किसान के बेटे ने केले के तने से बना डाली बिजली

कहते हैं आविष्कार करने की कोई उम्र नहीं होती और ये बात सही सााबित करके दिखाई एक किसान के बेटे ने। अपनी प्रतिभा से उसने न केवल लोगों को दंग कर दिया बल्कि महज 17 साल की उम्र में गोपालजी ने अपना डंका ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तक बजा दिया। इतनी कम उम्र में आविष्कार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने भी मुलाकात के दौरान सराहा और आगे बढ़ने के लि प्रोत्साहित किया।
बिहार के भागलपुर के ध्रुवगंज में रहने वाले किसान प्रेमरंजन केले की खेती करते हैं और जब उनके बेटे ने घर में बैठकर ही आविष्कार करने शुरू किए तो हर कोई हैरान था।
गोपालजी जब 8वीं क्लास में थे वो एक दिन पिता के साथ खेतों में गए तो केले के तने का रस उनके शरीर पर लग गया। काफी कोशिश के बाद भी जब वो नहीं छूटा तो वह केले के रस से फाइबर रिसर्च बनाने पर सोचने लगे और पहला आविष्कार हाईस्कूल पास करने से पहले ही कर दिया।
गोपाल जी पढ़ाई के साथ विज्ञान से जुड़े वीडियो व खबरें शुरू से ही इंटरनेट पर देखते थे। केले के तने के रस के बाद नौंवी कक्षा में प्रैक्टिकल करते हुए गोपालजी के एक दोस्त पर स्ट्रिक एसिड गिरा तो वो भी काफी कोशिश के बाद नहीं छूटा। गोपाल जी बताते हैं कि मैंनें पढ़ा था कि इलेक्ट्रोलाइसिस करने पर एसिड चार्ज हो जाता है। गोपालजी ने सोचा कि हमारे देश में हर साल लाखों टन केले के पेड़ अपशिष्ट में नष्ट हो जाते हैं, जबकि उनसे हजारों वाट बिजली पैदा हो सकती है और वो इस पर गंभीरता से काम करने लगे।
बायोसेल की खोज की
आपको बता दें कि केले के तने में भी सैट्रिक एसिड पाया जाता है और घर में इनवर्टर में इस्तेमाल किए जाने वाली बैटरी में भी एसिड में दो अलग तत्व के इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं। इसे आधार बनाकर गोपालजी ने अपनी पहली खोज शुरू की। स्कूल से वोल्ट मीटर और इलेक्ट्रोड लाकर उन्होंने केले के तने पर प्रयोग शुरू किया। केले के तने को जिंक और कॉपर के दो अलग-अलग इलेक्ट्रोड से जोड़ दिया। इलेक्ट्रोड जुड़ते ही इसमें करंट आने लगा और इसमें एलईडी बल्ब जल उठा। इस तरह इस युवा वैज्ञानिक ने पहली बायोसेल तैयार की।
इस खोज के बाद वो अपना दिमाग और भी दौड़ाने लगे जिससे और आविष्कार कर सकें। एक दिन उन्होंने पेपर बायोसेल से बिजली बनाने का तरीका भी खोज निकाला। इसकी खोज के दौरान उन्होंने पेपर को पानी में डाला। उसमें ग्लूकोज डालकर उसका इलेक्ट्रोलाइसिस किया और बिजली तैयार की। गोपालजी अबतक सात अलग-अलग तरह की खोज कर चुके हैं। उन्होंने अलॉय वाटर एनर्जी और ब्लूटूथ कंट्रोलर की भी खोज की है। अभी भी उनकी खोज जारी है। जल्द ही हमें उनका नया आविष्कार देखने को मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने भी सराहा
गोपालजी के आविष्कारों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सराहा। अहमदाबाद स्थित नेशनल इनोवेटिव फाउंडेशन में गोपालजी ने हिस्सा लिया और उन्हें नेशनल इंस्पायर अवार्ड के लिए चुना गया। बिजली से जुड़े दोनों की आविष्कारों का पेटेंट भी उन्हें मिल चुका है। गरीब घर से होने के कारण अक्सर गोपाल जी को लालटेन की रोशनी में पढ़ना पड़ता था लेकिन अपनी खोज के बाद वो अपनी बनाई हुई बिजली में पढ़ते हैं। नवंबर 2015 में सीएमएस स्कूल में आयोजित जिलास्तरीय इंस्पायर अवार्ड की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में जब उनका चयन हुआ तो उसके बाद बिहार दिवस पर मुख्यमंत्री से पुरस्कृत किया।
असफल होने से भी लेते हैं सीख
गोपालजी जब किसी आविष्कार में फेल होने लगते हैं तो वो नई खोज में लग जाते हैं। उनका मानना है कि असफल होने के बाद हमें और भी ज्यादा मेहनत व लगन ये काम करना चाहिए। इस समय गोपालजी अहमदाबाद के नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन में अपनी खोजों में व्यस्त हैं। वो अब तक कई जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत हो चुके हैं। उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शोध का प्रस्ताव भी मिल चुका है।
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