'देशी' खोज हुई सफल, अब इंडिया की सड़कों पर भी दौड़ेगी ड्राइवरलेस कार

विदेशों की सड़कों पर ड्राइवरलेस कारों को चलते हुए देखा गया है। लेकिन अब अपने देश में भी ड्राइवरलेस (रोबोटिक) कार चलेगी। ड्राइवरलेस कार की अब 'देशी' खोज कर ली गई है।
लम्बे रिसर्च के बाद आखिरकार सफलता मिल गई है। अब अंतिम ट्रायल के लिए सड़कों पर इसको दौड़ाने की तैयारी हो गई है। ड्राइवरलेस कार बनाने वाले और कोई नहीं बल्कि भोपाल के रहने वाले इंजीनियर संजीव शर्मा। जिन्होंने देश की पहली चालक रहित रोबोटिक कार बनाई है। आईआईटी रुड़की के इंजीनियर ने नौ साल की लंबी मेहनत के बाद आखिरकार इस कार को सड़क पर उतारने की तैयारी चल रही है। बता दें कि राजस्थान के युवक ने ड्राइवरलेस ट्रैक्टर की खोज की है जो कि रोबोट के माध्यम से चलाया जा सकता है।
पहली बार 2015 में किया गया था सफल परीक्षण

आईआईटी रुड़की से इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने वाले संजीव शर्मा ने रोबोटिक तकनीक से सेल्फ ड्राइविंग कार बनाई है। उन्होंने स्वायत्त रोबोट्स नाम से कंपनी बनाकर स्टार्टअप के रूप में इसे शुरू किया है। संजीव के मुताबिक इस तकनीक से टू-व्हीलर वाहन को छोड़कर ट्रक, कार, टैंकर्स जैसा हर वाहन लाना संभव है। अपने घर से स्टार्टअप शुरू करने वाले संजीव शर्मा ने देश की पहली चालक रहित रोबोटिक कार बनाई है। नौ साल की लंबी मेहनत के बाद अब इस कार को सड़क पर वह उतार पाए हैं।
उन्होंने इस कार का पहली बार 2015 में सफल परीक्षण किया गया था। इसके बाद से लगातार वह प्रयास कर रहे थे कि इसको हाईवे पर उतारा जाए। इस कार की सबसे खास बात यह है कि इससे हादसों की आशंका भी ड्राइवर वाली कारों की तुलना में 40 फीसदी कम होगी। इसके पीछे का कारण यह है कि इंसान ड्राइविंग के दौरान एक सेकेंड में अधिकतम 10 बार निर्णय ले सकता है, लेकिन ईजाद की गई सेल्फ ड्राइविंग तकनीक के जरिये यह कार एक सेकेंड में 40 बार निर्णय लेने की क्षमता रखती है।
उनका दावा है कि रोबोटिक तकनीक से चलने वाली यह ड्राइवरलेस कार देश की पहली कार है। जब कार के सामने बाधा आती है तो गाड़ी रुकती नहीं, न ही अवरोध दूर होने का इंतजार करती है, बल्कि अपना रास्ता बना लेती है। पहले जिन कंपनियों ने देश में ड्राइवर रहित कार को चलाया है उसमें सोनार सेंसर तकनीक का उपयोग किया गया। इनमें एक सबसे बड़ी गड़बड़ी यह है कि इनमें अवरोध आने पर यह तकनीक निर्णय नहीं ले पाती है कि रास्ता कैसे बनाया जाए।
कुछ इस तरह से चलती है कार

ड्राइवरलेस कार के बारे में संजीव कुमार ने बताया कि यह कार पूरी तरह से आधुनिक से चलती है। इसको चलाने के लिए सॉफ्टवेयर बनाया जा जो कि एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने की लोकेशन देता है। इसमें एक खास बात यह है कि इसमें लगे कैमरे चलने की कमांड मिलने के बाद कैमरे फोटो लेते हैं और परसेप्शन तकनीक के माध्यम से गाड़ी के आसपास का नक्शा बनाया जाता है। मोशन प्लानिंग से नक्शे के आधार पर कैसे, कितनी रफ्तार और कहां जाना है इसके लिए कंट्रोल कमांड जेनरेट किए जाते हैं। इसको डिसीजन मेकिंग एंड आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस सिस्टम स्थिति के जरिए भांपा जाता है। यह कार ऐसी है कि भीड़ के आधार पर रफ्तार को भी कंट्रोल करता है। यह कार लोकेशन के हिसाब से अपनी रफ्तार भी बदल लेती है। इस कार की रफ्तार शहरी क्षेत्र में 25 से 30 किलोमीटर और हाईवे पर 45 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है।
इसमें इन उपकरणों का उपयोग
गाड़ी पूरी तरह से सुरक्षित रहे इसका पूरा ध्यान रखा गया है। रोबोटिक तकनीक में सेल्फ ड्राइविंग के लिए कुल आठ कैमरों की आवश्यता होती है। इसमें चार कैमरे सीसीटीवी और चार दूसरे कैमरे लगाए जाते हैं। साथ ही ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस), मोटर, कंट्रोलर और इसके लिए तीन कंप्यूटर की आवश्यता होती है।
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