इस आदमी ने 'जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी' को किया चरितार्थ

जब लोग अपनों को खो देने के दुख में शव को अस्पताल, घर, घटनास्थल या घर से मुक्तिधाम धाम तक पहुंचाने के लिए परेशान रहते हैं तब उन्हें केवल एक ही नाम याद आता है... विकास पचौरी
विकास पूरे विदिशा में अकेले 85 हजार लोगों को प्रेरित कर रक्तदान करवा चुके हैं। इसके अलावा वो लोगों को ऐसे समय में मदद कर रहे हैं जब वो अपने जीवन के सबसे बुरे समय से गुजर रहे होते हैं। दरअसल विकास शवों को ढोने और उसका अंतिम संस्कार करने के लिए मुक्तिधाम ले जाने का काम करते हैं।
इसके लिए वो कुछ भी नहीं लेते हैं
जब लोग अपनों को खो देने के दुख में शव को अस्पताल, घर, घटनास्थल या घर से मुक्तिधाम धाम तक पहुंचाने के लिए परेशान रहते हैं तब उन्हें केवल एक ही नाम याद आता है... विकास पचौरी। सूचना मिलते ही विकास तत्काल मौके पर पहुंचते हैं और इसके लिए वो कुछ भी शुल्क नहीं लेते हैं। यही नहीं अपने इस काम को लोगों तक पहुंचाने के लिए वो चौराहों, सभी अस्पतालों और प्रमुख जगहों पर होर्डिंग के जरिए इस बात का जिक्र करते हैं। होर्डिंग में लिखा होता है इस सेवा के लिए कोई पैसा नहीं लिया जाएगा, और साथ ही उनका मोबाइल नंबर भी होता है।
कहां से मिली उन्हें प्रेरणा
विकास 6 महीने के अंदर ही करीब 200 लोगों को मुक्तिधाम पहुंचा चुके हैं, पचौरी का मानना है वो ये काम अपने माता-पिता का नाम रौशन करने के लिए कर हैं, जो अपने आप में बहुत बड़ी बात है। उनका फेसबुक और ट्विटर पर स्टेटस यही है... अंतिम यात्रा हेतु निशुल्क शव वाहन द्वारा सेवा करके मॉ पिता का नाम रौशन करने प्रयास...
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