इस आदमी की बदौलत SC ने दिया मूवी से पहले राष्ट्रगान बजाने का आदेश

साल 2002 में करण जौहर की फिल्म 'कभी खुशी कभी गम', भोपाल के एक थिएटर में फिल्म देखने गए श्याम नारायण चौकसे जब एक सीन में राष्ट्रगान बजा तो वो सम्मान में अपनी सीट से खड़े हो गए। थिएटर में बैठी जनता ने उनका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। मैनेजर से शिकायत करने के बाद भी चौकसे की नहीं सुनी गई।
इसके बाद शुरू हुई चौकसे की लड़ाई 14 सालों बाद अपने फैसले पर पहुंची। चौकसे ने शुरू में तो जबलपुर हाइकोर्ट में याचिका लगाई जिसमें कहा गया कि करण जौहर ने अपनी फिल्म में राष्ट्रीय गान का गलत इस्तेमाल किया है। साथ ही जब हॉल में यह धुन बजी तब कोई भी इसके सम्मान में खड़ा नहीं हुआ। हाइकोर्ट की बेंच ने चौकसे के पक्ष में आदेश देते हुए कहा कि जौहर को अपनी फिल्म से यह सीन हटाना होगा लेकिन निर्माता-निर्देशक ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले पर स्टे ले लिया।
चौकसे ने हार नहीं मानी
पहली बार सुप्रीम कोर्ट से हारने के बाद उन्होंने हार नहीं मानी, इसके बाद वो कई सालों तक इस मुद्दे पर अपनी जानकारी जुटाते रहे। इसी बीच चौकसे ने 2014 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के शपथ ग्रहण समारोह में 52 सेकंड की जगह सिर्फ 20 सेंकड तक ही राष्ट्रगान बजने के मामले में भोपाल में याचिका लगाई थी। सितंबर 2016 में उन्होंने फिर इस मामले में याचिका लगाई जिसमें कहा गया कि किसी भी व्यावसायिक गतिविधि के लिए राष्ट्रीय गान के चलन पर रोक लगाई जानी चाहिए और एंटरटेनमेंट शो में ड्रामा क्रिएट करने के लिए राष्ट्रीय गान को इस्तेमाल न किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया था कि एक बार शुरू होने पर राष्ट्रीय गान को अंत तक गाया जाना चाहिए, और बीच में बंद नहीं किया जाना चाहिए।
काम आई चौकसे की मेहनत
करीब 14 सालों की मेहनत के बाद चौकसे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए फिल्मों से पहले राष्ट्रगान बनाने को जरूरी कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में साथ ही कहा गया कि राष्ट्र गान राष्ट्रीय पहचान, राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक देशभक्ति से जुड़ा है।
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