियां जो योग के विभिन्न मुद्राओं में चित्रित हैं। हिंदुस्तान में गिने चुने ही चौसठ योगिनी मंदिर हैं, और उनमे भेड़ाघाट का मंदिर विश्व प्रसिद्ध है।
ओशो ने अपनी किताब में किया है भेड़ाघाट का जिक्र
भेड़ाघाट की खूबसूरती का जिक्र ओशो ने अपनी किसी किताब में किया था। चांदनी रात में आकाश और संगमरमर की दीवारें एक होकर चमकती हैं, और नर्मदा का गहरा पानी ऐसे जान पड़ता है जैसे बिना धरातल, बिना रोक के बह रहा हो। भेड़ाघाट में पीला संगमरमर है, नीला है, काला है, सफ़ेद है, सब तरफ संगमरमर। चांदनी रात में ये सब चट्टानें हीरे मोतियों कि तरह चमकती हैं। भेड़ाघाट से धुआंधार फाल्स तक भी नाव से जाया जा सकता है, लेकिन उसके लिए पैसा चाहिए और कम से कम दो घंटे का समय।
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