पिता के हत्यारों को पकड़ने में पुलिस ने बरती थी लापरवाही, अब बेटा बन गया आईएएस अफसर

पुरानी फिल्मी में अक्सर ऐसी स्क्रीप्ट रहती थी कि पिता की हत्या के बाद पुलिस द्वारा लापरवाही बरती जाती थी तो बेटा बड़ा होकर अफसर बनता था और उन पुलिसकर्मियों को सबक सिखाता था। कुछ ही कहानी यूपीएससी की परीक्षा में 117वीं रैंक हासिल करने वाले सूरज कुमार राय की। इस युवा के साथ घटी घटना आपको जरूर इंस्पायर कर देंगी कि आखिर कैसे एक बेटे ने अपने पिता की हत्या के बाद अफसर बनने की ठानता है।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मुफ्तीगंज क्षेत्र के पेसारा गांव के रहने वाले 26 वर्षीय सूरज के पिता महेंद्र राय की हत्या कर दी गई थी। एबीपी न्यूज के अनुसार सूरज के पिता की हत्या जब की गई थी तब उन्होंने 2009 में इलाहाबाद में मोतीलाल नेहरू इंजीनियरिंग कालेज में दाखिला लिया। उनके दाखिला लेते ही एक महीने के भीतर ही सूरज के पिता की हत्या कर दी गई। ये मामला पुलिस तक पहुंचा लेकिन पुलिस से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला।
पुलिस द्वारा हत्यारों को पकड़ने में उस तरीके का सहयोग नही मिला जिस तरीके की उम्मीद सूरज के परिवार को थी। पुलिस के इस बर्ताव व घटना ने सूरज को अंदर तक हिला दिया और उन्होंने बदला लेने की ठानी लेकिन बदले का अंदाज बेहद खूबसूरत और इंस्पायर करने वाला है। सूरज ने मन में आईएएस/आईपीएस की ठानी ताकि आगे वो ऐसे लोगों के लिए प्रशासन का हिस्सा बनकर अपेक्षित कदम उठा सकें।
फिर क्या सूरज लग गए परीक्षा की तैयारी में और एक के बाद एक करके अटेंप्ट देते और आखिरकार तीसरे अटेंप्ट में सफलता मिल ही गई। उन्हें यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 117वीं रैंक हासिल हुई है। इससे पहले दो बार सूरज को इस परीक्षा में सफलता नहीं मिली पर इस बार उनकी मेहनत रंग लाई है। सूरज को अब आईएस या आईपीएस का पद मिलेगा, लेकिन उनका ये सफर बेहद कठिन रहा।
तीसरी कोशिश में सपना हुआ पूरा

मन में असफर बनने की ठानने वाले सूरज ने साल 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी करने में जुट गए। उन्होंने इसके लिए साल 2014 में एक कोचिंग में एडमिशन लिया। वे 2015 में पहली बार सिविल सर्विसेज का इम्तिहान दिया लेकिन प्रीलिम्स तक क्लियर नहीं कर पाए। इसके बाद 2016 में एक बार फिर इम्तिहान दिया और इस बार प्रीलिम्स तो क्लियर हुआ लेकिन मेंस में सलेक्शन नहीं हो पाया। इन नतीजों ने सूरज को कमजोर नहीं बल्कि अलगे अटैम्पट के लिए और भी प्रत्साहित किया। 2017 में एक बार फिर से सूरज ने सिविल सर्विसेज का इम्तिहान दिया और इस बार प्रीलिम्स भी क्लियर हुआ और मेंस भी और सूरज की रैंक 117 वीं रही।
सहायक कमांडेंट के पद हो चुका था चयन

सूरज कुमार राय का चयन यूपीएससी से पहले सहायक कमांडेंट के पद पर हुआ था और सात मई को कार्यभार ग्रहण करना था। लेकिन इससे पहले आईएएस में चयन हो गया। सूरज के भाई सौरभ राय मुम्बई में ज्वाइंट कमिश्नर आयकर के पद पर कार्यरत हैं। और सूरज ने अच्छी रैंक प्राप्त की है। इससे तय है कि उन्हें या तो आईएएस या फिर आईपीएस अफसर का पद मिल जाएगा। सूरज के चयन पर पूरे गांव में खुशी का माहौल है। चाचा भाजपा नेता डा. पवन कुमार राय को बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। बड़े भाई आनंद प्रकाश राय दीवानी न्यायालय में वकालत करते हैं। सूरज इस चयन के पीछे संयुक्त परिवार के सदस्यों के साथ स्व. पिता को प्रेरणा मानते हैं। वह कहते हैं कि अगर पिता होते तो कितना खुश होते।
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