मिलिए मुजफ्फरनगर के 'सुपरमैन' से, अब तक बचा चुके हैं 7 लोगों की जान
परिवार की रोजी-रोटी चलाने के लिए एक युवक वर्षों पहले मुजरफ्फरनगर में गंग नहर के किनारे जूस की दुकान लगाने आया था। वर्षों से दुकान चला रहे इस युवक ने ऐसा काम कर दिखाया है, जिसकी जितनी तारीफ की जाए उतना ही कम है। उसने अपनी दुकान चलाते-चलाते एक नहीं दो नहीं बल्कि सात-सात लोगों की जान बचाई है।
अब उनके इस बहादुरी भरे काम की इतनी तारीफ हो रही है कि उनका नाम वीरता पुरस्कार के लिए प्रशासन ने भेजने की तैयारी कर दी गई है। सात-सात लोगों की जान बचाने वाले और कोई नहीं बल्कि मनोज कुमार सैनी है। जिन्हें प्रशासन ने वीरता भरे काम के लिए पिछले दिनों सम्मानित किया है। बता दें कि मनोज कुमार कोई तैराक नहीं है, लेकिन इसके बाद भी वह लोगों की जान बचाने के लिए अपनी खुद की जान की लगा देते हैं।
मनोज कुमार सैनी मुजफ्फरनगर के भोपा इलाके में गंगा कैनाल के पास जूस की दुकान चलाते हैं। यह जगह भी अपने आप में खास है, जिसे 'सुसाइड प्वाइंट' के नाम से जाना जाता है। मुजफ्फरनगर मुख्य शहर से करीब 16 किलोमीटर दूर सैनी का जूस स्टॉल कैनाल ब्रिज से महज कुछ ही मीटर दूर है, जहां से कूदकर अक्सर जीवन से निराश लोग मौत को गले लगा लेते हैं। यहां पर अब सैनी जब भी किसी हताश-निराश शख्स को ऐसा करते देखते हैं तो उसे बचाने के लिए खुद कूद पड़ते हैं। पिछले एक साल में वह सात बार लोगों की जान बचा चुके हैं। गुरुवार को जब उन्होंने एक बार फिर से यही काम कर दिखाया तो फिर उनका पूरा राज खुला। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि जब मैंने पहली बार किसी शख्स को कैनाल में छलांग लगाते देखा तो मैं पूरी तरह से आर्श्चचकित रह गया और मुझे कुछ समझ में भी नहीं आया कि मैं क्या करूं। लेकिन दूसरे मिनट में मैंने उनको बचाने के लिए नहर में छलांग लगा दी और मुझे उन्हें बचाने में कामयाबी मिली। इसके बाद से जब भी मैं किसी को गंगा में कूदते हुए देखता हूं तो उन्हें बचाने के लिए मैं भी कूद जाता हूं।'
सैनी के इस तरह की दिलेरी के स्थानीय लोग कायल हैं और इसलिए वे उसे अपने देसी 'सुपरमैन' के तौर पर देखते हैं। अभी कुछ दिन पहले मनोज ने एक 70 वर्षीय वृद्ध की जान बचाई। वृद्ध के एक रिश्तेदार ने मनोज का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, 'मेरे अंकल बीमार और डिप्रेशन में थे। स्थानीय कार्यकर्ता अमजद खान के मुताबिक, 'वह हमारा देसी सुपरमैन है, जो लोगों को मरने से बचाता है।' उन्होंने यह भी कहा कि सैनी ने कहीं से भी तैराकी का कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया है। गुरुवार को उन्होंने 70 वर्षीय एक बुजुर्ग की जान बचाई, जिसके लिए उन्हें 1,000 रुपये का पुरस्कार भी दिया गया। भोपा क्षेत्र के डीएसपी राजीव कुमार गौतम ने मनोज की तारीफ की और कहा कि पुलिस उनका नाम इस साल के बहादुरी पुरस्कार के लिए भेजने पर विचार कर रही है। मनोज का अपनी इस बहादुरी पर कहना है कि 'मैं बस इतना जानता हूं कि मैं किसी को अपने सामने मरते हुए नहीं देख सकता। इसलिए मैं ऐसा करता हूं।'
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...