इस गोताखोर के नाम दर्ज है अनोखा रिकॉर्ड, हैरान हो जाएंगे आप

पंजाब के आशु मलिक एक खास काम के लिए पहचाने जाते हैं। उनके नाम एक अजीब सा रिकॉर्ड दर्ज है। पंजाब के खनौरी में रहने वाले गोताखोर आशु महज 26 साल की उम्र में लगभग 46 हजार लाशें नहरों से निकाल चुके हैं।
पिछले तीन साल में अलग-अलग नहरों से 1770 लाशें निकल चुके हैं। बताते चले कि नहरों में अप्रैल-मई महीने में जैसे ही पानी कम होता है लाशों का निकलना शुरू हो जाता है।
पहली बार 12 साल की उम्र में बचाई थी महिला की जान
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक पंजाब के खनौरी में डूबे लोगों के परिजन जब यहां तलाश करने आते हैं तो उनकी एकमात्र आशा आशु मलिक होता है। मलिक हरियाणा और पंजाब की नहरों में शवों को निकालने का काम करते हैं, वे एक पेशवर गोताखोर हैं। आशु ने 8 साल की उम्र में नहर में गोताखोरी शुरू कर दी थी।
आशु ने पहली बार 12 साल की उम्र में एक महिला की जान बचाई थी। वे बताते हैं कि एक महिला पानीपत में नहर किनारे कपड़े धो रही थी अचानक से पैर फिसला तो अंदर गिर गई। कोई जान बचाने के लिए आगे नहीं आया तो उसने छलांग लगा दी और महिला की जान बचाई। आशु बताते हैं कि महिला को बचाने पर उसे इनाम में 50 रुपए मिले।
अखबार में खबर छपी तो उसी दिन से गोताखोर बनने की ठान ली और इसे पेशा बना लिया। 3 बहनों के इकलौते भाई आशु मलिक ने संघर्ष किया और पानीपत से गोताखोरी सीखकर पंजाब के फतेहगढ़ साहिब पहुंच गए। वहां से पटियाला गए इसके बाद अब खनौरी रहते है, वहां नहर में डूबे लोगों के शवों को निकालने के साथ-साथ गोताखोरी का काम करते हैं।
तो इसलिए नहरों में मिलते हैं इतने शव
आशु बताते हैं कि नहर में आने वाले शवों को निकालने से लेकर उन्हें पैक कर पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाने में 15 हजार रुपए तक का खर्च आता है।
निजी गोताखोर ही 2 से तीन हजार रुपए मांगते हैं, इसके बाद उसकी प्लास्टिक कोटेड पैकिंग और फिर वाहन से पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाना। पुलिस और नहरी विभाग के कर्मचारी इस झंझट से बचने के लिए शव की अनदेखी कर देते हैं।
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