'सुपर 30 के आंगन में है आंसुओं से नजरें चुराकर हंसने का हुनर'

देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान जेईई-आईआईटी में एडमिशन पाना हर छात्र का सपना होता है। लेकिन बहुत से छात्र इस एग्जाम की तैयारी इसलिए नहीं कर पाते हैं, क्योंकि उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर होता है।
बिहार के आनंद कुमार ने इसी गुरबत को दूर करने के लिए सुपर-30 नाम की कोचिंग चलाते हैं। जिसमें हर साल 30 गरीब बच्चों को मुफ्त में आईआईटी-जेईई की तैयारी करवाते हैं। आनंद के सुपर 30 का रिकॉर्ड पिछले 15 साल में बेहद शानदार रहा है। इस बार उनकी कोचिंग 30 के 30 बच्चों ने आईआईटी-जेईई की एंट्रेंस परीक्षा को पास किया है।
आंसुओं से नज़रें चुराकर हंसने का हुनर देखना है तो सुपर 30 के आंगन में एक बार आइएगा जरूर। आज फिर से सुपर 30 के अपने आंगन में मैं कई सपनों को करवटें बदलते देख रहा हूँ। सफलता के शोर में गुरबत के दर्द को सिमटते देख रहा हूँ। पिछले 15 वर्षों से मैं हर साल यही अनुभव करते आ रहा हूँ।- आनंद कुमार
खुद से मैथ्स के नए फॉर्मुले ईजाद किए
बिहार के पटना से ताल्लुक रखने वाले आनंद कुमार के पिता पोस्टल डिपार्टमेंट में क्लर्क की नौकरी करते थे। घर की माली हालत अच्छी न होने की वजह से उनकी पढ़ाई हिंदी मीडियम सरकारी स्कूल में हुई जहां गणित के लिए लगाव हुआ था। यहां उन्होंने खुद से मैथ्स के नए फॉर्मुले ईजाद किए।
सफलता की रौशऩी से पूरे समाज को रौशन कर दिया
“कामयाबी और सपनों में बड़ा गहरा रिश्ता होता है। जब मेहनत इरादों के रथ पर सवार होकर अपने सफर पर चल पड़ती है तो लाख मुसीबतों के बाद भी सफलता कदम चूमने को बेकररार हो जाती है। और इस बार के आईआईटी प्रवेश परीक्षा के रिजल्ट में मेरे सभी 30 बच्चों ने सफलता के झंडे गाड़कर यह सिद्ध भी कर दिया है। चाहे बेरोजगार पिता का बेटा केवलिन हो या सड़क किनारे अंडे बेचने वाले का बेटा अरबाज आलम हो, खेतों में मजदूरी करने वाले का बेटा अर्जुन हो या फिर भूमिहीन किसान का बेटा अभिषेक। इन सभी 30 बच्चों ने घनघोर आर्थिक पिछड़ेपन के काले बादलों का सीना चीरकर अपने सफलता की रौशऩी से पूरे समाज को रौशन कर दिया है। मैं आपने आपको बड़ा भाग्यशाली समझता हूँ क्योंकि मुझे मेरे पूरे परिवार के प्रत्येक सदस्य खासकर छोटे भाई प्रणव के साथ-साथ उन सभी शिक्षकों का सहयोग भी मुझे हासिल है, जो बच्चों के सफलता के लिए रात-दिन एक कर देते हैं।”
आनंद के सुपर-30 में कोई बेरोजगार पिता का बेटा है, तो कोई भूमिहीन किसान, मजदूर और सड़क के किनारे दूकान लगाने वाले का बेटा है। सुपर-30 में मुफ्त में आनंद कुमार इसलिए तैयारी करवाते हैं, क्योंकि ग्रेजुएशन के दौरान उनको प्रख्यात कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए बुलाया आया था। लेकिन पिता की मृत्यु और आर्थिक तंगी के चलते उनका सपना साकार नहीं हो सका था।
सुपर 30 का दायरा बड़ा करने जा रहा हूं
“आज मेरे बच्चों ने मुझे कुछ और बड़ा करने का हौसला दिया है। बहुत ही जल्द मैं सुपर 30 का दायरा बड़ा करने जा रहा हूं। देश के कई हिस्सों में मैं घूम-घूम कर टेस्ट आयोजित करूंगा। ताकि 30 से ज्यादा बच्चों को उनकी मंजिल तक पहुंचा सकूं। मैं हर साल 30 बच्चों को अपने घर में रखता हूं और खून-पसीने के अपने गाढ़ी कमाई के पैसे से ही उनके और अपने परिवार के लिए भोजन-भात का इंतजाम करता हूँ। आज तक मैंने किसी से एक रुपया चंदा नहीं लिया। आगे सुपर 30 को बड़ा करने के लिए मुझे किसी से पैसे नहीं चाहिए। हां, आपके सपने जरूर चाहिएं। और चाहिए आपका आशीर्वाद। मैंने सुना है कि दुआओं में बड़ी ताकत होती है। तो आइये समय निकालकर कभी मिलने सुपर 30 के बच्चों से रहेगा आपका इंतजार।”
मिल चुकी है अंतर्राष्ट्रीय ख्याति
डिस्कवरी चैनल ने आनंद कुमार पर एक डाक्यूमेंट्री भी बनाई है। अमेरिकी अखबार न्यूयार्क टाइम्स में भी इनकी बायोग्राफी प्रकाशित हो चुकी है। आनंद कुमार को प्रो यशवंतराव केलकर पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका हैं। आनंद कुमार को बिहार गवर्नमेंट ने अब्दुल कलाम आजाद शिक्षा अवार्ड से भी नवाजा है।
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